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वह बेबस वेश्‍या नहीं, वाकई रणचण्डी निकली (सत्य घटना)

वामा            Jul 11, 2015


कुमार सौवीर जी हां, यह एक वेश्‍या की सच्‍ची कहानी है, जो स्त्री सशक्तिरण की मिसाल बन गयी। सच बात तो यह है कि दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों और आत्म-सम्मान को लेकर चल रहे घमासान-युद्ध इस महिला के सामने बेहद बौने नजर आयेंगे। पूरी बात कहने-करने से पहले मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा कि भले ही लोग इसे वेश्‍या कहें, लेकिन मेरी निगाह में यह महिला स्त्री सशक्तिरण की मशाल है। खासतौर पर तब जबकि हमारे आसपास संकोच-शर्मीली महिलाएं अपने ऐसे ही स्वभाव के चलते पूरी जिन्दगी भर शर्मनाक शोषण का शिकार बनी रहती हैं। दरअसल, मैं महिला सशक्तिकरण की दिशा से व्यथित हूं। अक्सर तो भाषणबाज बड़बोली महिलाओं के प्रवचनों से मन खिन्न हो जाता है। लेकिन भयंकर घरेलू संकटों से सामने अपने घुटने टेकने वाली ऐसी युवतियां हमेशा मेरा हौसला बढ़ा देती हैं, जो जो रोजी-रोजगार के लिए ऐसे बाजारों में भी घुस जाती हैं, जो घृणित-त्‍याज्य और शर्मनाक तक माना जाता है। ऐसी युवतियां महिलाएं जब अपनी अस्मिता को प्राथमिकता देती हैं, अपने ना कहने के अधिकार का इस्‍तेमाल करती हैं और इसके लिए अक्‍सर अपनी जान तक देने को तैयार हो जाती हैं, तो उनके प्रति बरबस वाह-वाह निकल कर उनके सामने सिर नवाने का मन हो जाता है। इसीलिए तो मैं इस और ऐसी महिलाओं को मेरी बिटिया सा सम्‍मान देता हूं। ऐसी ही एक महिला मेरे संज्ञान में कई बरस पहले आयी थी। जिसने अपने कर्म और सम्मान को अलग-अलग देखा और गजब का हौसला दिखा दिया। सरेआम। मैं तो उसके हौसले के सामने झुक गया। यह किस्सा लिखने का मन हमेशा उमड़ता रहा, लेकिन मैं भी शील-संकोच के चलते समझ में नहीं पाया कि इस मामले को कैसे लिखूं। शुरूआत में तो सबसे बड़ा भय यही था कि कहीं ऐसा न हो कि लोग मुझे भड़ुवा करार दे दें। लेकिन जब मैंने पिछले साल मोहनलालगंज में एक युवती की नंगी लाश और बाद राजधानी में ताबड़तोड़ बिखेरी गयीं नंगी युवतियों की लाशें देखीं, तो विह्वल हो गया। मुझे लगा कि यह लाशें खुद मेरी ही बेटियां है। जाहिर है कि इसके बाद क्रोध भड़कता चला। हम किस समाज की बात करते हैं, जहां बेटियां इस तरह नृशंसता के साथ मारी जा रही हैं, और हमारे हुक्‍मरान उनकी क‍ातिलों को बचाने में जुटे हैं। इतना ही नहीं, शर्मनाक तब रहा जब आला हाकिमों ने पुलिस में महानिदेशक स्‍तर की अफसर सुतापा सान्‍याल को इस मामले पर पर्दा डालने का जिम्‍मा सौंपा, जिसे इस अफसर ने बखूबी अंजाम भी दिया। यानी अपने ओहदे, सम्‍पन्‍नता और ऐश्‍वर्य में घिरी एक महिला ने अपने आकाओं के सामने घुटने टेक दिया और अपने अफसरों की हां में हां मिला दिया, लेकिन महज 400 रूपये में अपना शरीर बेचने वाली इस हमारी मोहनलालगंज वाली हमारी बेटी ने अपने ना यानी इनकार के अधिकार का प्रयोग किया। भले ही उसका खामिजाया इस बच्‍ची को अपनी जान से धो कर चुकाना पड़ा। वह वेश्‍या थी, लेकिन उसमें खुद का बोध था, लेकिन सुतापा सान्‍याल ने खुद में स्‍वयं के प्रति कोई भी बोध नहीं जगाया। पता नहीं कि यह भय था या फिर संकोच, लेकिन हकीकत यही है कि ऐसे भय-संकोच के चलते ही ज्यादातर महिलाएं शोषित होती रहती हैं। सिकुची औरत हमेशा शोषित होती है, जबकि ऐसी सतर्क वेश्या आत्म-सम्मान सम्पन्न श्रमिक। मेरे बचपन का एक मित्र बड़ा उद्योगपति है। बड़ी हैसियत है और बड़े-बड़े लोगों में बड़े होटलों और देशों में चक्कर लगाते रहता है। यह किस्सा उसी ने सुनाया था, जो एक बड़े नामचीन होटल का है। हालांकि इस हादसे को बरसों-बरस हो चुके हैं, लेकिन यह माजरा सदाबहार है और चूंकि इससे जुड़े पात्र अभी तक जिन्दा हैं और यूपी की राजनीति में अभी तक सक्रिय हैं, इसलिए मैं समझता हूं कि इस प्रकरण को लिखने का सटीक मौका छोड़ना अब महिला अधिकार और सम्मान