डॉ राकेश पाठक।
ऊपी वालो...तुम्हें कसम है "इन्हें" जिता
देना वर्ना... !
कल 8 तारीख को आख़िरी वोटिंग है...बस अब यही मौका है.. कछू कमती रह गयी हो तो इस राउंड में सबरी सीटें "इन्हें" झोंक देना...
ऊपी वालो ...
तुम्हें कसम है बाबा विश्वनाथ की...
तुम्हें कसम है विंध्यवासिनी देवी की..
अजुध्या के मर्यादा पुरुसोत्तम की..
नखलऊ के बड़े इमामबाड़े की..
अलीगढ़ के मज़बूत ताले की..
मेरठ के मसान वाले बाबा की...
फिरोजाबाद की चूड़ियों की..
इटावा के टिकसी वाले टेम्पिल की..
विद्या रानी की कसम है...
"इन्हें" अब कित्ती ऊपी की कुर्सी दै दियो...
जे है से कि काउ और पिरधानमंत्री नैं अबै तक इत्ती मेहनत नईं करी...
औ सुनौ मियाँ...अब तो 'शाल' भी लपक के मूड़ पै धर लई "साहेब" ने...क्या हुआ खां... अगर एक भी "टिकिस" नईं दिया तो...हांय...दिल पे लेने का नईं...!
अब भी अगर हरा दिया तो पता है न कि क्या होगा...
होगा ये कि...तुम सबके सब ग्यारह फरवरी को दुपहरिया 12 बजे के बाद ही 'देशद्रोही' कहलाओगे...गंवार ,जाहिल, अपराधी, पिछड़े,विकास विरोधी...! ऐसी लानत पड़ेगी बेट्टा कि कहीं ठौर नहीं मिलेगा...
भूल गए क्या... दिल्ली और बिहार की जनता इन्हें हरा कर आज तक कित्ती गाली खाती है...?
कैसे कैसे बेइज़्ज़त चुटकुले जनता के सिर मढ़े जाते हैं अब तक...!
तो भाइयो बहनों...हाथ जोड़ कर विनती है कि "उस इटावा वाले लडके और उसके यार" की बातों में न आना और न ही बुआ के फेर में... नईं तो अगले पांच साल 25 करोड़ लोगों को वो गाली पड़ेंगीं कि नानी याद आ जायेगी...बाकी आपकी मरज़ी...
11 मार्च के बाद मत कहना कि... काय भाई साब..पहलें काय नईं बताई...हओ..!
(मितरोँ... इसकू सीरियसली लेने का है..अपुन भी येईच चाहता कि साहेब का 'पान्टी' जीतना चईये...गाली कायकू खाने का..? )
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