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सदन का मनमाना उपयोग,हे मध्यप्रदेश के कर्णधारों! क्या जनता ने आपको इसीलिए चुना?

खरी-खरी            Jan 09, 2019


राकेश दुबे।
जैसे-तैसे कांग्रेस मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत गई। उसने भी वही किया जो भाजपा अब तक करती आ रही थी। विधानसभा का मनमाना उपयोग। भाजपा सदन अपनी मर्जी से अपनी हित पूर्ति तक चलाती थी।

अब सदन कैसे चलेगा, इसकी बानगी एक दूसरे पर आरोप लगाते विधायक, राज भवन तक मार्च करता विपक्ष दिख रहा है। कैसे भी सदन संचालन की औपचारिकता ही मध्यप्रदेश में लोकतंत्र का भविष्य बन गया है।

अंग्रेजी की एक कहावत “एवरी थिंग इस फेयर इन लव एंड वार” की तरह अब मध्यप्रदेश की राजनीति और उसमे सब जायज दिख रहा है।

पूर्व क्षमा याचना,विधानसभा अध्यक्ष की आसंदी का पूर्ण सम्मान, मित्र नर्बदा प्रसाद प्रजापति को बधाई के साथ, यह भी लिखने को आज विवश हूँ। “जो हुआ और जैसे हो रहा है सही नहीं है।” इसमें कांग्रेस, भाजपा, तो कभी इसे तो कभी उसे समर्थन देने की कलाबाज़ी लगाते दल सब शामिल हैं। दुखी तो मध्यप्रदेश में प्रजातंत्र का सपना देखने वाले लोग हैं, विधानसभा की परम्पराएँ हैं।

यह राजनीति और कहाँ तक जाएगी अभी कहना संभव नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कैसे हुआ ? अब सबको पता है और कैसे होना चाहिए था यह भी वे लोग जानते हैं, जो इस खेल में शामिल और माहिर हैं। वे हमारे प्रतिनिधि हैं, हमने ही उन्हें चुना है। अब कब तक भोगना है, एक सवालिया निशान है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सनसनीखेज दावा किया है कि भाजपा मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है। दिग्विजय सिंह ने भारतीय जनता पार्टी पर कमलनाथ सरकार गिराने के लिए एक विधायक को 100 करोड़ रुपये का प्रलोभन देने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा को विपक्ष में बैठना पच नहीं रहा है,लिहाजा वह विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है।

राज्य के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, विश्वास सारंग द्वारा विधायक बैजनाथ कुशवाहा को शहर से 10 किलोमीटर दूर ले जाकर 100 करोड़ रुपये का लालच और मंत्री पद का प्रलोभन दिया, ताकि सरकार गिराई जा सके।

यदि उनके आरोप को सही मान लें, तो कांग्रेस को वह राज्य सभा चुनाव भी याद रखना चाहिए, जिसमें आज के सम्मानीय भारी राशि के साथ पाए गये थे। भाजपा को भी राकेश चतुर्वेदी, संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी और भागीरथ प्रसाद जी की आवाजाही तो याद होगी ही।

ये आरोप कि भाजपा सत्ता हासिल करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त में लगी है। विधायकों को १०० करोड़ रुपये तक के ऑफर होटल और ढाबों की कहानियाँ क्या कहती हैं ? सिर्फ सनसनी फैलाने और जनता को भ्रमित करने के अलावा कुछ नहीं है।

ये मामले राजनीति पुलिस थाने, एफआईआर और कभी-कभी मानहानि के प्रकरण के रूप में अदालत तक भी ले जाती रही है। नतीजा शून्य रहता है।

व्यापमं जैसे मामले जिसमें कई पीढ़ियों का भविष्य चौपट हो गया कई घर बर्बाद हो गये, मौतों की भी कई कहानी इससे जुड़ गई, सब राजनीति के कारण मजाक बन गये।

आगे और कितने ऐसे मजाक देखने होंगे दिग्विजय सिंह ने कहा कि समय आएगा तो वे इस खरीद फरोख्त के मामले में सबूतों को सामने भी लाएंगे, क्यों? अभी किसने रोका है।

दिग्विजय सिंह के इस आरोप के बाद भाजपा भी आक्रामक हो गई है। पूर्व मंत्री विश्वास सारंग व विधायक नारायण त्रिपाठी ने आरोपों को नकारते हुए कहा कि सिंह अगर आरोप साबित कर देंगे तो वे राजनीति ही छोड़ देंगे? ऐसी धमकियां सुनते- समझते, कान पक गये हैं। आज तक ऐसा एक भी ऐसा संन्यासी सामने नहीं आया है।

एक और खबर सामने है,पथरिया से बसपा विधायक रामबाई ने कमलनाथ सरकार को चेतावनी दी है कि कांग्रेस ने उनसे मंत्री बनाने का वादा किया है, वे 20 जनवरी तक इंतजार करेंगी। सवाल ये है उसके बाद क्या ? सब मिलकर सोचिये क्या मतदाता ने आपको इसीलिए चुना है ? हे प्रदेश के कर्णधारों! कभी मतदाता के रुप में सोचोगे तो आप भी खुद अपने को ठगा पाओगे।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और प्रतिदिन पत्रिका के संपादक हैं।

 


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