डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
कश्मीर में पांच दिन की यात्रा के बाद यह महसूस हुआ कि यहां पर्यटकों के लिए घूमना-फिरना बेहद सुरक्षित और आसान है। श्रीनगर हमें उतना ही सुरक्षित लगा, जितना हम इंदौर में सुरक्षित महसूस करते हैं। बल्कि कहीं-कहीं तो यह इंदौर से भी सुरक्षित जगह लगी। रात को डेढ़ बजे तक डल झील के किनारे चहलकर्मी करते हुए यह अहसास ही नहीं हुआ कि हम किसी दूसरे प्रदेश में घूमने के लिए आए हैं। अपराध श्रीनगर में शून्य के बराबर हैं। भिखारी कहीं नजर नहीं आते और लोग बहुत ही सौहार्दपूर्ण और विनम्र। ऐसा ही विचार गुजरात और बंगाल से आए पर्यटकों का भी था।
कश्मीर की सुंदरता ऐसी है कि आपको प्राकृतिक नजारा कैमरे में कैद करने के लिए कोई एंगल बनाने की जरूरत नहीं। किसी भी दिशा में किसी भी कोण पर कैमरा सेट कीजिए और फोटो क्लिक कर लीजिए। शानदार फोटो की गारंटी। हम मध्यप्रदेश के लोग जो थोड़ी भी प्राकृतिक सुंदरता को देखते ही गदगद हो जाते हैं, यहां प्रकृति के सामने नतमस्तक हो जाते हैं। कश्मीर के पर्यटन विभाग में पिछले वर्षों में कई तूफान झेले हैं। इनमें से एक तूफान प्रकृति का रहा और दूसरा आतंकियों की गोलियों का। आतंकी लगभग नियंत्रण में है और वहां के लोगों को भी यह बात समझ में आ रही है कि भारत से जुड़े रहने और भारत का अंग बने रहने में ही भलाई है। भारत का भविष्य पड़ोसी मुल्कों की तुलना में बेहतर है। यहां लोकतंत्र भी है। विकास के लिए नए-नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। जम्मू और लद्दाख भारत की मुख्य धारा से पहले ही घुल-मिल गए हैं। कश्मीर के कुछ लोगों को सेना की मौजूदगी पर सख्त ऐतराज है। बाढ़ से हुई तबाही के बाद अब कश्मीर लगभग सामान्य हो चुका है। नई रेल लाइन डल रही है, राषट्रीय राजमार्ग बनाए जा रहे हैं और विमान सेवाओं में भी बढ़ोतरी की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के पर्यटन विभाग ने इन दिनों एक नया अभियान चला रखा है। वह अभियान है अधिक से अधिक लोगों को कश्मीर में पर्यटन के लिए आने के वास्ते प्रेरित करने का। कई नए-नए अभियान चलाए जा रहे हैं। शहर-शहर में रोड शो हो रहे हैं, जिनमें बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में देखने के लिए बहुत कुछ है और अनुभूत करने के लिए भी। यहां शानदार झीलें हैं, सुंदर बगीचे हैं, बर्फ है, डल झील है, धार्मिक स्थान है और इसी के साथ मशहूर ट्यूलिप गार्डन भी है। इतना ही नहीं यहां गोल्फ और साहसिक खेलों के लिए भी पर्याप्त जगहें हैं। इसके अलावा प्राकृतिक जल के चश्मे हैं, पुरातत्व संपदा से भरे संग्रहालय भी है। अब जो नया कश्मीर पर्यटकों के लिए तैयार हो रहा है, उसमें आपकी कसम और कश्मीर की कली जैसी फिल्मों की लोकेशन्स, बेताब वैली, वैष्णो देवी तीर्थ और डल झील के अलावा भी बहुत कुछ है। कश्मीर के पर्यटन स्थलों का प्रचार शायद ठीक से नहीं हो रहा। वहां जितनी नई सुविधाएं पर्यटकों को उपलब्ध कराई जा रही हैं, उनकी जानकारी लोगों को नहीं है। कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन, हस्तशिल्प और होटल व्यवसाय की प्रमुख भूमिका है। कश्मीर के पर्यटन विभाग के डायरेक्टर मेहमूद अहमद शाह का कहना है कि मीडिया की कश्मीर के बारे में हमेशा ही सकारात्मक भूमिका नहीं रही। कश्मीर की समृद्ध कला, पुरातत्व, मेहमाननवाजी और खानपान के बारे में जितना कुछ लिखा जाना चाहिए था, नहीं लिखा जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दहशतगर्दी की छोटी सी खबर को भी प्रमुखता से दिखाया जाता है और जरा सी बारिश को भी भारी आपदा करार देने में संकोच नहीं किया जाता। श्रीनगर से तीन सौ किलोमीटर दूर होने वाली दुर्घटनाओं