राकेश कुमार पालीवाल।
साहसिक निर्णयों से ही ऐतिहासिक चीजें घटित होती हैं। आज के बजट से यह बात साबित होती है। आयकर विभाग के मेरे तीन दशक से ज्यादा समय में कभी ऐसा नहीं हुआ कि कर मुक्त आय की सीमा दोगुनी हो जाए।
इससे मध्यम वर्ग के उस बड़े तबके को कर में राहत मिली है जिसके लिए थोड़े से कर का भुगतान भी भारी बोझ सा लगता था।
कर में राहत के साथ साथ अब उन्हें आयकर रिटर्न भी नही भरनी होगी जिसके लिए उन्हें अपने विभाग के बाबुओं से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट के यहाँ दौड़ना पड़ता था।
इस बजट से अधिकांश पेंशनधारक आयकर से पूरी तरह मुक्त हो जाएंगे।वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह बड़ा तोहफा है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन और ब्याज के टी डी एस की छूट की सीमा बढ़ने से भी करदाताओं को अतिरिक्त लाभ होगा।कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा दो गुना होने से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ा लाभ होगा।
किसानों के लिए सीधे खाते में सम्मान राशि और मजदूरों के मुआवजे की राशि में दो गुणा से ज्यादा बढ़ोतरी किसान और मजदूर वर्ग के लिए बहुत अच्छी खबर है।
विगत कुछ वर्ष में कर संग्रह और करदाताओं में खूब वृद्धि हुई है। आयकर विभाग में सेवारत होने के कारण यह कह सकता हूँ कि इस दौरान बेनामी कानून और नोटबन्दी एवं जी एस टी के कारण कर चोरी पर काफी हद तक अंकुश लगा है जिससे राजस्व बढ़ा है, इसीलिए करदाताओं के बड़े वर्ग को बड़ी राहत मिल पाई है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में इस तरह के और भी ऐतिहासिक निर्णय लिए जाएंगे।
लेखक मुख्य आयकर आयुक्त हैं। यह टिप्पणी उनके फेसबुक वॉल से ली गई है।
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