यहां नहीं है मीट बिक्री को लेकर विवाद:साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल रामनगरी अयोध्या

वीथिका            Sep 24, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो अयोध्या को संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है,लेकिन बाबरी विध्वंश देख चुके अयोध्यावासियों की मीडिया से इतर हकीकत ये है कि यहां के लोगों में साम्प्रदायिक सद्भाव कहीं ज्यादा है। जब पूरे देश में गणेशोत्सव,पर्यूषण और बकरीद साथ में होने के कारण मांस बिक्री को लेकर विवाद बहस और विवाद हो रहे ​हैं उस समय अयोध्या हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द का उदाहरण बना हुआ है हिन्दू तीर्थ स्थान होने की वजह से अयोध्या में मांस की बिक्री और जानवरों को काटने पर प्रतिबंध है जिसका यहां का मुस्लिम समुदाय पालन करता है। बकरीद के तीन दिन आपसी सहमति से इस मसले का हल निकल जाता है और मुस्लिम समुदाय अपना त्यौहार बिना किसी तनाव के शांति और सौहार्द के वातावरण में मनाता है। बकरे की बलि और मांस की बिक्री पर अयोध्या के संतों को भी कोई आपत्ति नहीं होती है। अयोध्या के साकेत डिग्री कॉलेज के भूतपूर्व प्राचार्य वी एन अरोरा इसे राम की नगरी की अभूतपूर्व प्रथा बताते हैं। वह कहते हैं, हम यहीं पैदा हुए, शिक्षा प्राप्त की और फिर नौकरी भी की। हमने देखा है किस तरह अयोध्या के मुसलमान यहां किसी भी सार्वजनिक भोज, जैसे दावत-ए-वलीमा में भी मांस नहीं परोसते। फैज़ाबाद में मांसाहारी दावत दे देंगे लेकिन यहां नहीं, यहां कितने मुसलमान मंदिरों के अलग-अलग काम करते हैं। कारसेवकपुरम के प्रभारी विश्व हिन्दू परिषद के शरद शर्मा कहते हैं कि अयोध्या से सटे दो गांव हैं जहां हफ्ते में दो दिन बाज़ार लगता है उसी में बकरे के मांस की ख़रीद फरोख़्त होती है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में लगे प्रतिबंध का पालन बकरीद के दिनों में नहीं होता है तो उसे देखना होगा। महंत गिरीशपति त्रिपाठी कहते हैं कि अगर अपने-अपने घरों में लोग कुर्बानी देते हैं और मांस खाते हैं तो उस पर हमें क्यों आपत्ति होनी चाहिए। यहां ये कोई मुद्दा नहीं है। राम जन्मभूमि क्षेत्र के कॉर्पोरेटर हाजी असद अहमद बताते हैं कि अयोध्या नगर निगम की सीमा के भीतर मांस पर प्रतिबंध है लेकिन बकरीद में लोग अपने घरों में कुर्बानी दे लेते हैं। यहां के हिन्दुओं ने इस पर कभी कोई ऐतराज़ नहीं किया है। अहमद तो ये भी कहते हैं कि आम दावतों में भी सार्वजनिक रूप से लोग मांसाहारी भोजन खिलाते हैं। इन दावतों में हिन्दू और मुसलमान दोनों रहते हैं. जो मांसाहारी हैं उनका खाना अलग होता है और जो नहीं खाते हैं उनका अलग. अयोध्या में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है। लेकिन अयोध्या से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर संत कबीर नगर में 2007 के दंगों के बाद से प्रशासन ने बकरीद में दी जाने वाली कुर्बानी पर प्रतिबंध लगा रखा है।


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