को श्रीनगर डेटलाइन से दिखाए जाने के कारण कई बार पर्यटक अपनी यात्रा स्थगित कर देते हैं। यहां तक तो ठीक है, पाकिस्तान के बारामूला और सोपोर में होने वाली घटनाओं को भी लोग जम्मू-कश्मीर की घटना मान लेते हैं। कश्मीर पर्यटन विभाग के प्रचार प्रमुख पीरजादा जहूर कश्मीर में पर्यटन बढ़ाने के लिए अलग तरीके से जुटे हैं। जे एंड के के कोर्डिनेटर नासिर शाह पर्यटकों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रख रहे हैं। वे कश्मीर के होटल और रेस्टोरेंट ऑनर्स फेडरेशन, धार्मिक यात्राओं के टूर ऑपरेटर संगठन, जम्मू और कश्मीर टूरिज्म अलायंस, जम्मू-कश्मीर के चैप्टर ऑफ ट्रेवल एजेंट एसोसिएशन, हाउस बोर्ड ऑनर्स एसोसिएशन, पहलगांव होटल और रेस्टोरेंट ऑनर्स एसोसिएशन, एसोसिएशन ऑप कश्मीर टूर ऑपरेटर्स जैसे संगठनों के साथ ही सभी प्रमुख टूर ऑपरेटर और होटलों के मालिकों से व्यक्तिगत रूप से मिल रहे हैं और उन्हें प्रेरित कर रहे हैं कि वे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कोई कसर न छोड़ें। कश्मीर दुनिया की सबसे सुंदर जगह है और यहां तीन हजार साल पुरानी पुरातत्व संपदा का खजाना भी है। यहां की कला, शिल्प, रसोई, रहन-सहन, साहित्य, संगीत भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। कश्मीर पर्यटन के डायरेक्टर महमूद अहमद शाह ने बताया कि 2014 में यहां बाढ़ के कारण काफी नुकसान हुआ था, लेकिन फिर भी पर्यटकों की सुविधाओं का ध्यान रखा गया। अनेक होटलों में पर्यटक दो-दो सप्ताह तक पूरी तरह निशुल्क रुके और उनके नुकसान को न्यूनतम करने की कोशिश की गई। अगले ही वर्ष 2015 में कश्मीर का पर्यटन सेक्टर फिर से उठ खड़ा हुआ और करीब 90 हजार पर्यटक कश्मीर पहुंचे। दो लाख से अधिक विदेशी पर्यटक भी यहां आए थे। इस साल पर्यटकों को लुभाने के लिए अनेक प्रयोग किए जा रहे हैं और उनके सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। इस बार कश्मीर में एडवेंचर के लिए खास स्थान रखा गया है। कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में वसंत और ग्रीष्मकालीन पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है। कोशिश की जा रही है कि शरदकालीन पर्यटकों को भी कश्मीर में आने के लिए अधिकाधिक सुविधाएं मुहैया की जाए। कश्मीर में कार्पोरेट मीटिंग्स, कांफ्रेंस और एक्जीबिशन्स के लिए व्यापक इंतेजाम किए जा रहे हैं। पहलगांव, गुलमर्ग और जम्मू में गोल्फ कोर्स तैयार करके गोल्फ सर्किट बनाया जा रहा है। पर्यटकों को यह सभी सुविधाएं अर्फोडेबल कीमत पर मुहैया कराने की कोशिश की जा रही है। फिल्मों की शूटिंग के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हाल ही में आई बजरंगी भाईजान और फितूर फिल्मों में कश्मीर की अच्छी छवि दिखाई गई है। मिशन कश्मीर जैसी फिल्मों से प्रदेश के पर्यटन की छवि बिगड़ी थी, उसे धीरे-धीरे सुधारा जा रहा है। एडवेंचर और स्किंग के लिए यूरोपीय पर्यटकों को भी लुभाने की कोशिश की जा रही है। नगीन झील और डल झील में क्रूज चलाने की कोशिशें भी की जा रही है। पर्यटकों के लिए कश्मीर के बाजार रात के दस बजे तक खुले रखने की कवायद भी की जा रही है। अभी शाम होते ही कश्मीर के बाजार बंद हो जाते हैं और वे पर्यटक जो शाम होने के बाद खरीददारी करने निकलते हैं निराश होते हैं।पानी पर तैरता शहर - डल झील ‘‘अगर फिरदौस बर रूए ज़मीनस्त, हमींनस्त-ओ, हमींनस्त-ओ, हमींनस्त’’ (यदि पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है)
यात्रा वृतांत का यह आलेख www.prakashhindustani.com से लिया गया है। इसे प्रकाशित करने से पहल डॉ.हिंदुस्तानी या मल्हार मीडिया की स्वीकृति आवश्यक है।
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