डॉ. राकेश पाठक।
कान खोल कर सुन लीजिये..किसानों की मौत पर कोई राजनीति नहीं करेगा..सब अपने अपने घर जाओ..सत्तू घोर के पियो और टीवी देखो..
"भले और भोले लोग" बहुत दुखी हैं कि किसानों की मौत पर कोई मंदसौर जा रहा है तो कोई बंद का आह्वान कर रहा है..
उनका कहना है कि सन् 2014 के बाद अघोषित संविधान संशोधन हो चुका है..उसके तहत राजनीति सिर्फ "उनका" हक़ है..अब जबकि वे यहाँ से वहां तक सत्ता में हैं तब भी और भूले से कभी विपक्ष में आये तब भी राजनीति सिर्फ वे और उनकी पार्टी ही करेंगे..!
बाकी सारी पार्टियां चना मूँगफली भूनने का भाड़ खोल लें..या कांजी बड़े की ठिलिया लगा लें..!
किसान मारे जाएँ या व्यापम में तमाम बेकसूर बलि चढ़ जाएँ ..किसी व्यक्ति, संस्था या दल को कोई अधिकार नहीं है कि वो प्रतिरोध में एक शब्द भी कहे.. घटना स्थल पर जाए या पीड़ितों से मिले..ये सब साजिश, अराजकता और देशद्रोह माना जायेगा...!
जाइये अपने घर क्योंकि "भले और भोले लोगों" को किसी का भी 'राजनीति' करना पसंद नहीं है..हाँ नईं तौ.. बड़े आये राजनीति करने वाले...!
नोट: अगर इन भले और भोले लोगों की पार्टी विपक्ष में होती तो अब तक आसमान सर पर उठा लिया होता..
( भले और भोले लोग कौन हैं ये तो आप सब जानते ही हैं..कित्ते क्यूट हैं न वे सब..नईं..!)
फेसबुक वॉल से।
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