अब तो सो जाओ बाबा! देव भी सो गये!

वीथिका            Jul 29, 2015


rakesh-achal राकेश अचल! हमारे देश के सभी देवी-देवता चार महीने के लिए सो गए हैं। कोई क्षीर सागर में जा सोया है,तो कोई हिमालय पर। सबके अपने-अपने पसंदीदा 'डेस्टीनेशन'हैं। चौमासे में सो जाना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इस मौसम में सड़क पर चलिए तो हादसों का खतरा। नासमझी से खा-पी लीजये तो सेहत को खतरा । यानी हर तरीके से खतरे में है जान हमारी। विडंबना ये है कि हमारे देश के नेता बारहों महीने जाग कर भी सोते रहते हैं। अब देखिये संसद जागना चाहती है तो सब मिलजुल कर उसे सुलाने पर आमादा हैं,हमारे सूबे में तो विधानसभा को सुला कर ही दम लिया इन राष्ट्रभक्तों ने। लगता है ये सभी चातुर्य मास की साधना हेतु जाना चाहते थे। अब जिसे नहीं सोना है,उसे कोई जागने से तो रोक नहीं सकता। अब जो लोग उलूक गति को प्राप्त हो ही चुके हैं तो उनके प्रति संवेदनाएं जताने के अलावा और क्या किया जा सकता है। हम तो कहते हैं की वे लोग चतुर सुजान हैं जो सोते हुए भी जागते हैं और वे निपट मूढ़ हैं जो जागकर भी सोये रहते हैं। मुमकिन है की आप मेरी इस अवधारणा को धारण न करें,मुझसे असहमत हों,लेकिन मुझे कोई उज्र नहीं। इस देश में सभी को असहमति का मौलिक अधिकार होना ही चाहिए। अब याकूब मेनन को फांसी के मुद्दे पर देश की सबसे बड़ी अदालत के तीन में से दो जज साहिबान असहमत हैं तो हमने कुछ कहा?ये मोती सी बात हमारे पंत प्रधान नहीं समझते। जहां अश्मिति नहीं वहां जीने का क्या मजा? चलिए बात शयन की हो रही थी,सो वहीं लौट कर आते हैं। चौमासे में सोने के लिए अगर आपके पास अर्नलीव्ह है तो उसका धड़ल्ले से इस्स्तेमाल कीजिए,फिर कब काम आएगी ये छुट्टी?कलाम साहब तो छुट्टियों के सख्त खिलाफ थे,हम भी हैं,लेकिन अब सरकार देती है छुट्टी तो हम भी क्या करें? इस देश में छुट्टी जन्मसिद्ध अधिकार है। कोई मरे तो छुट्टी चाहिए,कोई जन्मे तो छुट्टी चाहए। मेडिकल की छुट्टी,प्रसूति की छुट्टी,ऐच्छिक छुट्टी,अनैच्छिक छुट्टी। हमें दीवाली नहीं मनाना तो भी छुट्टी,उन्हें ईद नहीं मनाना तो भी छुट्टी। दरअसल ये छुट्टियां दी ही इसलिए जातीं हैं ताकि आप जमकर सोएं और अपनी सेहत दुरुस्त रखें। आपका डाक्टर भी आपसे कहता ही होगा की पूरी नींद लीजिये। फिर लेते क्यों नहीं भाई?मै तो मनुष्य योनि में आकर छुट्टियों के लिए तरसता हूँ। दिहाड़ी का आदमी हूँ,यदि छुट्टी ले लून,तो घर का चूल्हा ही न जले और घर वाली मेरी ही छुट्टी कर दे,लेकिन आपके साथ तो ये प्राब्लम नहीं है?आप चाहे जितनी छुट्टियां ले सकते हैं,आप छुट्टी लेकर अच्छे-अच्छों की छुट्टी कर सकते हैं। अरविंद केजरीवाल ने और क्या किया?जबरिया समय से पहले सेवा निवृत्ति ले ली,ये भी तो एक तरह की छुट्टी हुई न जनाब? खैर,मै आपको ज्यादा नहीं पकाना चाहता। मै तो आपको छुट्टी महत्तम समझा कर आपका कल्याण करना चाहता था। आप अपना कल्याण नहीं चाहते तो आप जाने.सरकार तो आपका कल्याण कर ही रही है। कभी मंहगाई बढ़ा कर ,कभी शेयर बाजार के दाम लुढ़का कर। अंत में फैसला आपको करना है की आप छुट्टी लेंं या न लें? राकेश अचल के फेसबुक वॉल से


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