चमचे ने नेताजी को कहा ठीक हैं दादा ..चलता है . नेताजी ने उसकी पीठ थपथपाने लगे और जहरीली मुस्कान फेंक कर कहा कि ये मूर्ख बनाने का उसूल हमनें तो नही बनाया .हम तो केवल फालो करते है। मैंने कहा कि किसी ने सही कहा है कि मूर्खो पर शासन करना आसान होता है ,जनसेवा तो बहाना है सिर्फ मेवा खाने मे ही सिद्ध हस्त होते है तो जैसे तैसे पिंड छुड़वाया नेताजी ने ।
जाने -अनजाने में मूर्खता करना हमारा प्रकृति प्रदत्त एक लक्षण है अप्रेल फूल तो फ़िल्म का टाइटल मात्र है और जब मूर्खता खुलेआम करने का दिन मुक़रर्र किया है तो आईये क्यों न मिलकर मूर्खता के महान दिन हम मूर्खता जरुर करें अपने आप को इससे वंचित न रखें और अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दें । क्योंकि मूर्ख ही महान है जिनके कण -कण में मूर्खता रची-बसी है इसके कई उदाहरण भरे-पड़े है अत: महानता के लक्षण को बनाये रखें आओ मिलकर अप्रेल फूल बनाए ।
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