हरियाणा से गौरव सागवाल।
पुरुषवादी सोच हमेशा से समाज पर हावी रही है। यह सोच आए दिन किसी न किसी रुप में सामने आ जाती है। रेप के मामलो में हरियाणा की छवि खराब हो रही है। लेकिन अब एसिड भी। एक महिला का चेहरा ही उसका आकर्षण का केंद्र होता है। लोग चेहरे पर ही मोहित होते है।
जब आप वो हासिल नहीं कर पाते तो ऐसे कुकर्म कर बैठते हैं। ताजा मामला अंबाला के पॉश इलाके का है जहां कल एक महिला पर एसिड अटैक हुआ। जिसने दोबारा से वो सभी मामले जिंदा कर कर दिए जो पिछले कुछ सालों में हुए है।
आप किसी महिला को हासिल नहीं कर पाते हैं तो विकृत मानसिकता जाहिर कर देते हो,खास बात ये कि एसिड अटैक को लेकर देश में कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं हैं। ऐसा कोई आंकड़ा जो बता सके की कितनी महिलाएं पीडित है इससे।
10 अप्रैल 2015 को कोर्ट इस पर सख्त हुआ था। एक 9 साल पुराने मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोई भी अस्पताल तेजाब हमले के पीड़ित के इलाज से मना नहीं कर सकता। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों को तेजाब हमले के शिकार को फौरन कम से कम तीन लाख रुपये की मदद मुहैया करानी होगी।
साथ ही पीड़ित को मुफ्त इलाज मुहैया कराना भी सरकार की ही जिम्मेदारी है। मुफ्त इलाज का मतलब पीड़ित के अस्पताल के अलग कमरे, खाने और दवाइयों के साथ-साथ सर्जरी का भी खर्च सरकार ही करेगी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि एसिड अटैक के पीड़ित को सर्टिफिकेट भी मिलेगा जिससे भविष्य में उसे सारी सुविधाएं मिल सकें। ये सर्टिफिकेट पीड़ित की प्रथामिक चिकित्सा करने वाला अस्पताल जारी करेगा।
कानून जितने बना लें लेकिन महिलाओं पर ये हमले रूकने का नाम नहीं ले रहे है। और आखिर में सवाल वो ही की इस तरह चेहरा जला देने से हासिल क्या होता है भाई?
फेसबुक वॉल से।
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