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पीरियड ट्रेकर एप्स से जानकारियां चुराकर महिलाओं के सीक्रेट्स बेच रही कंपनियां

वामा            Jul 23, 2022


अरुण कुमार।

अमरीका में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को गर्भपात कराने पर रोक के साथ ही पीरियड ट्रैकर ऐप्स के डेटा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।

अमरीकी संसद ने पीरियड्स और गर्भपात से संबंधित व्यक्तिगत हेल्थ डेटा जुटाने और कंपनियों को बेचने वाले इन ऐप्स के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

इन ऐप्स को दुनियाभर की 92 करोड़ जबकि भारत की 2.3 करोड़ से अधिक महिलाएं इस्तेमाल करती हैं।

90 फीसदी से अधिक ऐसे ऐप्स महिलाओं की निजी जानकारियां ट्रैक कर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।

व्हाइट हाउस ने आगाह किया है कि जो महिलाएं गर्भपात प्रतिबंधित देशों में रहती हैं और गर्भपात कराने की कोशिश करती हैं तो इन ऐप्स का डेटा उनके खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।

इस खबर के बाद देश-दुनिया की तमाम महिलाओं ने मोबाइल, स्मार्ट वाच, स्मार्ट बैंड और टैब से पीरियड्स ट्रैकर ऐप्स डिलीट करना या फिर लोकेशन ऑफ करना शुरू कर दिया है।

खास बात है कि घटती जनसंख्या वाले कई यूरोपीय देशों की सरकारें भी महिलाओं के मूड को समझने के लिए इन ऐप्स का सहारा ले रही हैं।

इसी बीच साइबर सुरक्षा और वीपीएन कंपनी सर्फशार्क ने जून 2022 में जर्नल ऑफ मेडिकल इंटरनेट रिसर्च में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप्स को लेकर कई खुलासे किए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत समेत दुनियाभर में एप्पल ऐप्प स्टोर पर 20 में से 9 ऐप्स महिलाओं के पीरिएड्स से संबंधित 32 तरह के संवेदनशील डेटा चुराकर विज्ञापन और फार्मा कंपनियों को बेच रहे हैं।

10 ऐप्प महिलाओंं की लोकेशन- वे कहां जाती हैं और किस गायनकोलॉजिस्ट से मिलती है आदि पर नजर रखते हैं। 8 ऐप्स मोबाइल या टैब की लाइब्रेरी से फोटो, वीडियो या स्क्रीनशॉट चुरा रहे हैं।

इसी प्रकार एंड्राइड प्लेटफार्म पर करीब 100 से अधिक पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप्स महिलाओं के उन दिनों का संवेदनशील डेटा चुरा रहे हैं।
पीरियड्स से प्रेंगनेंसी तक समाधान!

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर आधारित पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप्स पीरियड्स के दौरान बदलाव, ड्यू डेट, फर्टिलिटी/कंसीव का सही समय, ओवुलेशन का ग्राफ, मूड स्विंग्स, न्यूट्रिशियन, मेडिसिन, चेकअप, अल्ट्रासाउंड, नींद, वैक्सिनेशन, डिलीवरी और नवजात की देखभाल से लेकर एक्सपर्ट एडवाइस के साथ मेडिकल रिकॉर्ड भी देते हैं। पहली बार मां बनने वाली 18 से 40 साल की कामकाजी महिलाएं इनका ज्यादा इस्तेमाल करती हैं।

88 फीसदी हेल्थ ऐप्स कर रहे ट्रैकिंग
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक करीब 20,000 मोबाइल हेल्थ ऐप्स में से 88 फीसदी यानि 18472 फिटनेस ऐप्स, बैंड, स्मार्टवाच और टैब यूजर्स की संवेदनशील जानकारी ट्रैक कर रहे हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि दो-तिहाई ऐप्स एडवरटाइजिंग पहचानकर्ता या कुकीज को कलेक्ट करते जबकि एक तिहाई ऐप्स यूजर्स के ई-मेल एड्रेस और आईडी चुरा रहे हैं। 616 हेल्थ ऐप्स यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी ऐप्स को भेज रहे हैं।

डेटा सुरक्षा पर सख्त कानून जरूरी
डेटा की पूरी जानकारी ऐप्प कंपनी को होती है, लेकिन नियम और शर्तों के अनुसार डेटा तीसरे पक्ष को भेजना बड़ा साइबर अपराध है। इसके लिए कंपनियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ जुर्माना भी हो सकता है।

चूंकि भारत समेत दुनिया के तमाम देशोंं में डेटा सुरक्षा पर सख्त कानून नहीं है कंपनियां इसी का फायदा उठाती हैं।

वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजीटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चेन्नई
टॉप 10 पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप्स
ऐप्स यूजर्स (करोड़ में)
फ्लो 20.0
पीरियड ट्रैकर कलेंडर 15.2
पीरियड कलेंडर 3.8
क्लू पीरियड 04.3
पीरियड ट्रैकर 03.5
मीट यू 03.3
लांग पीरियड कलेंडर 03.0
वोव्यूलेशन 02.8
पिंकबर्ड 01.9
माया 01.5
स्रोत : आईओएस, एंड्राइड प्लेटफार्म 2022
टॉप 10 पीरियड्स ट्रैकिंग एप्स का कारोबार
ऐप्स कमाई (लाख डॉलर में)
फ्लो 59.0
लुनालुना 3.9
फिमोमीटर फर्टिलिटी ट्रैकर 2.1
क्लू
2.0
फिमोमीटर पीरियड ट्रैकर 2.0
पीरियड कलेंडर 20.2
ग्लो 0.81
क्लू पीरियड ट्रैकर 0.78
लानुने 0.48
ईव 0.38
स्रोत : स्टेटिस्टा 2022
पत्रिका से साभार

 



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