Breaking News

कहें न कहें मानेंगे जरूर, हम जनम-जनम के पाखंडी हैं

वामा            Oct 24, 2018


ममता यादव।
हमारे देश की महिलाएं विदेशों की टीम में शामिल होकर अंतरिक्ष जाती हैं और हमारे देश में मुद्दा क्या है माहवारी पवित्रता अपवित्रता।

उस चीज का विरोध जो किसी भी मनुष्य के सृजन का सबसे बड़ा स्रोत है। 50 साल तक की महिला से सम्बंध बनाकर भी आप पवित्र हैं और महिला अपवित्र? इतना दोगलापन? फिर तो आप भी मंदिर में जाने के पात्र नहीं।

वैसे एक सवाल मेरे मन में कई दिनों से चल रहा है देवी पूजक इस देश के सभी मंदिरों में पुजारी पुरुष ही होते हैं? मंदिर चाहे देवी का हो या देवता का। एक व्यवस्था जो इन दिनों में आराम के लिये तय की गई थी वह पाखंड, ढकोसला बन गई।

सवाल यह आ रहा है जो मैं पूछने से खुद को रोक नहीं पा रही कि कामाख्या मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित क्यों नहीं होता? अगर आप वाकई धर्म की नियम की बात करते हैं तो?

वर्षा मिर्जा मैम की राय से इत्तेफाक रखते हुये मैं भी यही कहती हूँ कि उस दोगलेपन के विरोध में जो औरत को देवदासी के रूप में तो प्रवेश देता है मगर भक्त के रूप में नहीं। उस दोगली सोच के खिलाफ जो 10 साल से 50 साल की लड़की महिला को देह मानकर मना करता है तो मैं अपना यह हक छोड़ती हूँ।

मैं उन मन्दिरों में कभी नहीं जाती जहां भगवान के दर्शन के पैसे लिये जाते हों, अब यह भी सही। हमारे भगवान तो हमने खुद ही तय कर लिये उनसे मिलने उनके दर्शन के लिये हमें कहीं नहीं जाना। वे हमारे आसपास, हमारे साथ हमेशा हैं थे और रहेंगे।

काश कि छोटी बच्चियों से लेकर 60 पार की महिलाओं से हैवानियत पर चुप्पी साधने वाले भगवान से डरते बजाय इन बेकार के पाखंडों और ढकोसलों के। अपने पाप के भागी आप खुद होंगे। कभी न कभी तो आप भी कहें न कहें मगर मानेंगे जरूर कि हम जनम-जनम के पाखंडी।

 


Tags:

500-teachers-in-madhyapradesh

इस खबर को शेयर करें


Comments