बस दो मिनिट !

वीथिका            Jun 06, 2015


संजय जोशी 'सजग' हम पल -पल का महत्व जानते हैं तभी तो दो मिनिट एक राष्ट्रीय समयावधि है इसमें कई महत्वपूर्ण काम संपन्न करना हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषता है। हम दो मिनिट में मृतात्मा के प्रति अपने कर्तव्य की इतिश्री करने की कूबत रखते है और कुछ तो शोक सभा में बोलने के इतने शौकीन होते हैं कि दो मिनिट की बात तो इतनी लम्बी कर देते हैं कि उन्हें वह दो मिनिट ही लगती है। यह समय ऐसा होता है कि पता ही नहीं चलता और शोक सभा शौक सभा लगने लगती है । आत्मा भी इतना लम्बी तारीफ सुनकर सोचने लगती होगी कि ये पहली बार मेरी अनुपस्थिति में तारीफ के पुल क्यों बांध रहा है? बस हो गए तेरे दो मिनिट। जब से मोबाइल क्या आया कि दो मिनिट की बीमारी इस कदर बड़ गई कि हर कोई इसकी गिरफ्त में आ गया है, तब से मोबाइल पर हर कोई यही कहता है की बस दो मिनिट में आया और शायद ही कभी कोई आया हो । दो मिनिट क्या है समय है या उस समय का सहारा लेकर उस वक्त को टाला जाता है। दो मिनिट याने की टालू समय । महिलाओं को मेकअप में सिर्फ दो मिनिट ही तो लगते है ?बार—बार कहती हैं बस दो मिनिट और। उलझी -पुलझी सी 2 मिनिट में तैयार होने का दावा करने वाली इस मैगी ने तीन-तीन सेलिब्रेटी को उलझा दिया और देश के करोड़ों लोगों को अपने स्वाद का दीवाना बनाकर दो मिनिट पर इठलाने वाली कई आलसी और पेटभरने के शौकीनों की कमजोरी बन गई। वे बेचारे इसे तो दो मिनिट में कैसे भूल सकते हैं। जबसे बेन की खबर क्या आई पचपन वाले जैसे उनकी कोई बड़ी मुराद पूरी हो गई और थैंक गॉड कहने में नही चूके होंगे और अपने से छोटो को मन मन चिढ़ाने लगे--अब क्या करोगे ? कई माँ ये कहने लगी खाना बनाना सीख लो तुम्हे मैगी पर बहुत विश्वास था ना कि इसके सहारे काम चल जायेगा। एक बुजर्ग अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहने लगे कि लोकोक्ति सही है जल्दी का काम शैतान का । यह सब अनुभवों के आधार पर ही बनती है मुझे तो इसके विज्ञापन देख कर इसमें छुपी शैतानी हमेशा दिखती थी । पर विज्ञापन की ताकत सेलिब्रिटी और बड़ा देते है और हम जैसे की बात कौन सुने । मैगी तूने कितने प्रेमियों को बना दिया रोगी । मैगी का धीरे -धीरे दिल जीतना और दो मिनिट में कई दिलों को तोड़ना एक अभूतपूर्व घटना है जिससे कइयों के चेहरे मुरझा गए और बड़े बुजुर्गों का इसके प्रति विरोधी रवैये का चित्र सुखद लगने लगा। उनको लगने लगा कि सही की जीत तो आज नही तो कल होगी ही । उन्हें अपने अनुभव से बाल सफेद और कम होने पर फख्र होने लगा । दो मिनिट का अपना वजूद है मैगी रहे या न रहे पर दो मिनिट तो हमेशा ऐसा ही चलता रहेगा । पर यह कटु सत्य है कि इंसान को मिनिट में अपनी श्रद्धांजलि देकर भूल जाते हैं पर इस दो मिनिट की मैगी पर बैन लगता है तो दो मिनिट में काम नहीं चलेगा क्योकि इसकी दीवानगी जो है लोगों में ।


इस खबर को शेयर करें


Comments