जानलेवा कुरीति, कच्ची शराब के बिना नहीं बजती शहनाई

वीथिका            Jan 24, 2015


अयोध्या से कुंवर समीर शाही कई बार रीतियां कुरीतियां बन जाती हैं। ऐसी ही एक कुरीती फैजाबाद के आसपास के इलाकों में व्याप्त है शादी के समय कच्ची शराब अनिवार्य रूप से परोसा जाना। हालांकि इस कुरीति के कारण कई लोग पहले काल के गाल में समा चुके हैं, लेकिन सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने के डर से लोग इसे आज भी निभाते हैं और पुलिस-प्रशासन इन पर कार्रवाई करने से कतराते हैं। नबाबों की राजधानी रहे फैजाबाद की विडम्बना कहा जाये या फिर कोई सामजिक मान्यता की बाध्यता यंहा के ग्रामीण इलाकों में शादी समारोहों के अवसर पर अगर शराब न परोसी जाये तो शहनाई भी नहीं बजती। याहं दर्जनों ऐसे गांव हैं, जहां एक जति विोष के लोग शादि और शुभ आयोजनों पर कच्ची शराब व्यंजन के रूप में परोसने की तैयारी सबसे पहले करते हैं। कारण शादी में शराब न परोसना सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रश्र बन जाता है। इसीलिए कच्ची शराब की भठ्ठियां महीनों पहले शुभ आयेाजन वाले घरों में चढ़ा दी जाती हैं। लिहाजा, शादी वाले दिन बकायदा पंगत में खाने के साथ शराब भी चलाई जाती है तब जा के सफल शादी मानी जाती है। इस समाज में एक कहावत प्रचालित है सूर्य अस्त शादी मस्त इसके दुष्परिणाम से सबसे ज्यादा महिलांए प्रभवित होती हैं बावजूद इसके इस कार्य में महिलाओं की आधी हिस्सेदारी होती है। ऐसा नहीं है कि अधिकारी और कर्मचारी इससे अंजान हंै लेकिन सामाजिक परंपरा के कारण वो भी कार्यवाही करने से कतराते हंै, जिससे समाज की यही कुरीती दूर नहीं हो रही है। बताते चलें कि इसी मान्यता के चलते कितनी सुहागिनों की समय से पहले मांग सुनी हो गई और पता नहीं कितने बच्चे अनाथ हो गये फिर भी यह कुरीति यहां बंद नहीं होती। जानलेवा होती है यह शराब- डॉ. एके सिंह बताते हैं कि यूरिया व डाई खाद पेय पदार्थ पीने से लिवर, किडनी फेल हो सकती है और कुछ समय में हार्ट अटैक तक हो सकता है। जबकि आक्सीटोसिन इंजेक्शन से पुरुषों में हार्मोनल बीमारियां हो जाती है।


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