काले धन की महिमा

वीथिका            Jan 29, 2015


संजय जोशी 'सजग ' रोज -रोज सनसनी फैलाई जाती है कोई कहता है काला धन आयेगा कोई कहता है नहीं आएगा और आम जनता इसके गहन अंधकार से प्रकाश की ओर कब लौटेगी या यूँ ही उल्लू बनाविंग चलता रहेगा ,सब अपनी -अपनी रोटी सेंकने में व्यस्त है और गरीब तो बेचारा रोटी का इंतजार ही करता रह जाता है एक अर्थशास्त्री इसे मायाजाल बनाम भ्रम जाल कहते है और अपनी पीड़ा को कुछ इस तरह व्यक्त करते है -धन की अपनी चमक होती है और उसी चमक से प्रभावित इसकी चाहत में लोग धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो गए और कुछ ने गांधारी की तरह आँखो पर पट्टी बांध ली है । काले धन के कारण आये दिन राजनीति में हुद -हुद आता है और काले धन का कमाल रोज होता है ये मीडिया में छाया रहता है और बयान वीर अपने आरोप -प्रत्यारोप का दौर चलाते रहते है झेलने की क्षमता ही खत्म हो गई है और जनता अब कहने लगी है कि विदेश से काला धन वापस आना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगने लगा है । अर्थशास्त्री कहने लगे अरे भाई काले धन की चिंता है तो देश में ही काले धन की अपार सम्भावनायें छिपी है उस पर दांव लगाने में क्या बुराई है अभी केवल तमिलनाडु की नेता ही धराई है ऐसे लाखों होंगे । काले धन के स्वामी में इतनी ताकत है कि इनकी तरफ देखने की क्या सोचने की हिम्मत कोई नहीं करता है अपने काले धन की शक्ति से सब को अपना बना लेता है । वे कहने लगे सपने में आकर काला धन कहने लगा कि काला है तो क्या हुआ दिल वाला है जो दिल लगाता है उसका दिल नहीं तोड़ता हूँ ,अच्छे -अच्छे के इमान डिगा देता हूँ ,हर क्षेत्र में मेरा ही बोल -बाला है सभी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को जान से प्यार हूँ जो जैसा चाहे उपयोग कर रहा है और मैं मौन होकर सब सह रहा हूँ मेरे भाई सफेद धन के अपमान से मै आहत होता हूँ क्योकि ज्यादा तर दीवाली पर मेरी ही पूजा होती है । माता के वाहन उलूक को अंधकार से प्रेम होने से वह मेरी और ही आकर्षित होता है और अँधेरे का लाभ उठाकर मैं फलता फूलता रहता हूँ । मेरा रंग तो हर किसी के साथ बदल जाता है फिर भी काला ही कहलाता हूँ ,जब जब मेरे चर्चे होते है , मैं भी कैद से बाहर निकल कर दीन दुखियों के काम आना चाहता हूँ । पर मुझ पर इतने पहरेदार रहते है कि मैं कुछ नहीं कर सकता lसंत्री से मंत्री तक ने मुझे जकड़ रखा है । भ्रष्ट आचरण से मुक्ति ही मेरी मुक्ति का मार्ग है ,यदि मुझे ईमानदारी से मुक्त कर दिया जाये तो देश की दशा और दिशा दोनों बदल जाएगी और फिर से मेरा यह देश सोने की चिड़िया कहलाने लग जाएगा । जब नींद खुली तो उनका सपना टूटा कहने लगे काले धन की मन की और बातें अधूरी रह गई। काले धन की महिमा तो अपरम्पार है सुबह फिर से अख़बार में वही फिर काले अक्षर में काले धन की खबर मुख्य खबर बनीं ,यही काले धन का कमाल है । सिर्फ और सिर्फ खबर ही बनता है वाह रे काले धन...!


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