संजय जोशी सजग।
काफी कैफे रश्मि तारिका का प्रथम कहानी संग्रह है। इसमें उनकी कल्पना शक्ति और अनुभव का निचोड़ है। इनकी कहानियों में भावना ,संवेदना को बड़े ही मार्मिक व तार्किक रूप से पेश किया है।
कहानियों में निरंतरता, सस्पेंस और बेबाकी का अनूठा मिश्रण है। सामाजिक विडंबनाओं, कुरीतियों,समाज में महिलाओ की स्थिति,पति -पत्नी की नोंकझोंक,दहेज प्रथा ,बच्चों में संस्कार, तीन पीढ़ी का वैचारिक संघर्ष और भी कई ऐसे का मुद्दे हैं, जिनका इस संग्रह की कहानियों में उम्दा तरीके से समावेश है। इससे कहानियों की गुणवत्ता में उभार परिलक्षित होता है।
इनकी कहानियों में सामाजिक यथार्थ वाद की स्पष्ट झलक मिलती है। वर्तमान परिपेक्ष्य की समग्रता के साथ नाटकीयता या यूँ कहे कि फ़िल्मी तर्ज बिंबित होता है।
इस संग्रह की कहानियों के विषय व शीर्षक एक से बढ़कर एक हैं इनकी कहानियों में सजीवता और गतिशीलता के मिश्रण से पढ़ने में सुखद अहसास होता है एक कहानी पढ़ना शुरू करने के बाद में बीच छोड़ना या किसी का डिस्टरबेंस बहुत खलता है।
पात्रों का चयन और भाषा शैली एक परिपक्व लेखक सा अनुभव देती है। कहानियां कई रसों से सरोबार है। प्यार और लिव इनरिलेशनशिप पर अपनी भावना को बखूबी व्यक्त किया गया है। श्रृंगार और वातसल्य रस के मिश्रण के साथ ही व्यंग्यात्मक शैली पढ़ने वाले को आत्मविभोर कर देती है।
मुझे लगता है कहानियों में लेखिका ने आधुनिकता का पुट देने के लिए वार्तालाप में अंग्रेजी शब्दों का बहुत अधिक प्रयोग किया है जिससे आधुनिक पीढ़ी भी पुस्तक पढ़ने को आतुर हो की सोच सफल होगी और कहानियों को पढ़ने के प्रति रुझान बढ़ेगा।
कॉफ़ी कैफ़े यह कहानी संग्रह यथा नाम तथा गुण वाला सिद्ध होगा। सभी के द्वारा समान रूप से पसंद करना इसकी मुख्य विशेषता है। इसमें कुल सोलह कहानियां हैं जिनके शीर्षक ही अपनी कहानी बयान कर देते हैं।
जैसे "वो निशा ही थी ", "एक मुहब्बत ऐसी भी " ,"गुमनाम पत्र ,"मुक्ति " , "मर्जी का सुख " ,"कच्ची धूप " , " गार्लिक स्टिक "," प्रस्ताव " वैल विशर "" कॉफ़ी कैफ़े" , "एक नई सुबह ", "बस अब और नहीं " ,"वाह वोमेनिया" "आखिर कब तक " " जमा -पूंजी " और इमोशन्स इन एंड आउट " है जो निश्चित कहानियों में सकारात्मकता और रचनात्मकता,परिवार और समाज, रिश्तेदार और मित्रों के व्यवहार तथा स्वार्थ की मानसिकता को बखूबी सरल और सहज शब्दों में व्यक्त किया है जो हर आयु वर्ग को सोचने को मजबूर करेगा।यही इस कहानी संग्रह की विशेषता है।
अंग्रेजी शब्दों का घालमेल कुछ ज्यादा ही किया है, कुछ कम से भी चलाया जा सकता था लेखिका ने बड़े ही बेबाक और स्पष्टता के साथ नसीहत भी दी। समाज को कुछ सार्थक संदेश देने का लेखकीय कर्म बखूबी निभाया है। कुछ जगह बिन्दु और चंद्रबिन्दु का शब्दों के साथ संयोजन अटपटा लगा lतथा मात्रायें भी कहीं कहीं त्रुटिपूर्ण होना एक उम्दा कहानी संग्रह के लिए,चन्द्रमा में दाग जैसा लगता है।
पुस्तक आवरण आकर्षक व प्यार का संदेश लिए है।वैसे यह संग्रह अपने आप में पूर्णता लिए हुए ,एक उम्दा कहानी संग्रह है। संग्रह के मूल्यांकन का अधिकार तो पाठकों को है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है यह कहानी संग्रह पाठकीय धरातल पर सफल सिद्ध होगा।
Comments