पुस्तक समीक्षा:तेलुगु भाषी अर्चना का हिंदी मन को छूता " अंतर्मन "
वीथिका
May 13, 2015
संजय जोशी 'सजग '
" अंतर्मन " काव्य संग्रह की रचनाकार -ई. अर्चना नायडू है जिनकी मातृभाषा तेलुगु है उन्होंने हिंदी में काव्यात्मक अभिव्यक्ति को जो स्वरूप दिया है वह अपने आप में मिसाल है वह सबके लिए एक प्रेरणा का काम करेगी । पुस्तक के शीषर्क को साकार करती रचनायें सच में अंतर्मन को छूती है । एक गृहिणी होते हुए जिस तरह उन्होंने अपनी रचनाओं को शब्दों में गुँथा है उससे उनके अंतर्मन में विराजित विराट कविमन की अनुभूति होती है हर विषय पर अंतर्मन के भावों को रचनाकार ने सरल और सहज शब्दों में सृजन कर एक कठिन कार्य को रोचक ढंग से प्रतिपादित किया है यहीं इसकी मुख्य विशेषता है ।
यह काव्य संग्रह 11 खंड में विभाजित है ,भक्ति ,प्रेम ,समर्पण ,प्रशस्त पथ ,त्याग ,क्षमा ,वेदना, प्रेरणा ,आत्म बोध,वात्सल्य और क्षणिकायें इनके अंतर्गत उम्दा रचानाओं में लेखिका ने अपने अनुभवों , चिंतन और मनन के माध्यम से जो ताना बाना बुना वह प्रशंसनीय है ।
काव्य संग्रह कि शुऱुआत भक्ति खंड में "राम का धाम " से की है ,प्रेम में -अमर प्रेम की अतृप्त बूँद ,समर्पण में -मेरा मौन ,त्याग में -अहिल्या की अभिलाषा , क्षमा में-मेरी सजा ,वेदना में - रिश्ते दर रिश्ते ,प्रेरणा में- वजूद का मोल ,आत्मबोध में-आ अर्जुन ! अब गांडीव उठा ,वातसल्य में -माँ की बदलती परिभाषा जैसी रचनाऐं आत्म विभोर कर देती है । क्षणिकायें भी लाजवाब है ।
रचनाऍ पठनीय तो है ही सराहनीय व् प्रेरणादायी भी है काव्य संग्रह अपने आप में पूर्णता लिए हुए है संग्रह के मूल्यांकन का अधिकार तो पाठकों को है।
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