रोज डे कैंसर मरीजों के लिए जीवन का जश्न

वीथिका            Feb 04, 2015


मल्हार मीडिया मात्र 12 साल की उम्र में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की चपेट में आई कनाडा की मिलिंडा रोज हैथवे की कहानी कैंसरग्रस्त बच्चों के लिए प्रेरणादायक है। इस खतरनाक बीमारी के बाद भी अन्य कैंसर पीड़ित बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने की रोज की कोशिश ने उन्हें यादगार बना दिया। रोज को याद रखने और कैंसर जैसी बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 1994 से 22 सितम्बर के दिन रोज डे मनाने की शुरुआत हुई। भारत में कैंसर मरीजों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन कैंसर पेशेंट्स एड एसोसिएशन (सीपीएए) ने इसकी शुरुआत की थी। सीपीएए की 'कनेक्ट विद कैंसर' पहल के तहत यह शुरुआत हुई। बीते सालों के दौरान रोज डे के आयोजन के तहत कैंसर मरीजों में जीवन के प्रति फिर से उत्साह और आशा जगाने का प्रयास किया जाता रहा है। इस दिन कैंसर मरीजों के लिए नृत्य-गीत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उन्हें फूल दिए जाते हैं। इस अवसर पर सीपीएए के दीर्घकालीन लक्ष्य 'कैंसर का पूर्ण प्रबंधन' को पूरा करने के लिए कोष भी जुटाया जाता है। यह दिन दुनियाभर में कैंसर से जूझ रहे लोगों को समर्पित है। इस दिन कैंसर मरीजों को हाथों से बनाए गए गुलाब भी पेश किए जाते हैं। इस तरह से मरीजों के प्रति अपना प्यार, समर्थन, परवाह और चिंता जताने की कोशिश की जाती है। रोज डे कैंसर मरीजों के लिए जीवन का जश्न है। कनाडा की रोज एक दुर्लभ प्रकार के रक्त कैंसर एस्किंस ट्यूमर से पीड़ित थी। फरवरी 1994 में उनकी इस बीमारी का पता चला चला। डॉक्टर्स ने कहा था कि वह दो-तीन सप्ताह से ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकेगी लेकिन रोज ने हिम्मत नहीं खोई। रोज ने अपनी एक वेबसाइट शुरू की। उन्होंने इस वेबसाइट के जरिए कैंसर पीड़ित अन्य बच्चों से सम्पर्क किया। रोज ने इस वेबसाइट पर अपने पत्रों, कविताओं और ईमेल के जरिए कैंसर पीड़ितों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की कोशिश की। इस वेबसाइट पर कैंसरग्रस्त मरीजों के दिलों में जीवन के प्रति उम्मीद जगाने के लिए कैंसर से सम्बंधित जानकारियां मजेदार तरीके से दी गई थीं। रोज चाहती थीं कि उनके न रहने के बाद भी कैंसर पीड़ित बच्चों के लिए यह वेबसाइट मौजूद रहे। रोज का 1996 में निधन हो गया लेकिन उनके भाई डेविड जूनियर ने उनका वेबसाइट जारी रखने का सपना पूरा किया। कैंसर मरीजों को उनके कठिन उपचार के दौरान राहत पहुंचाने, समाज को कैंसर पर मानवीय शर्त के रूप में सामूहिक रूप से ध्यान देने के लिए तैयार करने, रोज डे पहल के माध्यम से इससे जुड़े सभी लोगों को सार्थक बातचीत के लिए एक मंच पर लाने, इलाज व देखभाल के बीच की दूरी को कम करने के तरीकों का पता लगाने और सीपीएए के 'पूर्ण प्रबंधन कार्यक्रम' के लिए धन जुटाने जैसे उद्देश्यों के साथ हर साल रोज डे मनाया जाता है। बचाव अपने खाने में हमेशा आप लहसुन और आंवले के इस्तमाल से कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। जो लोग अपने खाने में प्याज, ब्रोकली और गाजर आदी चीजोंका इस्तमाल करते है वो हमेशा कैंसर जैसी बमारीयों से बचे रह सकते है। हमारा आज का बिगडता खान पान ही हमारी घातक बीमारीयों का कारण बनता जा रहा है। अगर आप लहसुन और आंवला खाते है तो आप ऎसी बीमारीयों से दूर ही रहोगे। विशेषज्ञों ने कहा कि ऎसे खाद्य पदार्थ ऎसे हैं जो शरीर में एंटी ऑक्सीडेंट को रिलीज करते है। यह सर्वविदित है कि ये कैंसर की कोशिकाओं को पनपने से रोकते हैं। आप की जारकारी के लिए बता दें कि आज वर्ल्ड कैंसर डे है इस दिन ये जानना जरूरी है कि अपने खान-पान में थोडा सुधार करके आप इस भयानक बीमारी से बचे रह सकते हैं। डॉ. बताते है कि लोगों की बिगडती लाइफ स्टाइल और खान पान के चलते ही कैंसर अधिक मात्रा में हो रहा है। डॉ0 कहते है कि अगर लोग अपने खान पान को सुधार लें तो वे इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं। वह कहते हैं कि पीजीआई में आने वाले मरीजों को वह ऎसे ही एंटीऑक्सीडेंट खाद्य पदार्थ खाने की सलाह देते हैं, जिसके सकारात्मक नतीजे भी आए हैं। गाजर, प्याज, लहसुन, आंवला, मशरूम, कीनू, चीकू, ब्रोंकली, ब्राउन ब्रेड जैसे कुछ प्रमुख खाद्य पदार्थ में एंटीऑक्सीडेंट तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जिसके कारण कैंसर से बचा जा सकता है।


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