एक पाती बापू के नाम और सेल्फी विद बॉटल

वीथिका            Oct 02, 2015


rituparna-daveऋतुपर्ण दवे प्रिय बापू, आज 2 अक्टूबर है। हर बरस आता है। आगे भी आएगा। नमन्, शत्-शत् नमन। बस थोड़ा और रुक ले बापू। माला पहनाते तेरी तस्वीर संग एक क्लिक हो जाए। बस, अपनी तो गांधीगीरी हो गई। पता है बापू आज ‘ड्राय डे’ है। पर अपुन को चिन्ता नहीं। पहले से ही इंतजाम करेला है। पूरी बॉटली है बापू वो भी ठेठ देशी। आज तो तुमको थैंकू लेना बनता है। सच बताऊं। छुट्टी का असल मजा तो आज ही होगा। सुबह दो-चार जगह झाड़ू फेर प्रोग्राम में हो आया। इधर का कचरा उधर, उधर का इधर। एकाध जगह अपुन की भी फोटू खिंची। सुनो, आज तो जल्दी टल्ली होकर सोउंगा और सीधे सुबह ही उठूंगा। अखबारों में आई फोटू लेकर पूरे दिन शेखी झाडूंगा। अरे अभी याद आया है। आज तो चैनल वाले भी फोटू दिखाएंगे। वो क्या कहते हैं..... ‘सेल्फी’ भेजो। एक आइडिया आया बापू। सच बताऊं वो जो बॉटली का इंतजाम है न, उसी के संग सेल्फी खींचूंगा। तुम कहोगे कैसा मूर्ख है। भला बॉटल संग सेल्फी ? तुमको पता नहीं बापू तुम्हारे भारत यानी ‘दैट इज इण्डिया’ में कुछ भी इंपॉसिबल नहीं। बस एक कोरा कागज लूंगा, उस पर लिखूंगा ‘शराब पीना पाप है, बापू ने कहा संताप है.....’ समझ गए न। ‘सेल्फी विद बॉटल’ नथिंग इंपॉसिबल कैसा लगा नया फण्डा? बापू मेरे गांव की नदी है न, सूख गई। सच ! सारे शहर की गंदगी से इतना शर्माई, थक, हार गई, कोई देखने सुनने वाला नहीं था। 5-10 बरस पहले ही पता नहीं क्या हुआ धार कम हुई और अब तो खल्लास हो गई। बापू पूरे शहर में सीमेण्ट की सड़कों का जाल फैल गया है। तुम बताते थे मिट्टी में चला करो, बरसात की सोंधी खुशबू लिया करो, हरे घास में नंगे पैर टहला करो और सुबह-शाम “वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाणे रे” गाया करो। पर क्या करूं बापू मिट्टी तो छोड़ रेत तक सोन के भाव बिक रही है। कहां चलूं सीमेण्टेड रोड में? और घास गाय-भैंस को खिलाने को नहीं बची तो घूमने कहां जाऊं? बेशरम की झुरमुट में या हर जगह इकट्ठा कचरे के पहाड़ में। बापू तुम मानते क्यों नहीं पीने के पानी के लिए इतनी मार-काट होती है कि घूमने कि फिकर कैसी? पता है दूसरे मोहल्ले से पानी लाते-लाते खासी मेहनत हो जाती है यही तो घूमना हुआ। तेरा भजन मोबाइल वाले बोलते है आउट डेटेड है, तू ही बता नया वर्जन कहां मिलेगा ? बापू शहर तो छोड़ मेरा गांव भी गंदा हो गया। सुन जो पैसा सरकार ने नाली के लिए भेजा था वो सरपंच की कोठी-गैरॉज में लग गया। अरे एक बात तो बताना भूल गया। तेरी बहू को शौच के लिए बाहर न जाना पड़े सो सरकार ने घर पर ही पक्की लैट्रिन बनवा दी पर क्या बताऊं उसमें लगा टीन का दरवाजा महीने भर में ही कबाड़ी ले गया। ‘सत्य मेव जयते’ वाली पुलिस में रपट लिखाने गया तो उल्टा मुझसे पूछने लगे कि शक किस पर है। बता बापू मैं कैसे बता दूं कि चौधरी का बेटा है। ऐसा करके मार खाने को तेरे जैसे गाल थोड़ी आगे करूंगा। चल छोड़ बापू तू बता कैसा है। जल्दी-जल्दी बता दे। शाम हो रही है। बोतल ठण्डी हो गई होगी। चखने की चिन्ता नहीं है क्योंकि अब तो 5-10 रुपए में पैकेट बंद चटपटे हायजनिक चना-मटर मिल जाते हैं। बापू सुन सुबह मुझे सरकारी अस्पताल भी जाना है पता है क्यों। तेरे जनम दिन पर, सरकारी स्कूल में एमडीएम का खास खाना बना था। पता नहीं कैसे नकली दूध की असली खीर में छिपकली गिर गई जिससे बच्चे बीमार अस्पताल में भर्ती हैं। डॉक्टर तो तेरी फूल-माला का इंतजाम करने सीएमओ के पास शहर चला गया था। गनीमत थी कि अपना मन्तू स्वीपर था न उसका बेटा अस्पताल में बाप की जगह भर्ती हो गया था। भला इंसान है खुद ही बच्चों को बॉटल चढ़ा दिया अब सब ठीक हैं। अच्छा बापू अपुन का टेम हो गया, तुझे पता है न तलब लग रही है। पर बापू एक बात तेरे लिए बहुत अच्छी है। सच्ची बताना तू वहां खुश है कि नहीं? सुन अगर कोई तकलीफ हो तो संकोच नहीं करना। मुझे पता है वहां भी तेरे बहुत से पॉलीटिकल कांपीटीटर पहुंच गए होंगे। तुझे वहां भी चैन नहीं होगी। तू चिन्ता मत करना। उससे भी आगे का जुगाड़ हो गया है। पता है वहां तकलीफ हो तो मुझे चुपचाप एसएमएस कर देना। अगले 2 अक्टूबर तक मैं तेरे लिए मंगल पर जगह रिजर्व करा दूंगा। अभी किसी के दिमाग में नहीं है ये आईडिया। बात अपने तक रखियो। बापू राम-राम।


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