रोंगटे खड़े होने का कोई सीजन नही

वीथिका            Jan 06, 2015


     संजय जोशी 'सजग'                                     रोंगटे खड़े होने का सीजन चल रहा है यह शीत लहर में बढ़ जाता है, जहाँ मुंह  खोलना मुश्किल होता है फिर भी हर किसी के मुँह   से निकल जाता उफ़ .कितनी  कड़ाके की ठण्ड है की  रोंगटे  खड़े हो रहे है हमारे देश में रोंगटे  खड़े होने का कोई सीजन नही होता ,किसी भी मौसम और किसी भी समय  कहीं भी कभी भी खड़े हो जाते है, हमारे देश के हालात ही  कुछ ऐसे है कि हर वर्ग का मनुष्य त्रस्त है l आये दिन उलुल -जलूल बयान का दौर चलता है ,और मुख्य मुद्दे गौण हो जाते है l दो बच्चियां  स्कूल में प्रवेश करते हुए आपस में चर्चा  कर  रही थी कि ठण्ड का मौसम  कितना बेकार  होता है स्कूल  जाने का मन ही नही होता कितनी ठण्ड लगती है ..की  रोंगटे  खड़े कर  देती है ...पापा मम्मी  और टीचर को समझ में नहीं  आती   हमको  कितनी तकलीफ होती है ,उनकी मासूम बाते मुझे झकझोर रही थी और  .मेरे  जेहन में ..कई  विचारों  ..का  जन्म हुआ  बेचारे  बच्चों  के तो  रोंगटे केवल ठण्ड से ही खड़े होते .है .लेकिन   .पापा मम्मी  और टीचर के  तो   ठण्ड के अलावा और कई ऐसे कारण  है जो रोंगटे  खड़े करते रहते है .बेचारे  बच्चे क्या जाने ,वे  तो कितने कोमल  और निर्मल होते हैl बढ़ते महिला उत्पीड़न की वीभत्स  घटना   को सुनकर ..सबके  रोंगटे  खड़े हो जाते है और जवाबदारों  के कान पर जूँ तक नहीं रेंगती जिसने  पूरे  देश को दहला दिया यह  देश की भोली  जनता का दुर्भाग्य है और हमारे वोट का सरेआम अपमान है रटारटाया बयान देकर भोली भाली जनता के  घाव पर मलहम लगा दिया जाता है शायद उसके आगे कुछ करने की मनोदशा ही नहीं रहती  ...I . बिना सर पैर की भविष्यवाणियाँ  चाहे जब होती रहती है जो  रोंगटे   खड़े करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती  है और न्यूज़ चैनल तक  सनसनी फैला देते है और तथाकथित भविष्यवक्ता  भी आग में घी का काम करते है Iरियेलिटी शो भी आजकल हारर दिखाकर रोंगटे खड़े करने  का काम कर रहे है I तथाकथित धर्म गुरुओं  के हथकंडे  जब सार्वजनिक होते है तो रोंगटे खड़े हो जाते है l मौसम की मार ने  जहाँ अन्नदाता के रोंगटे खड़े  कर रखे  है खेती तो प्रकृति के भरोसे चलती है और पानी  और बिजली  समय पर नहीं मिलते , फसल बर्बादी का मुआवजा  घोषित तो होता है पर पीड़ितों को  मिल नहीं पाता  है ,सरकारें  तो घडियाली आंसू  बहाकर अपने  कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है Iचीन और पाकिस्तान की सीमा रेखा पर घटने वाली घटनाएं  हम सब को झकझोरती रहती है और घटने वाली आतंकी घटनाऐं इनका कोई धर्म नहीं  होता   वे बच्चों  तक  को भी नही छोड़ते जिनमे ईश्वर का वास होता है तब  हर किसी के  रोंगटे खड़े  हो जाते है l . महंगाई के युग में पत्नी  भी कम कसर नही छोड़ती ..और  अपना   मांग पत्र पकड़ाकर पति के रोंगटे  खड़े करने में कोई कसर  नही छोड़ती l देश में मौसम  सर्द हो या गर्म कैसा  भी हो बेचारे  आम आदमी .के  रोंगटे  खड़े  होने का क्रम निरंतर जारी रहता है  हमारे देश के तथाकथित  कर्णधार जो  वातानूकूलित का उपयोग  कर   है वे क्या जानें  ....इसकी अनुभूति   कैसी है लगता है उनमें संवेदनाएं समाप्त हो चुकी है आम आदमी के दर्द से क्या वास्ता जिसने महसूस किया .वो ही समझ सकता है ...घायल की गति घायल जाने .वे तो केवल  घडियाली आंसू   बहाना जानते है जिससे   देश गर्त और गर्त में जा रहा है देश और हम सबके रोंगटे हमेशा खड़े रहने और शरीर यह सब सहने का आदी  हो गया है ,करें तो क्या करें ...बेचारें मौसम का क्या दोष .?रोंगटे खड़े का कोई सीजन नही होता है l

 

 



इस खबर को शेयर करें


Comments