सावधान!  आगे गतिरोध   है
	
		    	        वीथिका	    	
	          
	
	 Aug 08, 2015
	
    
	         
    
संजय जोशी सजग
बांकेलाल जी न्यूज़ चैनल पर गला फाड़ -फाड़ कर  सुनाई जा रही गतिरोध की खबर सुनकर हैरान परेशान  थे ,उनकी नजरों  में गतिरोध तो होना चाहिए जिससे दुर्घटना कम होती है गति के कारण तो कई फ़िल्मी  हस्तियां कोर्ट के चककर लगा रही है । अभी हाल ही  में शोले की बसंती की गाड़ी  ने मासूम  की जान ले ली ,गतिरोध होते है तो दुर्घटना में कमी आती है ,सड़क के किनारे लगे बोर्ड को कौन  पढ़ता है जैसे गति से प्रथम सुरक्षा ,दुर्घटना से देर भली इस तरह   के ब्रह्मवाक्य सिर्फ रोड की शोभा बढ़ाते   है मैंने  कहा कि  आप सड़क की बात कर रहे है और न्यूज़ चैनल वाले  संसद की बात कर रहे है , वे बोले तो क्या हुआ गतिरोध न हो तो गलत फैसले  होने  का अंदेशा रहता है वेतन भत्ते में कोई गतिरोध  कभी नहीं  होता है ,और  न कभी  देखने को मिलेगा ।  गतिरोध का सीधा मतलब किसी भी काम की गति को रोकना या सीधे -सीधे टांग खींचने का  अभियान ।  न्यूटन का प्रथम  नियम -जो चीज़ जिस अवस्था में  है, उसी में बनी रहती है, जब तक कि उस पर बाहरी बल का प्रयोग न किया जाए। वह बहुत ही अदभुत नियम है।यह वस्तुओं  पर ही नहीं बल्कि व्यक्तियों पर भी लागू होता है।  आप जिस अवस्था में है, उसी में रहेंगे, जब तक की  बाहरी बल का प्रयोग न हो।  यह बाहरी बल कहां  से आता है - या तो दूसरों के दबाव से ,या आपके अनुशासन से,या फिर आपकी स्व-प्रेरणा से। 
जीवन में पग पग  पर गतिरोध का सामना करना पड़ता है , नौकरी में कई गतिरोधों  का सामना करना पड़ता है, ऑफिस  में  बॉस तो  घर आकर पत्नी भी कई जगह गतिरोध का काम करती है l जैसे -जैसे आप सम्पन्न होते है तो गतिरोधों  की संख्या बढ़ने लगती है और हर और गतिरोध ही नजर आता है ।  कई अदृश्य गतिरोध का  डर नींद छीन कर तनाव और ब्लड प्रेशर  से घेर लेता है जीवन में कबड्डी का खेल चलता रहता है आपकी टांग खीचने  को हर कोई आतुर रहता है।  जीवन  की आपाधापी में गतिरोध पार करना ही मुख्य हो  जाता है ।  जो जितना बढ़ा गतिरोध उतना ही परेशानी ,जैसे बड़े वाहन को गतिरोध पार  करने में अधिक  परेशानी होती है । 
 
राजनीति में  विरोध तो चलता रहता है ऐसे में  गतिरोध की स्थिति  निर्मित हो जाती है या की जाती है ये तो वो ही जानें  ,,विपक्ष इस्तीफे मांगता रहेगा और पक्ष  इनके दबाव में न आने  का उपक्रम करता रहेगा और गतिरोध  चलता रहेगा ,गतिरोध पार न होने की दशा में दुर्दशा बन जाती है और विकास की गति जाम हो जाती है और जनहित की कुछ बातें  वहीं  की वहीं रह जाती है ।  दोनों पक्ष की जिद और हठ के कारण गतिरोध  और बढ़ता ही जा रहा है और आमजन इस कौतुक को  मौन होकर देखता है  ,ये पब्लिक है सब जानती है पर क्या करें  वह अपना हिसाब पांच साल में ही कर सकती है ।  सत्र में ही सब होता है उससे पहले क्यों नही मुद्दे निपटा लिए जाते ?
गतिरोध  की भरमार है  सड़क से संसंद तक गतिरोध ही गतिरोध है ।  देश के हर मुद्दे पर गतिरोध है FTII भी इसी चक्र में फंसा  हुआ है , न जाने कितने ही मुद्दे गतिरोध बनाम प्रतिशोध की अग्नि में स्वाहा हो  जाते है चुनाव के समय जो गतिशीलता रहती है वह धीरे -धीरे गतिरोध बनकर उभर जाती है पर कब उबरेगी किसी को नहीं  पता ?सड़क  पर गतिरोध होने के फायदे है और संसद के गतिरोध से होने वाले नुकसान की भरपाई जनता टैक्स भर कर चुकाती  है और समय की बर्बादी की पूर्ति  तो कोई नहीं  कर सकता है।  आग वहीं  लगती है जहां चिंगारी होती है और आरोप  भी वहीं लगते है जहां दाल में काला हो या दाल ही काली हो या  फिर चोर की दाढ़ी   में तिनका जैसी लोकोक्ति  सटीक  बैठती है।  सब अपने स्वार्थ के वशीभूत गतिरोध को भुना रहे है और देश के भविष्य पर बट्टा लगा रहे है ।  जैसी करनी वैसी भरनी ,समय और जनता सबका इतिहास लिखती रही है और लिखती रहेगी।  
                                  
			   
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