व्यवसायिक सैरोगेसी पर लगेगा प्रतिबंध,अगले संसदीय सत्र में पेश होगा बिल

वामा            Aug 24, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। भारत के कैबिनेट ने किराए पर कोख यानी सरोगैसी पर जिस प्रस्तावित बिल को मंज़ूरी दी है उसके मुताबिक व्यवसायिक सरोगैसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इस प्रस्तावित बिल में सरोगैसी को लेकर नए प्रावधान लाए गए हैं। विदेशी नागरिकों को भारत में सरोगेसी कराने की अनुमति नहीं होगी। इसके अनुसार अगर कोई दंपत्ति सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को नहीं अपनाता, तो उन्हें 10 साल तक की जेल या 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। सरोगेसी को लेकर भारत में कोई कानून नहीं है। आरोप लगते हैं कि इसके कारण कई गरीब महिलाओं का शोषण होता है। पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, “ये कानून व्यवसायिक सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए और परोपकारी सरोगेसी को नियमित करने के लिए लाया जा रहा है।” किसी महिला को पूरी ज़िंदगी में सिर्फ़ एक बार सरोगेट मां बनने की इजाज़त होगी। सरोगेसी से हुए बच्चे अपनाने वाले दंपत्ति के लिए महिला की उम्र 23 और 50 वर्ष के बीच और पुरुष की उम्र 26 और 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। लेकिन क्या ऐसा करने से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे या फिर समलैंगिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा? सुषमा स्वराज ने कहा, "हम लिव-इन रिलेशनशिप और समलैंगिक रिश्तों को रेकिग्नाइज़ नहीं करते हैं और इसलिए हम उन्हें इसके लिए हक़दार नहीं बनाना चाहते।" सरोगेट महिला बनने के लिए उसका विवाहित होना और एक स्वस्थ्य बच्चे की मां होना ज़रूरी होगा। सरोगेसी क्लीनिक का रजिस्टर्ड होना ज़रूरी होगा। अगर क्लीनिक सरोगेट मां की उपेक्षा करता है या फिर पैदा हुए बच्चे को छोड़ने में हिस्सा लेता है तो क्लीनिक चलाने वालों पर 10 वर्ष की सज़ा और 10 लाख तक का ज़ुर्माना लग सकता है। सरोगेसी की अनुमति नज़दीकी रिश्तेदार को दी गई है. सरोगेसी से पैदा हुए बच्चे को सभी कानूनी अधिकार होंगे। सुषमा स्वराज ने कहा, “जो चीज़ ज़रूरत के नाम पर शुरू की गई थी, वो अब शौक़ बन गई है. सेलेब्रिटीज़ के कितने ही ऐसे उदाहरण सामने हैं जिनके अपने दो-दो बच्चे हैं, बेटा और बेटी दोनो हैं, तब भी उन्होंने सरोगेट बच्चा किया है। ये अनुमति ज़रूरत के लिए है, शौक़ के लिए नहीं और न इसलिए कि पत्नी पीड़ा सहना नहीं चाहती, इसलिए चलो सरोगेट बच्चा कर लेते हैं।” प्रस्तावित कानून के अनुसार सरोगेसी की अनुमति तभी दी जाएगी जब दंपत्ति में से कोई भी पार्टनर बांझपन का शिकार हो, जिसके कारण दंपत्ति अपना बच्चा पैदा नहीं कर सकते हों। सरोगेसी के लिए दंपत्ति की शादी को कम से कम पांच साल हो जाने चाहिए। अगर दंपत्ति का कोई अपना बच्चा हो या फिर उन्होंने कोई बच्चा गोद ले रखा हो, तो उन्हें सरोगेसी की इजाज़त नहीं होगी। हैदराबाद स्थित डॉक्टर पद्मजा फ़र्टिलिटी आईविएफ़ सेंटर के दिवाकर रेड्डी सरोगेसी के मुद्दे पर लग रहे कई तरह के आरोपों को ख़ारिज करते हैं। वो कहते हैं कि ये आरोप की सरोगेसी में गरीब महिलाओं को लूटा जा रहा है, या फिर उनकी मौत तक हुई है, ग़लत हैं। इस बिल को संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। इसके अंतर्गत एक राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड बनाया जाएगा और और उसके नीचे केंद्र और राज्यों में बोर्ड होंगे। राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड के प्रमुख स्वास्थ्य मंत्री होंगे और तीन महिला सांसद इसकी सदस्य होंगी।दो सांसद लोकसभा से होंगी और एक राज्य सभा से।


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