मल्हार मीडिया ब्यूरो। रायपुर। प्रख्यात पंडवानी गायिका पद्मभूषण तीजनबाई को शनिवार को दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ा है। उन्हें भिलाई के सेक्टर 9 स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां पर उन्हें आईसीयू में डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
तीजन बाई ने हाल ही में अपने जीवन के 72 वर्ष पूरे किए हैं। इस उम्र में भी उन्होंने पिछले साल मार्च में बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अस्सी घाट पर पंडवानी प्रस्तुत कर वहां के दर्शकों का दिल जीत लिया था।
छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार तीजनबाई का डाक्टरों ने उपचार शुरू कर दिया है और उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। तीजनबाई पंडवानी की कापालिक शैली की गायिका हैं। उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया है।
पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित
तीजन बाई की लोक शैली और गायन को देखते हुए 1988 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और 2003 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से अलंकृत की गई। उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार तथा 2007 में नृत्य शिरोमणि से भी सम्मानित किया जा चुका है। वहीं बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।
13 वर्ष की उम्र मेंं पहली मंच प्रस्तुति
भिलाई के गांव गनियारी में जन्मी तीजन बाई के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था। तीजन अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियां गाते सुनाते देखतीं और धीरे धीरे उन्हें ये याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने उन्हें अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया। 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना पहला मंच प्रदर्शन किया।
वेदमती और कापालिक शैली को मिश्रित कर पंडवानी गायक की अकेली कलाकार
पूर्व में महिला पंडवानी गायिकाएं केवल बैठकर गा सकती थीं, जिसे वेदमती शैली कहा जाता है। पुरुष खड़े होकर कापालिक शैली में गाते थे। तीजनबाई वे पहली महिला थीं जो जिन्होंने कापालिक शैली में पंडवानी का प्रदर्शन किया।
एक दिन ऐसा भी आया जब प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और तबसे तीजनबाई का जीवन बदल गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
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