बुंदेली व्यंग:फूल बना रई सरकार

वीथिका            Apr 02, 2016


श्रीश पांडे। पनवाड़ी ने बड़े सकाउं प्यारे से कई- 'काये जा तो बताओ जब से जा मोदी सरकार आई है इने का करो-धरो है। सिवा फकांई पेलवे के ऊपर से मंत्री सुन्ना ऊंची-ऊंची दे रई सरकार। जनता चिल्यारई कि अच्छे दिना कबे आने। गप्पोलॉजी के एक्सपर्ट हैं अपने पिरधानमंत्री। दस बरस लो ऐसा पीएम (मनमोहन सिंह) देश में रओ कि बोलतई न हतो, उने जब देखो सो चिमानों देखो। सोनिया गांधी ने उनके भीतर ऐसी बैटरी फिट करके रिमोट अपने एंगर धर लओ हतो कि जैसो दसजनपथ से बटन दब जाए उसई वे चलत-फिरत हते। दुनिया ने उने सोनिया गांधी को गुड्डा लो कओ। पर इन सबसे से बेफिकर अपनी नौकरी करत रये। वैसे भी नौकरशाह हते और रिटायरमेंट के बाद फिन से पिरधानमंत्री की नौकरी ज्वाइन कर लई और नौकरी घाईं दस बरस काटे। अब ऐसे पिरधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ गए जिनें बोलबे की बीमारी यानि 'माऊथ डारिया’ है। लेकिन जब सई में बोलबे की जरूरत होत, तब वे मनमोहन सिंह के मौन से बड़ो मौन धर लेत। उनकी विदेश यात्रा देख लगन लगो कि देश के कम दुनिया के पिरधानमंत्री ज्यादा है। अच्छे दिनन को चूतियापा समा’ हो गओ। प्यारे ने कई- 'पनवाड़ी तुमे याद है कि जो जुमला उनने 2014 के अप्रैल महीना में दओ हतो यानि अप्रैल फूल बनाओ हतो और आज सोई 'अप्रैल फूल डे’ है। यानि दो बरस निपट गए 'अप्रैल फूल’ बनाउत-बनाउत। अगले बचे खुचे तीन बरस ऐई में पार हो जाने। पैलां 'जनधन योजना’ चली, लेकिन किते हिरा गई कछु पतो नईंया, फिर 'पक्के मकानन’ को वादा कर दओ, लेकिन 2022 तक मिलवे को पुछल्ला जोड़ दओ...गुजराती तो वे हैंई हैं और फिर वो गुजराती का, जो व्यापार में हिसाब से न चले। और ऐई से उनने कई कि 'अगर गरीबन खां पक्के मकान चाने तो 2019 में वोट और देने पड़हे और तबईं 2022 लो छत पक्की होने नईं ता ...तुम जानो।’ किसानन के नाए नई बोतल में पुरानी शराब के घाईं 'फसल बीमा योजना’ आ गई। मौसम की मार से किसान बेमौत तऊ पे मर रये, काय से योजना उनके लाने अच्छे दिनन के ख्वाब से कमतर नईंया और जे तुम जानत हो कि ख्वाब कब की के भये आज लो। पनवाड़ी ने कोने में लम्बी सी पीक मारी और पान के पत्ता में कत्था लगाउत-लगाउत बोले कि 'प्यारे तुम सई कै रये। दो बरस में योजनन की बौछारें लगा दईं पिरधानमंत्री ने। 'स्टार्ट अप इंडिया’, 'स्टैंड अप इंडिया’, 'स्किल इंडिया’ जैसी सबरी योजनाएं इंडिया के नाए हैं भारत को नाम कउं नईंया।’ लेकिन इनके पर्दा के पछारें ठाड़ो संगठन संघ भारत माता की जय सबका बोलने की धुन लगाए चिल्या रओ। सिद्धांत में देश भक्ति और व्यवहार में विदेश भक्ति। सई कई पनवाड़ी हमें सबरे ढपोर शंख लगन लगे। चिंतन उत्कृष्ट, बातें ऊंची मगर करतूतें...! पनवाड़ी ने प्यारे का बंगला पान लगा के दऔ और खुद सोई गलुआ में दबाओ और चिंतन खां आगे बढ़ाओ कि देश का हुईये। प्यारे ने कई जैसे 70 साल से ढड़क रओ, उसई आगे भी ढड़कत राने अपने मुलक खां। बस जे सरकारें बदलत राने हमे-तुमे। काय से जनता संतुष्ट रै नईं सकत, जौन सत्ता में रै है खुन्नस रखने। ऊपरवालो लो पिरधानमंत्री बन जाए, तो ऊसे लो ऊब जाने। लेखक जनसंदेश के संपादक हैं।


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