शर्मनाक:छात्राओं के लिये नरक बनते कस्तूरबा स्कूल,जिस्मफरोशी के लिये शिक्षिकायें डालती थीं दबाव

वामा            Sep 21, 2015


मुरादाबाद से महीपाल सिंह गरीब बच्चियों को शिक्षित कराने के लिए सरकार ने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय खोले थे। इन बच्चियों को निशुल्क शिक्षा और आवास मुहैया कराने की इस योजना के तहत सभी जनपदों में बालिका विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं। इन स्कूलों में वार्डन और टीचर महिलायें रखी गयी हैं। लेकिन ये आवासीय विद्यालय यहां रहने वाली बच्चियों के लिये नरक साबित हो रहे हैं। मुरादाबाद के एक विद्यालय में शिक्षिकाओं द्वारा बच्चियोें पर जिस्मफरोशी के लिये दबाव डालने और ब्लू फिल्म दिखाने का मामला सामना आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार रिठाली के इस विद्यालय की मासूम छात्राओं को जिस्मफरोशी के लिए तैयार करने जैसे गंभीर आरोप बच्चियों के अभिभावकों ने लगाये हैं। बबर्रता की शिकार बच्चियों ने अपने माता-पिता से आप बीती बतायी तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी। बच्चियां स्कूल स्टाफ से कितनी डरी हुईं थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब जांच शुरू हुर्इ् तो बच्चियों ने अधिकारियों के सामने स्कूल की शिक्षिकाओं के तबादले के बाद ही मुंह खोला। तहसील दिवस में अभिभावकों ने बच्चियों के यौन शोषण और दूसरी समस्याओं पर अधिकारियों से शिकायत की थी तो उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। बाद में एक दैनिक द्वारा इस बारे में समाचार प्रकाशित किया गया तो प्रशासन हरकत में आया। बच्चियों से पूछताछ की गयी तो उन्होंने कई हैरतअंगेज कारनामों से परदा उठाया। बीएसए प्रेम चन्द यादव ने वार्डन और उसकी चहेती एक टीचर का तबादला कर जांच शुरु कर दी है। छात्राओं ने वार्डन और टीचर के तबादले के बाद वे सभी राज उगल दिये, जिन्हें बताने से उन्हें मना किया गया था। कई लड़कियों ने बताया कि उन्हें ब्लू फिल्में दिखाई जाती थीं, उन्हें निर्वस्त्र किया जाता था। कुछ लोगों के साथ रात को बाहर भी भेजा जाता था। किशोरावस्था की दहलीज पर पहला पांव रखने वाली बच्चियों ने उन्हें जबरन यौन शोषण का शिकार बनाने की बात कही है। बच्चियों ने तो इतना कुछ कहा है जिसे यहां नहीं लिखा जा सकता। महिलाओं के संरक्षण में इन बच्चियों को इसीलिए रखा जाता है कि वे बच्चियों को पुरुषों से बेहतर समझ सकती हैं और महिला-महिला से हमदर्दी भी रखेगी लेकिन यहां ये मातायें ही अपनी बेटियों सरीखी छात्राओं को नारकीय जीवन जीने को मजबूर करने पर तुल गयीं। यह बेहद गंभीर मामला है। इस मामले में हैरानी वाली बात यह है कि दोषी शिक्षिकाओं बर्खास्त या निलंबित करने के बजाय उनका तबादला कर दिया गया। बेहतर होगा कि राज्य सरकार सभी कस्तूरबा विद्यालयों की खुफिया जांच कराये। इस संबंध में मंडलायुक्त मुरादाबाद सुभाष चंद शर्मा से इस बाबत उनका पक्ष जानने के प्रयास कई बार किया गया पंरतु हर बार व्यस्तता के चलते न तो उनसे मुलाकात हो सकी और न ही उनका फोन रिसीव किया गया।


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