बीएचयू से भी पुराने इस विश्वविद्यालय में हुआ था पेनिसिलिन का अविष्कार

वीथिका            May 13, 2015


prakash-hindustani01 प्रकाश हिन्दुस्तानी इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय 51 साल पुराना है। वाराणसी का बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय 100 साल पुराना है और कोलकाता विश्वविद्यालय 198 साल। कोलकाता विश्वविद्यालय भारत का सबसे पुरातन विश्वविद्यालय है, लेकिन अमेरिका के न्यू जर्सी क्षेत्र में न्यू ब्रुंसविक का रटगर्स विश्वविद्यालय 250 साल पुराना है। जब अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने के लिए रटगर्स विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला, तो वह अपने आप में बेहद सुखद अनुभव रहा। रटगर्स अमेरिका के टॉप 60 विश्वविद्यालय में शामिल है। यह विश्वविद्यालय एक शोध विश्वविद्यालय के रूप में भी मशहूर है। शोध भी खासकर चिकित्सा के क्षेत्र में। इसके अलावा मनोविज्ञान, भाषा विज्ञान, कम्प्यूटर आदि के क्षेत्र में भी शोध होते रहे है। इसी विश्वविद्यालय में पेनिसिलिन की खोज हुई। यहीं के शोध के कारण चिकित्सा जगत में वाक्सवेन दुनियाभर में पहचाने गए, जिन्हें 1952 में चिकित्सा का नोबल पुरस्कार मिला। अंतरिक्षयानो की सुरक्षा से लेकर कैंसर की दवाइयों तक अनेक खोज यहां की गई। चिकित्सा जगत के अलावा कृषि क्षेत्र की अनेक दवाइयां यहीं खोजी गई। इंजीनियरिंग और स्टेम सेल साइन्स की खोजों में भी यहां के विद्यार्थियों का अमूल्य योगदान रहा है। सैकड़ों खोजें इस विश्वविद्यालय में हुई है और यही इसकी खूबी है। न्यूयॉर्क एयरपोर्ट से आधे घंटे की दूरी पर है न्यू ब्रुंसविक रेलवे स्टेशन। यहीं से शुरू होता है रटगर्स विश्वविद्यालय का परिसर। करीब 2766 एकड़ में बसा रटगर्स का क्षेत्र तीन हिस्सों में है। न्यू ब्रुंसविक शहर ही रटगर्स का पर्याय है। 2688 एकड़ में पैâला न्यू ब्रुंसविक केम्पस, 40 एकड़ में फैला केमडेन और 38 एकड़ में फैला नेवार्वâ। मुख्य केम्पस के अलावा दोनों केम्पस प्रशासकीय कार्यों के लिए है। रटगर्स विश्वविद्यालय में करीब 65,000 विद्यार्थी है, जिनमें से 20,000 विद्यार्थी स्नातकोत्तर कक्षाओं के है। इन्हें पढ़ाने के लिए करीब 3000 फैकल्टीज हैं, लेकिन इससे दो गुने से भी अधिक 6750 प्रशासकीय कर्मचारी है जो इस विश्वविद्यालय की गतिविधियों को संचालित करते है। विश्वविद्यालय को गत 250 वर्षों में कुल 92 करोड़ डॉलर (पौने छह हजार करोड़ रुपए) के बराबर दान मिल चुका है। 2013 -14 में इसका बजट 360 करोड़ डॉलर (22,000 करोड़ रुपए से अधिक) रहा है। यानी एक विद्यार्थी पर एक साल में करीब 35,00,000 रुपए के बराबर खर्च होते है। 10 नवंबर 1766 को क्वीन्स कॉलेज के रूप में शुरू हुआ संस्थान 1885 में कर्नल हेनरी रटगर्स के नाम पर शिक्षा संस्थान के रूप में आगे बढ़ा। शुरुआत में यह केवल छात्रों के लिए था। छात्राओं को बाद में प्रवेश दिया जाने लगा। 1924 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। 