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42 साल जिन्होंने सुध नहीं ली आज वो उनकी कैसे हो गई?

वामा            May 18, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो आप कैसे उसको घरवालों को दे सकते हो? वो 42 साल से उसकी सुध लेने नहीं आए और आज मौत के बाद वो उनकी हो गई? यह सवाल किया है 42 साल से अरुणा शानबाग की देखभाल कर रही केईएम हॉस्पिटल की नर्सों ने। केईएम हॉस्पिटल के डीन अविनाश सुपे के इस बयान के बाद कि अरूणा का शरीर उनके घर वालों को सौंपा जाएगा, अरूणा का ध्यान रख रही नर्सों में खलबली मच गई। अरूणा शानबाग ने मुंबई के केईएम अस्पताल में आज सुबह 8.30 बजे अपनी आखिरी सांस ली लेकिन उनकी मौत के बाद उनके शरीर पर हक को लेकर विवाद बढ़ गया है। 42 साल से अरूणा का ध्यान रख रही नर्सों में से एक कल्पना ने बीबीसी को बताया, आप कैसे उसको घरवालों को दे सकते हो? वो 42 साल से उसकी सुध लेने नहीं आए और आज मौत के बाद वो उनकी हो गई? नर्सों ने अस्पताल प्रशासन के इस निर्णय का विरोध करना शुरू कर दिया और वो अस्पताल से बाहर आ गईं। प्रशासन के इस निर्णय को सही ठहराते हुए डीन अविनाश सुपे ने कहा, कानूनन किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसके शरीर पर उसके परिवार वालों का अधिकार होता है और इसी के तहत अरूणा की बहन और भांजे को बुलाया गया है। अरूणा का ध्यान रख रहीं नर्स स्मिता ने कहा, हमने उसे अपने परिवार की तरह पाला है और सुबह 5.30 बजे से जब उसकी देखभाल होती थी तो यहां सिफऱ् हम मौजूद रहते थे कोई और नहीं। वो कहती हैं, उसको नॉन वेज खाना बहुत पसंद था, खासकर मछली। जो खाना उसे पसंद नहीं होता उसे वो मुंह से उगल देती थी। सुबह 5.30 बजे से अरूणा को स्पंज लगाने के बाद उसे नाश्ता कराने से लेकर उसके सोने तक केईएम अस्पताल की कोई न कोई नर्स वहां जरूर रहती। फिलहाल जिस कमरे में अरूणा को रखा गया था वहां ताला लगा दिया गया है। डीन अविनाश ने भी माना, अरूणा का जाना हमारे परिवार के किसी सदस्य के जाने जैसा है और इसका हमें दुख है।


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