आप और हमारा टेंशन

वीथिका            Feb 04, 2015


संजय जोशी 'सजग ' मनुष्य प्राणी मात्र के चारों ओर टेंशन के भूतो का डेरा लगा हुआ है सही भी है सभी टेंशन में मग्न रहते है और एक दूसरे को टेंशन में देखकर सुख की अनुभूति करते है अगर गलती से अपनी ख़ुशी का इजहार कर भी दिया तो आपकी ख़ुशी को दमन करने का षड्यंत्र रच दिया जाता है वे अपने ही होते है जो टेंशन के इतने आदि है कि न खुश रहेगे और न दूसरो को रहने देगे यह सब आदत बन चुकी है दिल है की मानता ही नही ..बिना टेंशन के । अपुन तो सामजिक प्राणी होने के नाते अपना फर्ज अदा कर मिलने वालो के हाल चाल यदा-कदा पूछ लेते है हमेशा की तरह यही सुनने को मिलता है बहुत टेंशन में हूँ क्या करे ,यह सब राजनीतिक, सामजिक ,राष्ट्रीय .,अंतराष्ट्रीय समस्या की चिंता करने की मानसिकता जो बन गई है । टेशन आजकल चर्चा का मुख्य विषय बनता जा रहा है इसके बिना न कोई चर्चा शुरू होती है न खत्म I यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गई है इसकी की न कोई सीमा ,न कोई आकार बस टेंशन तो टेंशन है । कंप्यूटर , इंटरनेट .और मोबाईल के विस्तार ने जहाँ दुनिया को छोटा किया वहीं टेंशन को बहुत बड़ा कर दिया । हमारी कालोनी में तथाकथित बुद्दिजीवियो की भरमार है यहाँ सब टेंशन लेने और टेंशन देने में पारंगत है ,एक महाशय से मैंने पूछ लिया की भाई सा क्या हाल चाल है वह तुनककर बोले बहुत टेंशन है और क्या होगा कलियुग में , मेने सहज होकर कह कि क्यों टेंशन लेते हो क्या होगा इससे ,अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दीजिये इस पर गम्भीर होकर बोले की रोज यही सोच कर सोता हूँ कि कल से टेंशन बिलकुल नही पालूंगा पर वह सुनहरा कल कब आएगा पता नही ..सुबह उठते ही कमबख्त न्यूज़ चेनल और अखबार फिर टेंशन में धकेल देते है ..उनका भी क्या दोष है देश में हत्या, अपहरण ,बलात्कार , भ्रष्टाचार,रिश्वत , दुर्घटना ,पेट्रोल व डीजल के भाव .महगाई,रूपये व शेयर का गिरना और आजकल यौन उत्पीडन के बढ़ते मामले जीवन को सुकून नही टेंशन ही देते है समाज में उच्च स्थान रखने वाले ..नेता .संत और पत्रकार लोग ऐसा करेंगे तो आम जन का टेंशन बढना लाजमी है I हमारे शरीर में कोई सेफ्टी वाल नही है ..जो ..प्रेशर कुकर की तरह ...ज्यादा प्रेशर होने पर अपना काम करता है और दुर्घटना नही होती . मनुष्य नाम के प्राणी तो इश्वर को प्यारे हो जाते है । पहले के जमाने में बीमार होने के बाद अस्पताल जाया करते थे आजकल बीमारी के पहले ही प्री.मेडिकल चेकअप..कराना पड़ता है अब रिवाज बन चुका है है जो न कराये वह आधुनिक नही कहलाता ..यह सब टेंशन का कमाल है आधुनिक जीवन शैली में हम चारो तरफ से मशीनों से घिरे है । अपने हाथ -पाँव हिलना भी बंद होगये है और शरीर जाम सा हो गया है जिसका आलम तनाव Iफास्ट फ़ूड खाकर जीरो फिगर के लिए संघर्ष करना हमारी प्रवृति और इससे निवृति टेंशन देता है। आजकल राजनीति में कुछ ज्यदा ही टेंशन चल रहे है और चलते रहेगें ...कोई "आप" विचलित है तो कोई अपनों से और अपने आप से और कर भी क्या सकते है आप ने इतना टेंशन दे दिया है अच्छे -अच्छो की नींद व होश उड़ा रखे है। जनता के टेशन भुनाकर एक राजनितिक दल उदय का हुआ .और .आम जन को टेशन का डर दिखा -दिखा कर चुनाव तो जित लिया पर आप को "अपनों ने ही लूटा गेरो में कहाँ दम था और बगावत. का बिगुल बजकर अच्छे खासे टेशन में लाकर छोड़ दिया , दुध् का जला भी छाछ को भी फूंक -फूंक कर पिता है फिर भी राजनीति में उल्टा ही होता है जिसने सबको टेशन दिया उसको बिन्नी ,किरण आदि ने दे दिया , देश के प्रमुख राजनितिक दल पर आप का खोप इस कदर छा गया की टेशन में उसकी स्टाइल को अपनाने सभी पहरेज नही कर रहे है सता में कोई भी दल हो ।पर टेशन में रहना हम सब का नेतिक कर्तव्य बन गया है आजकल मुफ्त और सब्सिडी के दौर में हर दल की सरकारे दोनों हाथो से लुटाकर भविष्य के लिए टेशन के दरवाजे खोल रही है देश की जनता को ये सब बाद में भारी पढ़ेगी यह तो एसा होगया की जड़ काटते जाओ और पानी देते जाओ मतलब यह है की की उपर से प्रेम दिखाना और हानि पहुंचाना के समान है। क्योकि ये सब तो सत्ता में बने रहना और चुनाव में वेतरनि पार करने का नुस्खा जो है यह पब्लिक है सब जानती है की हमारी स्थिति " आसमान से गिरे और खजूर में अटके जेसी है आम जनता का टेशन कोन जाने "जाके पांव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई । राजनीति के शुद्धिकरण का प्रयास एक सपना लगता है कितना सफल होगा यह तो वक्त बतायेगा Iराजनीति टेशन के चलते गरल सुधा रिपु करही मिताई का अर्थ है दो विरोधी स्वभाव वालो का मिलन भी होजाता है ....सता का पाने का जो टेशन है मानसिक शांति हेतु .ध्यान योंग ,प्राणायम के कई बिजनेस चल रहे है । फिर भी ढाक के तीन पात Iटेंशन का यह भूत एक नयी भावनात्मक बीमारी को जन्म दिया वह है 'मूड"खराब है कोई टेंशन में है इसलिए मूड खराब है और कुछ मूड खराब है इसलिए टेंशन में है यह माजरा रिसर्च का हो गया है और जिनको ये दोनों मे से कुछ भी महसूस नही होता लोग उसे आगरा की याद दिला देते है तुम उसके लायक हो आपको कुछ भी नही होता..याने मानसिक समस्या से ग्रसित लगते हो और उसे भी टेंशन देकर अपना पुनीत कर्तव्य करने से बाज नही आते टेशन युक्त समाज के निर्माण में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते है ऐसे समाजिक प्राणी बहुतायत में पाये जाते है उनका एक ही सपना सब पालो टेंशन अपना ..बिना टेंशन के जीने में कोई जीना है । मानवता पर टेंशन या टेंशन पर मानवत हावी है I टेंशन .कहीं भी .कभी भी किसे भी अपनी गिरफ्त में ले लेता है और भूत सवार हो जाता है ।


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