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दो सबसे बड़ी पार्टियों के बीच छिछोरेबाजी की प्रतियोगिता शुरू हो गई तो

खरी-खरी            May 02, 2018


राकेश कायस्थ।
ताली बजाकर, हाथ नचाकर दुश्मनों का ससुराल-मायका और ननिहाल-ददिहाल को याद करने वाले किरदार सास बहू के सीरियल में होते हैं। देश के शीर्षस्थ पदों पर नहीं। बहुत ताज्जुब होता है जब देश के प्रधानमंत्री को ऐसी हरकतें करता देखता हूं।

`पैसे मामा के घर से लाये थे, क्या? मां जर्सी गाय और बेटा बछडा़ है। अपनी मां की मातृभाषा में ही 15 पंद्रह मिनट भाषण देकर दिखा दो'।

कोई भी सामान्य आदमी लगातार ऐसी भाषा नहीं बोल सकता है। यहां मैं यह सवाल नहीं पूछ रहा कि देश के प्रधानमंत्री असली मुद्दों पर बात क्यों नहीं करते। अगर उनके वोटर इसी संवाद शैली से खुश हैं तो उन्हे ऐसी ही भाषा में बात करते रहने का पूरा अधिकार है। फिर भी कुछ सीमाएं तो होती हैं।

राहुल गांधी की मां विदेश में पैदा होंगी क्या यह राहुल ने तय किया था?

हालांकि मोदीजी अवतारी पुरुष हैं फिर भी मैं इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हूं कि उन्होंने भगवान से कहा होगा कि मुझे वडनगर के चायवाले के घर में ही पैदा करना, अंबानी के यहां नहीं। अगर कहा भी होता तो भगवान ऐसा करते यह ज़रूरी नहीं है।

भगवान कोई आरबीआई की गर्वनर तो हैं नहीं कि इधर मोदीजी ने नोटबंदी कही और उधर मुहर लग गई।

बात सिर्फ इतनी है कि जो व्यक्ति जिस बात के लिए जिम्मेदार नहीं है, उसे लेकर हमला क्यों बोलना? कर्नाटक सरकार की आलोचना करने के सैकड़ो जायज कारण हो सकते हैं, आप उन कारणों पर बात कीजिये। कड़ी से कड़ी तथ्यपरक आलोचना कीजिये, रोका किसने है?

लेकिन आपने राहुल गांधी की मां के विदेश में पैदा होने का मुद्दा इसलिए चुना है क्योंकि आपको लगता है कि यह कमजोर नस है, जिसे पकड़ते ही सामने वाला आदमी बिलबिलाने लगेगा लेकिन बोल कुछ नहीं पाएगा। लेकिन कमज़ोर नस किसकी नहीं होती है।

अब ज़रा ये सोचिये कि राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री के दिखाये रास्ते पर चल पड़े तो क्या होगा?

राहुल अपनी हर सभा में यह कहें कि देश में ठुकराई महिलाओं की दशा बहुत खराब है, सरकार के आते ही `जसोदा योजना' लागू की जाएगी। मान लीजिये राहुल गांधी अपनी हर रैली की शुरुआत जसोदा माता के भजन से शुरू करने लगे तो कैसा रहेगा?

कांग्रेस पार्टी यह कहे कि सरकार में आते ही फर्जी डिग्री धारियों की धर-पकड़ की जाएगी और सबको जेल भेजा जाएगा तो सुनने में कैसा लगेगा?

अगर दो सबसे बड़ी पार्टियों के बीच छिछोरेबाजी की प्रतियोगिता शुरू हो गई तो उसके नतीजे बहुत ही खराब होंगे। शुक्र है, अपनी तमाम कमियों के बावजूद कांग्रेस पार्टी विरोधी को `उसी की भाषा में जवाब' देने वाले तर्क पर नहीं चल रही है।

केंद्र सरकार चार साल से है। इस दौरान मैंने बहुत कम ऐसे पोस्ट लिखे हैं, जिसमें सीधे-सीधे प्रधानमंत्री का नाम लिया गया हो।

मुझे मालूम है कि वे 24 घंटे में 20 घंटे काम करते हैं। पद की गरिमा बनाये रखने का एडिशनल काम वे अपने जिम्मे नहीं ले सकते हैं। प्रधानमंत्री पद की गरिमा बनाये रखने की जिम्मेदारी भी देश के नागरिकों को ही उठानी पडे़गी।

 


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