प्रभात त्रिपाठी।
Chaitanya Nagar जी की बेटी अपने साथ हुए हादसे के इतने बरस बाद हिम्मत जुटा कर अपने शोषण की दास्तां को समाज के सामने ला पाई। समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं और क्या करूं, किंकर्तव्यविमूढ़ सा महसूस कर रहा हूँ। नागर जी बहुत विचारवान और सौम्य व्यक्ति हैं, बच्चों से मित्रवत भी हैं। फिर भी बच्ची इतने बरसों तक इस दर्द को छुपाए रही। उनकी पोस्ट पर मित्र Sanjiv Kumar Sharma की प्रतिक्रिया सोचने पर मजबूर करती है। "अपने साथ हुए किसी भी तरह के अत्याचार, अनाचार या दुराचार के बारे में बताने के लिए हमें यदि इतने प्रबल साहस की जरूरत होती है तो यह हम सब के लिए डूब मरने की बात है।" क्या हम ऐसा समाज नहीं बना सकते जहां अपने साथ होने वाले अन्याय, अत्याचार, शोषण आदि का मुखर विरोध हमारे बच्चे समय रहते ही दर्ज कर सकें। उन्हें शोषण को सामने लाने में शर्म न महसूस करनी पड़े, अपने दर्द को वे अपनों से बांट सकें। हम सब को शर्म से डूब मरना चाहिए कि कि हम ऐसा समाज अपने बच्चों को दे पाने में असफल रहे हैं।
हम चैतन्य नागर और शाम्भवी नागर के साथ हैं और यथासंभव दोषी को पछताने के लिए मजबूर करने में सहयोग करेंगे।
शाम्भवी के पत्र का अनुवाद
'मुझे याद है मुझे हमेशा बड़ों की इज़्ज़त करना सिखाया गया। 'बड़े हैं' यह कहकर यह उन्हें गैर जरूरी सम्मान दिया जाता है। हमारे माता पिता ने हमें अजनबियों से कुछ भी लेने से मना किया, जिन लड़कों से हम मिलते थे, उनसे सावधान रहने को कहा, लेकिन जिस व्यक्ति ने मेरा बचपन छीन लिया वह व्यक्ति वो था जिस पर मेरे माता पिता ने मुझे पढ़ाने के लिए भरोसा किया। मैं गणित में हमेशा से कमजोर थी और मुझे अच्छा ग्रेड चाहिए था, इसके लिए वह आया था - सफेद पूरी बाँह की शर्ट, फॉर्मल पैंट, अजीब सी मुस्कान और चोरों वाली चाल ढाल।
उसने बारह साल की बच्ची का कई तरह से ब्रेन वाश करना शुरू किया। अगर आप 'ग्रूमिंग' टर्म जानते हों तो यह उसका क्लासिक केस है। यह आदमी पचास साल का प्रौढ़ था, मतलब ऐसा जिस पर आप उसकी उम्र के नाते भी सहज भरोसा कर लेंगे।
आगे घटना ऐसे बढ़ी कि मैं बाथरूम में उल्टियाँ कर रही थी क्योंकि उसने मेरे ऊपर इस तरह सेक्सुअल एसॉल्ट किया था कि मैं उस घटना को दोहराना भी नहीं चाहती। यह सब वह दो महीने तक करता रहा, जब तक कि किसी घटनावश उसे ट्यूशन से हटा नहीं दिया गया।
मेरी कहानी जटिल, उलझी हुई और खून में सनी हुई है। इसमें खून से दस्तखत किए हुए पत्र हैं, बाइबिल पर हाथ रखकर खाई हुई कसमें हैं और किसी को बताने पर आत्महत्या की धमकियाँ हैं। उसका नाम सुनील दुआ है जिसने अपने गन्दे स्पर्श और घिनौनी नजरों से मेरा बचपन बरबाद किया। यहाँ तक कि अब मैं किसी लड़के को नहीं चूम सकती क्योंकि मेरे सामने उसका गन्दा चेहरा आ जाता है। अब मेरे लिए चुम्बन किसी कविता की तरह सुंदर नहीं हो सकता, हो ही नहीं सकता।
इन बातों को पाँच साल बीत चुके हैं। लेकिन मैं आज भी बेहद यन्त्रणा में हूँ। मैं उन छोटी बच्चियों के प्रति जिम्मेदारी महसूस करती हूँ जो आगे इस व्यक्ति के घिनौनेपन का शिकार बन सकती हैं।
अगर मेरी इस बात से किसी को लगता है कि मैं अटेंशन सीकर हूँ तो वह मुझे तुरन्त अमित्र और ब्लॉक कर दें।
दोषी व्यक्ति आज भी अशोक नगर और जार्ज टाउन में क्लास ले रहा है, एल चिको जा रहा है, सामान्य जिंदगी जी रहा है , जैसे कि ज़्यादातर यौन हमलावर करते हैं।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि उसे सजा मिले। मैंने सालों तक अपना मुँह बन्द रखा। लेकिन अब समय आ गया है। दोस्तो, मैं अपनी बेड़ियों को तोड़ूँ और आपके सामने वह क्रोध ज़ाहिर होने दूँ जो मैंने अब तक दबा रखा था।'
-शाम्भवी नागर
Shambhavi Nagar is my daughter. She has mustered up enormous courage to write this post. It is self-explanatory. Do what you can, my friends who are journalists, poets, activists, fighting for women's emancipation, and most importantly, women themselves. Shambhavi I am proud of you and will fight with you at every step. I love you. I am thankful to those thousands of people who are supporting her constantly.
Shambhavi Nagar - Since I can remember, I've been told to respect adults."Bade hai", which gives them the unworthy position of a respected person. Our parents taught us not
to accept anything from a stranger, to be careful of the boys we date, but the man who took my childhood was a person my parents trusted to teach me. I was always bad at math, and I needed to get good grades. So there he was, in a white full sleeved shirt and formal pants, a twisted smile and the walk of a thief. He brainwashed the 12 year old me in many ways. If any of you know the term "grooming", it was a classic case of that. He was around 50 years old, an adult, which made him trustworthy by default. The next thing i knew, I was in the bathroom vomiting because he sexually assaulted me in a way I do not wish to recall, even in this caption. And it carried on for 2 months until he was eventually fired. My story is complicated, and messy ,and bloody. It contains letters signed with blood, oaths taken on the bible,and threats of suicide if i told anyone. His name is Sunil Dua, and he took away the child Ihad in me with every dirty touch, every filthy glance. I can't kiss boys anymore, because l picture his face. This is not something to be made beautiful as a poem. It cannot be. It has been 5 years and it still haunts me. I feel responsible towards the other girls who might be a victim to his vices. If anyone labels this as attention seeking,please unfollow/block me immediately. He still takes classes in Ashok Nagar and Georgetown, he goes to El Chico everyday. He's leading a normal life,like most sex offenders. I've prayed to a god I don't believe in to punish him, I have kept shut for years, but it's time. "Undo these chains,my friend. I'll show you the rage I've hidden."
Following is a Hindi translation of Shambhavi's post done by a very good friend of mine
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