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मुसीबतों ने मजबूत बनाया निखत को, ट्विटर ट्रेंड था सपना

वामा            May 20, 2022


मल्हार मीडिया डेस्क।
विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप जीतने के बाद भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन ने कहा कि अपने करिअर में मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने से वह मानसिक रूप से मजबूत बनी, क्योंकि तब उन्होंने स्वयं से कहा कि ‘जो कुछ भी हो मुझे लड़ना है और अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।’

तेलंगाना के निजामाबाद शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस मुस्लिम मुक्केबाज ने कहा कि मुक्केबाजी में अपनी जगह बनाने के लिए उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा।

निकहत ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए इस्तांबुल (तुर्की) में विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में बीते गुरुवार को थाईलैंड की जितपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर फ्लाइवेट (52 किग्रा) वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।


जरीन ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान प्रतिद्वंद्वियों पर दबदबा बनाए रखा और फाइनल में थाईलैंड की खिलाड़ी को सर्वसम्मत फैसले में 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 से हराया।

इस जीत के साथ 2019 एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।

छह बार की चैंपियन एमसी मैरीकॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेखा केसी इससे पहले विश्व खिताब जीत चुकी हैं।

भारत का चार साल में इस प्रतियोगिता में यह पहला स्वर्ण पदक है। पिछला स्वर्ण पदक मैरीकॉम ने 2018 में जीता था।

जरीन ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘इन दो वर्षों में मैंने केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया और मेरे खेल में जो भी कमियां थीं, उनमें सुधार करने की कोशिश की।’

उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने मजबूत पक्षों पर काम किया। मैंने अपने कमजोर पक्षों पर काम किया। मैंने उन सभी पक्षों पर काम किया जिन पर मुझे काम करने की जरूरत थी और खुद को मजबूत बनाया।’

जरीन ने कहा, ‘मैंने अपने करिअर में जिन बाधाओं का सामना किया है, उन्होंने मुझे मजबूत बनाया।

मैं इन सबके बाद मानसिक रूप से मजबूत बनी हूं। मेरा मानना है कि चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे लड़ना है और अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।’

जरीन ने यह भी कहा कि ट्विटर पर ट्रेंड करना उनका सपना था। उन्होंने कहा, ‘क्या मैं ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं?

ट्विटर पर ट्रेंड करना और विश्व स्तर पर अपने देश के लिए कुछ हासिल करना मेरा हमेशा से सपना था।’

जरीन ने इस स्वर्णिम उपलब्धि से दो साल पहले तत्कालीन खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर ओलंपिक क्वालीफायर के लिए ‘निष्पक्ष ट्रायल’ करवाने का आग्रह किया था।


अक्टूबर 2019 में पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन निकहत जरीन ने खेल मंत्री किरेन रिजीजू को पत्र लिखकर भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) पर एमसी मैरीकॉम को वैश्विक खेलों में सीधा प्रवेश देने के लिए नियमों में फेरबदल का आरोप लगाया था।

अपने पत्र में उन्होंने अगले साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक क्वालीफायर्स 2020 के लिए भारतीय टीम का चयन करने से पहले एमसी मैरीकॉम के खिलाफ ट्रायल मुकाबला करवाने की मांग की थी।

इस कारण जरीन को सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल’ किया गया था, जबकि एमसी मेरीकॉम ने कड़े शब्दों में पूछा था ‘कौन निकहत जरीन?’ जरीन इसके बाद ट्रायल में मेरीकॉम से हार गईं जिससे वह टोक्यों खेलों में जगह नहीं बना पाईं।


इससे पहले 2011 की जूनियर विश्व चैंपियन जरीन को कंधे की चोट से भी जूझना पड़ा, जिससे वह एक साल तक खेल से बाहर रहीं और 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप में भाग नहीं ले पाईं।

जरीन ने कहा, ‘मैं 2017 में कंधे की चोट से परेशान रही, जिसके लिए मुझे आपरेशन करवाना पड़ा और मैं एक साल तक प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाई थी।

मैंने 2018 में वापसी की लेकिन अपने चरम पर नहीं थी, इसलिए बड़ी प्रतियोगिताओं जैसे राष्ट्रमंडल खेल, एशियाड और विश्व चैंपियनशिप में खेलने से चूक गई।’’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैंने हार नहीं मानी और 2019 में वापसी के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। मैंने सभी प्रतियोगिताओं को एक अवसर के रूप में लिया है और मुझे खुद पर विश्वास था। उसी की वजह से मैं आज यहां हूं।’

जरीन अब राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रायल की तैयारी करेंगी, जिसके लिए उन्हें अपना वजन घटाकर 50 किग्रा करना होगा। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रमंडल खेलों में 50 किग्रा वर्ग होता है, मैं अब इसके लिए तैयारी करूंगी।’

तेलंगाना की रहने वाली 25 वर्षीय मुक्केबाज ने पेरिस ओलंपिक के लिए तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन यह तय नहीं है कि वह किस भार वर्ग में खेलेंगी. उन्हें या तो 54 किग्रा या फिर 50 किग्रा में भाग लेना होगा।

जरीन ने इस बारे में कहा, ‘भार वर्ग बदलना मुश्किल होता है फिर चाहे आपको कम वजन वर्ग में भाग लेना हो या अधिक वजन वर्ग में। कम भार वर्ग से अधिक भार वर्ग में हिस्सा लेना अधिक मुश्किल होता है।’

 



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