लड़की मर्जी से गर्इ् तो पति को संबंध बनाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता:कोर्ट

वामा            Apr 10, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को नाबालिग लड़की के अपहरण और बलात्कार के आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि एक पति को अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन ने उत्तर दिल्ली स्थित जहांगीरपुरी के निवासी इस व्यक्ति को आरोप से मुक्त करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है। अदालत के मुताबिक अभियोजन पक्ष यह साबित करने में भी विफल रहा है कि कथित पीड़िता नाबालिग थी। न्यायाधीश ने कहा, ‘आरोपी व्यक्ति लड़की का कानूनी तौर पर पति है। उसे अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए बयान के अनुसार, ये संबंध आपसी सहमति के आधार पर बने थे।’ अदालत ने कहा कि पीड़िता ने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह उसके साथ अपनी मर्जी से गई थी। अदालत ने कहा, ‘रिकॉर्ड में शामिल सामग्री को देखते हुए, ऐसा लगता है कि अभियोजन पक्ष अपनी इच्छा और सहमति जताने वाला पक्ष था और ऐसा जान पड़ता है कि सब कुछ उसकी मर्जी से ही हुआ। अभियोजन पक्ष के मुताबिक पीड़िता की मां ने यह शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी ने 15 जुलाई 2014 को उसकी 14 साल की बेटी का अपहरण कर लिया था। लगभग एक साल तक गायब रही इस लड़की को उसकी मां ने एक साल बाद पुलिस स्टेशन में पेश किया। आरोपी को भारतीय दंड संहिता के तहत रेप और अपहरण के आरोपों के साथ-साथ बाल यौन अपराध संरक्षण (पोक्सो) कानून के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया गया। हालांकि लड़की ने अदालत को बताया कि वह बालिग थी और उस व्यक्ति के साथ भागी थी क्योंकि वह उससे प्यार करती थी। अदालत ने यह भी पाया कि लड़की ने अपने दावों के समर्थन में हलफनामा भी दिया था।न्यायाधीश ने कहा, अभियोजन पक्ष की ओर से लड़की को नाबालिग ठहराने वाली बात उनकी ओर से पेश दस्तावेजों के आधार पर स्थापित नहीं होती। सुनवाई के दौरान आरोपी ने आरोपों से इंकार करते हुए खुद को निर्दोष बताया था। न्यायाधीश ने उसे आरोप मुक्त करते हुए कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उसने लड़की को अपने साथ चलने के लिए किसी भी तरह से फुसलाया था।


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