सुप्रीम कोर्ट का एतिहासिक फैसला:24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की दी इजाजत

वामा            Jul 25, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक महिला को 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत दे दी। कोर्ट ने एमटीपी एक्ट की धारा-5 के तहत महिला को यह इजाजत दी। यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठि‍त सात केईएम मेडिकल कॉलेज की 7 सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया गया। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि इस कदम से महिला की जान कोई खतरा नहीं है। कमेटी ने कहा कि भ्रूण चिकित्सीय असामान्यताओं के साथ पीड़ित है। भ्रूण में न तो खोपड़ी और न ही लीवर है। इसके साथ ही भ्रूण की आंत भी शरीर के बाहर से बढ़ रही है। पैनल ने बताया कि यह भ्रूण जन्म पर बच नहीं पाएगा। लेकिन अगर महिला बच्चे को जन्म देती है तो उसकी जान को खतरा है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश होते अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'इस मामले में केंद्र MTP एक्ट की धारा 5 के तहत गर्भपात की इजाजत दे सकता है, क्योंकि इस मामले में मां की जान को खतरा है। बाकी की धाराओं को लेकर हम अभी कुछ नहीं कहना चाहेंगे, क्योंकि ये एक बेहद गंभीर मामला है। कन्या भ्रूण हत्या के मद्देनजर रियायत देने पर कानून के गलत इस्तेमाल की संभावना है।' सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और अटॉर्नी जनरल की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कहा की हम MTP एक्ट की धारा-5 के तहत गर्भपात की इजाजत देते हैं। धारा-5 में कुछ अपवाद परिस्थितियां हैं, जिनमें 20 हफ्ते के बाद भी गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है। मां की जान को खतरा ऐसा ही एक अपवाद है।


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