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पिता को शादी के कर्ज से बचाने बेटी कुंऐ में कूदी

वामा            Apr 15, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।
महाराष्ट्र में लातूर के भिसे वाघोली गांव में अपने पिता को कर्ज से बचाने के लिए एक 20 साल की एक लड़की ने कुएं में कूद कर जान दे दी। गांववालों का कहना है कि गरीबी और फसल चौपट होने से उसके पिता शादी का खर्च उठाने में असमर्थ थे। हताश बेटी ने पिता के हालात के आगे मौत को गले लगाने बेहतर समझा।

ख़ुदकुशी से पहले 20 साल की शीतल ने एक ख़त भी लिखा था जिसमें उसने कहा "मैं अपने पिता को आर्थिक बोझ से बचाने के लिए जान दे रही हूं। इसके साथ ही मैं अपने मराठा-कुनबी समुदाय में दहेज प्रथा का अंत कर रही हूं।"

पिछले पांच साल से फसल ख़राब होने की वजह से हमारे परिवार की आर्थिक हालत बेहद ख़राब हो चुकी है। मेरी दो बहनों की शादी अत्यंत साधारण तरीके से हुई। मेरी शादी के लिए पिताजी हर तरह का प्रयास कर रहे हैं। चूंकि महाजनों या बैंकों से कोई कर्ज नहीं मिला इसलिए दो साल से मेरी शादी रुकी रही। इसलिए अपने पिता को बोझ मुक्त करने और मराठा समुदाय में "देवान-घेवान" प्रथा को ख़त्म करने के लिए अपनी जान दे रही हूं।"

लातूर की एक बिटिया को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिये एक करोड़ रूपये से सम्मानित कर रहे थे, उसी वक्त लातूर की एक और बिटिया ने अपना आख़िरी ख़त लिखा होगा, 20 साल की शीतल वायाल ने ख़त लिखने के बाद कुएं में कूदकर जान दे दी।

सालों से किसानों के हालात सुधारने में नाकाम कांग्रेस-एनसीपी सत्ता जाने के बाद संघर्ष के लिये उतरी हैं सो उनका काफिला शीतल के घर पर भी आया पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और लातूर से विधायक अमित देशमुख ने शीतल के घरवालों से मुलाकात कर उन्हें मदद का भरोसा दिया।

महाराष्ट्र में पिछले कई सालों ने सूखे से हालात बद से बदतर कर दिये, खासकर मराठवाड़ा के 8 जिलों में जनवरी 2016 से 25 दिसंबर 16 तक 1023 किसानों ने आत्महत्या की अकेले लातूर में ये आंकड़ा 109 था। जबकि पूरे राज्य में 2016 में 3052 किसानों ने ख़ुदकुशी की।

सूखे के बाद बेमौसम बरसात से भी मराठवाड़ा में करीब ढाई लाख एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई थी। 2017 में अबतक महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से तकरीबन 400 किसानों के खुदकुशी की खबर है, विपक्ष चाहता है सरकार यूपी की तर्ज पर महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज माफ करे, महाराष्ट्र सरकार फिलहाल इस माफी की पढ़ाई करना चाहती है वैसे उसका मानना है कि कर्जमाफी किसानों को उबारने का कोई स्थाई विकल्प नहीं है।



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