1924 के बाद ही इसे को-एज्युकेशनल पब्लिक रिसर्च यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया। बाद में इसे स्टेट यूनिवर्सिटी कहा जाने लगा। इसका साधारण शब्दों में अर्थ यह है कि सरकारी क्षेत्र का विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय में चिकित्सा और दंत चिकित्सा विभाग भी है और विश्वविद्यालय का अपना एक विशाल अस्पताल भी है। दूर-दूर से लोग इस विश्वविद्यालय के अस्पताल में इलाज के लिए आते है। इस विश्वविद्यालय में न्यू जर्सी के विद्यार्थियों को अपेक्षाकृत कम फीस देनी पड़ती है। न्यू जर्सी प्रशासन विश्वविद्यालय की मदद करता है। सरकारी मदद 2010-11 में 49 करोड़ 22 लाख डॉलर से अधिक थी। विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति के रूप में 18 करोड़ डॉलर से ज्यादा की मदद की गई थी। एकेडमिक रैंविंâग ऑफ वल्र्ड यूनिवर्सिटीज (एआरडब्ल्यूयू) ने इसे विश्व में 52 वें रेंक पर रखा है और अमेरिका में 34 वें रेंक पर। टाइम मेग्जीन ने इसे विश्व की 103 नंबर की रैंकिंग दी है। सैकड़ों पाठ्यक्रम यहां उपलब्ध है। विद्यार्थियों के लिए कक्षाओं और होस्टल की सुविधा के अलावा नि:शुल्क यातायात, म्युजियम, लाइब्रेरिस, जिम्नेजियम, हेल्थ क्लब और सभी खेलों की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। विश्वविद्यालय की 27 टीमें है, जो अलग-अलग खेलों में विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर रही है। इस विश्वविद्यालय परिसर की खूबी यह है कि यह आने के बाद यहां से बाहर जाने का मन ही नहीं करता। दुनियाभर के विद्यार्थी यहां अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करते मिलेंगे। विश्वविद्यालय के अपने संगीत समारोह होते है, खेल प्रतिस्पर्धाएं होती है, पैâशन शो और अन्य गतिविधियां रोज के जीवन का हिस्सा है। परिसर में कहीं भी छात्र और छात्राओं के बीच, अमेरिकी और गैरअमेरिकी के बीच, श्वेत या अश्वेत के बीच कोई फर्वâ ऊपर से नजर नहीं आता। अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के आयोजन में रटगर्स की फैकल्टीज ने तो सक्रिय भूमिका निभाई ही, विद्यार्थियों ने भी सक्रिय भागीदारी की। विद्यार्थी ही थे जो सम्पूर्ण आयोजन की व्यवस्था कर रहे थे। इस व्यवस्था में सभागृह में मंच बनाने से लेकर बैठक व्यवस्था और भोजन व्यवस्था भी शामिल थी। आयोजन से जुड़ी एक-एक चीज पर बारिकी से गौर किया गया था। कितने बजे कार्यक्रम शुरू होगा, कार्यक्रम के पहले अतिथि कहां जाएंगे, कार्यक्रम के बाद लोगों का निकास कैसे होगा, अतिथियों की गाड़ियां कहां पार्वâ होगी। इस सबकी जानकारी लिखित में सभी को उपलब्ध करा दी गई थी। कार्यक्रम स्थल और पार्विंâग स्थल के नक्शे सभी को दे दिए गए थे। विश्वविद्यालय परिसर में नि:शुल्क संचालित बसों के बारे में पूरी जानकारी लोगों को दे दी गई थी। ये बसें विश्वविद्यालय परिसर में निरंतर संचालित होती रहती है और इनका कोई किराया नहीं होता। विद्यार्थी इन बसों में अपनी साइकलें भी ले जा सकते है। रटगर्स विश्वविद्यालय को देखने का अनुभव वास्तव में विशेष रहा। सेन फ्रांसिस्को के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय को देखने के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों के बारे में मेरी धारणा पूरी तरह बदल गई। भारतीय विश्वविद्यालयों की संसाधनहीनता का भी भान हुआ। अभी हमें विश्वविद्यालय की शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे जाना है। यह बात भी समझ में आई कि क्यों हमारे देश के नेता और श्रेष्ठि वर्ग अपने बच्चों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने भेजते हैं।


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