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मंटो रोज़ नहीं पैदा होता

वीथिका            May 11, 2017


अशोक अनुराग।

आज मशहूर उर्दू अफ़सानानिगार सआदत हसन मंटो का जन्म दिन है
'ज़माने के जिस दौर से इस वक्त हम गुज़र रहे हैं, अगर आप उससे नावाक़िफ़ हैं तो मेरे अफ़साने पढिये। और अगर आप इन अफ़सानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते तो इसका मतलब ये है कि ये ज़माना नाक़ाबिल-ए -बर्दाश्त है, मुझमें जो बुराइयाँ हैं वो इस एहद कि बुराइयाँ हैं।

मेरी तहरीर में कोई नुक्स नहीं। जिस नुक्स को मेरी तहरीर से मनसूब किया जाता है, दरअसल मौजूदा निज़ाम का नुक्स है. मैं हंगामा पसंद नहीं। मैं लोगों के ख़यालात-ओ-जज़्बात में हैजान (excitement) पैदा करना नहीं चाहता। मैं तहज़ीब-ओ-तमद्दुन कि चोली क्या उतारूंगा जो है ही नंगी. मैं इसे कपड़े भी नहीं पहनाना चाहता, इसलिए कि ये मेरा काम नहीं।

मैं तख़्त-ए-सियाह पर काली चाक से नहीं लिखता, सफ़ेद चाक का इस्तेमाल करता हूँ। ताकि तख़्त-ए-सियाह कि स्याही और ज्यादा नुमाया हो जाए. लोग मुझे तरक्की पसंद, अफ़सानानिगार और ख़ुदा जाने क्या कुछ कहते हैं। लानत हो सआदत हसन मंटो पर! कमबख़्त को गाली भी सलीके से नहीं दी जाती।'- "सआदत हसन मंटो"


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