क्या साहेब ! हमारे नसीब पर झाड़ू फेर दिया आप ने

वीथिका            Feb 11, 2015


sanjy-loda संजय पी.लोढ़ा उस दप्तर को जहां कभी वीरानी नसीब नही हुई थी, आज वहां मातम पसरा था.. चुनिंदा कार्यकर्ताओ के साथ कुछ खास लोगों का मंथन जारी था। सभी सुबह ही नहा धोकर तैयार हो गये थे , ताकि दोपहर तक मीडिया में जाकर शपथ गहण की तैयारी के बारे में और मफलरमैन पर तंज कसने के लिए दोबारा हुलिया ठीक करने की नौबत न आये। लेकिन देखिये किस्मत ने ऐसी पलटी मारी की कल तक का बदनसीब आज का नसीब वाला हो गया। सुबह से झाडू का का कमाल बढ़ते क्रम में चलता दिख रहा था। यह देखकर आने वाले सारे कदमों का रूख झाडू लेकर खड़े नए नसीबवाले की और हो रहा था। अपनी आदत के अनुसार में दप्तर की खिड़की से झॉक कर अपना कर्तव्य निभा रहा था। तभी सन्नाटे को तोड़ते हुए एक भाई साहब ने कुछ बोलने की हिम्मत की उनकी बात सुनने की मन हो रहा था कि आखिर ठीकरा किसके सर फोड़ेगें? और यह सुनना भी जरूरी था। bjp-cartoon1 उसने कहा कि देखो हमने कहा था जिसे हम तोड़कर लाये थे हैं वो उनसे मिली हुई हंै , यही नहीं हमने कभी एक दल के बारे में कहा था उसके मुक्त भारत का तो , यही कारनामा वो खॉसते -खॅासते कर गये और भाजपा मुक्त दिल्ली कर दी। अब क्या करेंगे.. ये मुंए मीडीया वाले मॅुह उठाये सामने ही खड़े है। अब उनको क्या कहना है? वो पूछेेंगे कि हार की जिम्मेदारी कौन लेगा तो हम क्या कहेंगे? ढीली आवाज में एक खास ने कहा - कह दो इस चुनाव से हमारे साहेब का कोई लेना देना नही था। वो तो केवल हमें सहयोग करने की दृष्टि से आये थे । उनके नाम से हमने कोई चुनाव नही लड़ा। हमने चुनाव लड़ा हमारी सीएम उम्मीदवार के नेतृत्व में और ज्यादा कुछ पूछे तो बोल दो पार्टी में मंथन चल रहा है। हार के कारणो का पता लगा रहे है, शीघ्र ही आपको बता दिया जाएगा। ये तो ठीक है श्रीमान पर ये क्या हो क्या हमारे साहेब ने जितनी सभाएं की उतनी भी सीट नसीब नही हुई। नसीब की बात आते ही दुसरे ने ऐसा टोका कि नसीब की बात मत करो अब हमारे साहेब के बराबर नसीब वाला भी आ गया है। तभी सीएम उम्मीदवार समर्थक बोल पड़ा हमारी हार की जिम्मेदारी हमारी है, सभी के लिए हम जिम्मेदार नही है। सभी एक दुसरे का मुहॅ ताकते हुए देखे जा रहे थे और कह रहे थे कि क्या साहेब ! हमारे नसीब पर झाड़ू फेर दिया ढ्ढआप प्तने । उधर फटाखो के शोरगुुल में आम आदमी मस्त था। और टीवी और सोशल मीडिया पर दिल्ली दिल वालों की और न जाने क्या-क्या बातें सामने आ रही थीं। में भी चुपचाप वीरानी से बाहर निकलकर आम आदमी के जश्न में शामिल हो रहा था।


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