प्रदीप।
कटनी के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी का तबादला करना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भारी पड़ गया है। पिछले कुछ दिनों से इस तबादले के विरोध में कटनी में जन आंदोलन हो रहे हैं, इससे भाजपा सरकार की छवि धूमिल हो रही है और यह संदेश जा रहा है कि कटनी के भाजपा विधायक व राज्य के उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय पाठक को कथित हवाला काण्ड में बचाने के लिए गौरव को कटनी एसपी पद से हटाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कटनी एसपी के रूप में गौरव तिवारी ने 500 करोड़ रूपये का हवाला मामला पकड़ा था। गौरव के साथ जन सहानुभूति इसलिए भी जुड़ रही है कि उनका तबादला बार-बार कर दिया जाता है और वह भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते रहे हैें, जिससे सत्तारूढ़ नेताओं के हितों पर चोट पहुंचती है।
वैसे, भाजपा में ही संजय पाठक का शुरू से विरोध होता रहा है, क्योंकि वह कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए हैं और जल्दी ही राज्य मंत्रिमण्डल में भी ले लिए गए। श्री पाठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बहुत करीबी माने जाते हैं, इसलिए पाठक विरोधी भाजपा नेताओं ने पाठक की शिकायतें पार्टी हाईकमान और प्रधानमंत्री कार्यालय तक की है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश भाजपा प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने संजय पाठक को दिल्ली बुलाकर उनसे जवाब तलब किया है।
यह तो तय है कि ईमानदार और सख्त अफसरों को कार्य करने में बहुत दिक्कतें आती हैं। उनका जल्दी-जल्दी तबादला कर दिया जाता है। प्रभांशु कमल व प्रवीर कृष्ण भी इसके उदाहरण हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के प्रभांशु कमल को मुख्यमंत्री ने पिछले महीने चिकित्सा शिक्षा विभाग से हटाकर राज्य मंत्रालय में भेज दिया था क्योंकि मुख्यमंत्री को भोपाल के मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में कुछ अनियमितताएं मिली थीं। जबकि सभी जानते हैं कि इसके लिए सीधे तौर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा जिम्मेदार नहीं होते।
अंदर की खबर यह थी कि प्रभांशु कमल ने चिकित्सा शिक्षा विभाग प्रमुख के नाते ग्वालियर सहित अनेक मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों के डॉक्टरों के खिलाफ अनियमितताओं को लेकर कड़ी कार्रवाई की थी। इस कारण से भाजपा से जुड़ी डॉक्टर लॉबी उन्हें हटाने के लिए मुख्यमंत्री पर दबाव डाल रही थी। श्री कमल की कमजोरी यह भी थी कि वह भाजपा नेताओं को नियम कायदों के तहत ही महत्व देते थे। इसलिए भी मुख्यमंत्री उन्हें हटाने का बहाना देख रहे थे।
इसी प्रकार डेढ़-दो साल पहले प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के रूप में प्रवीर कृष्ण ने प्रदेश भर के स्वास्थ्य केन्द्रों और जिला चिकित्सालयों में आकस्मिक मुआयना करके लापरवाह डॉक्टरों को निलम्बित किया था। प्रवीर कृष्ण भी भाजपा से जुड़ी डॉक्टर लॉबी का शिकार हुए। आज वह महत्वहीन पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव हैें।
गौरव तिवारी के बेहतर व अनुशासित काम को देखते हुए भी उनका बार-बार तबादला करना, इससे पुलिस अफसरों का मनोबल गिरा है। राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुख्यमंत्री को एकदम गौरव को नहीं हटाना चाहिए था, उन्हें तबादले से उत्पन्न राजनैतिक परिस्थितियों को भांपना था, इसमें मुख्यमंत्री चूक गए।
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