हाजी अली में अगली बार आंतरिक कक्ष में जायेंगी तृप्ती,जानें कहां-कहां पाबंदी है महिलाओं पर

वामा            May 12, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई गुरुवार की सुबह हाजी अली दरगाह पहुंची। हालांकि वह मज़ार समेत उन जगहों पर नहीं गईं जहां जाने की हाजी अली ट्रस्ट ने इजाज़त नहीं दी है। इससे पहले 28 अप्रैल को तृप्ति देसाई ने हाजी अली दरगाह में जाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें रोक दिया गया था। कई संगठनों ने भी इसका विरोध किया था। इसके बाद तृप्ति देसाई को वापस लौटना पड़ा था। वहीं आज दरगाह जाने पर तृप्ति देसाई ने कहा है कि उन्होंने महिलाओं के लिए दरवाज़े खोलने की दुआ मांगी है। दरगाह से बाहर आने के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति ने कहा , दरगाह पर मैंने प्रार्थना की कि महिलाओं को दरगाह के आंतरिक पवित्र कक्ष में प्रवेश की अनुमति दी जाए, जैसा कि वर्ष 2011 तक होता था। उन्होंने कहा, इस बार पुलिस ने हमारे साथ सहयोग किया। यह लैंगिक समानता की लड़ाई है। अगली बार हम आंतरिक पवित्र कक्ष में प्रवेश की कोशिश करेंगे। तृप्ति और अन्य महिला कार्यकर्ताओं को पिछले माह दरगाह में प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया था। महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर और त्रयंबकेश्वर मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के लिए अभियान चलाने के बाद उन्होंने अपने इस आंदोलन को मुंबई की प्रसिद्ध दरगाह में ले जाने का फैसला किया था। गत 28 अप्रैल को प्रदर्शनकारियों ने उन्हें दरगाह परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया था। 2011 में लगी थी महिलाओं पर पाबंदी पीर हाजी अली शाह बुखारी की याद में मुंबई के वरली समुद्र तट पर एक छोटे से टापू पर हाजी अली दरगाह स्थित है। देश दुनिया से मुस्लिम और बड़ी संख्या में हिन्दू श्रद्धालु यहां जियारत करने आते हैं। 1431 में सूफी संत की याद में इस दरगाह की स्थापना की गई थी। हाजी अली उजबेकिस्तान के बुखारा से भारत पहुंचे थे। 4500 वर्ग मीटर में विस्तार है दरगाह का, 85 फीट ऊंची है मीनार। 2011 में ट्रस्ट ने हाजी अली के दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई। 2012 में भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने इसके खिलाफ अदालत में अर्जी लगाई। इन जगहों पर रोक नहीं है 1- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (अजमेर) और कलियर शरीफ (रुड़की) में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। यह दोनों बड़ी दरगाह हैं। 2- दरगाह आला हजरत (बरेली) और खानकाह-ए-नियाजिया में महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं है। यहां रोक है 1- हजरत निजामुद्दीन (दिल्ली) और सरहिंद शरीफ (पंजाब) में मुस्लिम महिलाओं के दरगाह में जाने पर रोक है। 2- महिलाओं के कब्रिस्तान में जाने पर भी रोक है। 3- फिलहाल सभी दरगाहों में महिलाओं के चादरपोशी करने से रोका जाता है। 4- दिल्ली जामा मस्जिद में मगरिब की नमाज के बाद महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। इन मंदिरों में भी प्रवेश नहीं मिलता 1- अय्यपा स्वामी मंदिर (सबरीमाला, केरल) में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। 2- बारपेटा सत्र ( असम) में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी कई सदियों से है। राज्य के बाकी वैष्णव मंदिरों में रोक नहीं। 3- मवाली माता मंदिर (धमतरी, छत्तीसगढ़), माता कुंआरी हैं इसलिए दर्शन पर रोक। 4- कार्तिकेय मंदिर (पिहोवा, कुरुक्षेत्र)- सदियों से प्रवेश वर्जित है। प्रवेश करने पर विधवा होने का शाप मिलता है। 5- जगन्नाथ मंदिर (पुरी, ओडिशा) परिसर में बिमला खांडा शक्तिपीठ में महिलाओं को प्रवेश नहीं मिलता।


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