की दिशा में आपराधिक और बेशर्मी होगी। आखिरकार हम मेरी बिटिया के संरक्षक-पिता हैं। उनकी लड़ाई लड़ना हमारा प्राथमिक दायित्‍व है। तो किस्सा यह है कि यूपी के एक बड़े नेता अपनी औरत-खोरी के खासे शौकीन माने जाते हैं। चाहे वे कभी असरदार मंत्री की कुर्सी पर रहे या नहीं, अपने शौक को उन्होंने संजोये रखा। बड़बोलापन तो उनका खास शगल है। पत्रकार-बाजी की ही तरह। हमेशा की ही तरह एक दिन उन्होंने राजनीति में सक्रिय अपने दो चेलों से अपनी ख्वाहिश बतायी। लेकिन यह भी बताया कि वे इस बार किसी हीरोइन-टाइप शक्ल-सूरत और अंदाज चाहते थे। पैसा चाहे कितना भी खर्च हो जाए। अपने आका के हुक्म की तामीली के लिए यह दोनों नेता हवाई जहाज से मुम्बई रवाना हुए। आपको बता दें कि यह दोनों ही लोग कई दलों में बड़े-बड़े ओहदों में रह चुके हैं और मौका-परस्ती उनके खून में डीएनए की तर्ज पर दर्ज है। हां, पूजा-नमाज का पाखण्ड तो खूब करते-दिखाते हैं। मुम्बई में इन लोगों ने एक बी-ग्रेड की एक कलाकार को पसंद किया। तय हुआ कि एक रात के लिए एक लाख रूपये और आने-जाने का हवाई जहाज व टैक्सी का टिकट। इस एक्ट्रेस को बताया गया कि नेता जी को किसी भी कीमत पर खुश करना होगा। अगर तुम नेता जी को खुश कर गयीं तो भारी बख्शीश भी मिलेगी। बात फाइनल हो गयी और आधी रकम पेशगी में दे दी गयी। हवाई अड्डे पर टैक्सी लेकर यह दोनों नेता मौजूद थे। तयशुदा होटल में यह युवती पहुंचायी गयी और होटल के कमरे में उसे टिकाया गया। बाहर दोनों नेताओं की ड्यूटी पहरे पर लगाया गया। नेता जी चूकि उस समय बड़े पद पर थे, इसलिए काले शीशे वाली गाड़ी में चुपचाप होटल पहुंचे। सीधे कमरे पर पहुंचे। चूंकि नेता जी को जरूरी विभागीय बैठक में जाना था, इसलिए वे एकाध घंटे में फारिग हो कर होटल से कूच कर गये। उम्र का तकाजा भी तो था ना, इसीलिए। लेकिन इसके बाद मोर्चा सम्भाला इन दोनों नेताओं ने उस औरत के साथ लगभग जबरिया दुष्कर्म किया। रात भर। जैसे किसी लाश को सियार झिंझोड़ते हैं। खूब नोची-खरोची गयी वह महिला। सुबह इस महिला को इन नेताओं ने फ्लाइट का टिकट थमाते हुए 25 हजार रूपया दिया और बोले कि तुम्हारी परफारमेंस से नेता जी खुश नहीं थे, इसीलिए बकाया रकम काट लिया है। अब ऐतराज करने का मौका था औरत का। बोली:- नहीं रकम तो पूरी ही चाहिए। साथ ही चूंकि बात तुम्हारे नेता की थी, मगर तुम दोनों ने शिरकत थी। इसीलिए अब तीन लोगों के हिसाब से मेहनताना लूंगी। पूरा का पूरा तीन लाख रूपया। अररररररररर्रे इस्‍स्साली साली रंडी--- : नेता जी भड़के और नमाजी दाढ़ी वाले नेता ने एक करारा झांपड़ उस औरत के चेहरे पर रसीद दिया। अप्रत्याशित हमले के चलते यह महिला चक्करघिन्नी होकर दीवार से जा लड़ी और फर्श पर पसर गयी। चेहरे पर चोटें भी आ गयीं। माथा व होंठ फटने खून रिसने लगा। दोनों उस महिला पर जुट गये और दस-पांच लात-घूसों से पीट गया। बेचारी इतनी मार खाने के बाद खामोश ही रह गयी। उसने अपने सारे कपड़े सम्भाला और बेड की चादर के साथ ही तौलिया वगैरह पैक कर बाहर निकल गयी। नेता-द्वय उसके आगे-आगे जा रहे थे। रिसेप्शन में पहुंच कर वह डे-ड्यूटी डेस्क पर पहुंची और थोड़ी ऊंची आवाज में रिसेप्शनिस्ट से बोली:- जरा पुलिस कंट्रोल-रूम को फोन कर दीजिए प्लीज। इस होटल में मेरे साथ सामूहिक बलात्कार किया गया है। बलात्कार करने वाले तीन में से दो लोग यही खड़े लोग हैं। और उनका सारा वीर्य जिस चादर-तौलिया में दर्ज है, वह मेरे पास बैग में है। उपसंहार: इस हादसे से बेहद सकपकाये एक नेता ने अपनी पैंट में ही पेशाब कर लिया और माजरा भांप कर दाढ़ी नेता ने उस महिला के पैर पकड़ कर फौरन बोला:- बहनजी माफ कर दो। बातचीत शुरू हो गयी। होटल की प्रतिष्ठा का भी सवाल था। सो, तय-तोड़ हुआ और एक घंटे के भीतर पूरा का पूरा दस लाख रूपया इस महिला के हवाले कर दिया गया। कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से


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