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अपनी फिक्र करो यारो, वो वक़्त चला गया जब राजनीति में स्टेट्समैन होते थे

खरी-खरी            Mar 09, 2022


महक सिंह तरार।

एग्जिट पोल्स, तेल के दामों वाले जोक्स व यूक्रेन के समाचारों से भरा पड़ा है। उसमें आपका क्या ?

क्रूड ऑयल के रेट पिछले 5 दिन मे 25% बढ़े, जो एक दशक की सबसे तेज वृद्धि है। कारण Putin ने पड़ोसी के यहां फौज Put-in कर दी।

ये पुतिन मात्र 8% कच्चा तेल एक्सपोर्ट करता था, जिसमे प्रतिबंधों के बावजूद अभी तक मात्र 3% की कमी आयी है। प्रतिबंध बेशक हस्ताक्षर करते ही लागू हो जाते है मगर उनका executions करते हुए हफ़्तो-महीनों तक लग जाते हैं।

यहां तक कि प्रतिबंध लगाने वाला अमेरिका भी रूस से अभी तक तेल खरीद रहा है। तो आप बताये की तेल की सप्लाई घटी 3% ओर दांम बढ़े 25%, क्यों? और इस बढ़त का फायदा किसे?

जुगाड़ू व्यापारिक लॉबी को। उन्हें अंग्रेजी मे #speculators कहते है, बोले तो सट्टेबाज। पिछली पोस्ट पर लिखा था कि युद्ध किसी भी कारण से #दिखाया जाये मगर होता आर्थिक कारणों से है, जिन्हें आम आदमी तत्काल नही पहचान पाता।

इराक युद्ध खत्म होने के बाद दुनिया के तमाम बडे कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर्स के प्राइवेट जेट बगदाद के हवाई अड्डे पर खड़े रहते थे। अरबों-खरबों डॉलर्स कमाए गये थे इराक़ में।

आपको क्या दिखाया जाता है व होता क्या है ये बड़ा इंटरेस्टिंग है।

जैसे हमने राफेल खरीदा तो कंपीटिशन मे कई युद्धक विमान बनाने वाली कंपनियां थी। ये अलग अलग देशों की कंपनिया अलग अलग विरोधी देशों (जैसे भारत पाकिस्तान, उत्तर व दक्षिण कोरिया) को एक दूसरे की टक्कर के हथियार बेच कर गलाकाट प्रतिस्पर्धा करती दिखती है।

क्या आपने कभी इन कंपनियों के मालिक देखे हैं? मैं कमैंट्स में कुछ टॉप कंपनियों जैसे लॉकहीड मार्टिन, राफेल, बोइंग, रथेओंन, नॉर्थरोप गरूमेन इत्यादि, के मालिकों की लिस्ट डाल रहा हूँ। युद्ध कोई किसी से लड़े, फायदा उन्हें ही होना है। व्यापारियों ने क्रूड तेल जैसा सट्टेबाजी का काम गेंहू का भी कर दिया।

पिछले 10 दिन मे ना किसी ने एक दाना कम खाया ना ज्यादा मगर गेंहू के दांम 20-22% बढ़ गए है। पशुपालकों को चोक्कर के कट्टे पर सौ रुपये की मार पड़ी है, तो तैयार बैलेंस फीड के कट्टे पर अस्सी से सौ रुपये बढ़ा दिए है। सरकार हर साल फरवरी-मार्च मे काफी पुराना गेंहू का स्टॉक निकालती थी ताकि नई फसल स्टोर कर सके मगर इसबार सरकार बनारस मे गली गली घूम रही है, इसलिये फीड, चोक्कर, आटा महँगा खरीदीये।

आप खामख्वाह की युद्ध, चुनाव की बातें करेंगे, एग्जिट पोल को गालियां देंगे, सरकार इसकी बनेगी या उसकी पर बहस करेंगे मगर आपकी लाइफ को जो मुद्दे डायरेक्ट प्रभावित करते है उनपर बातचीत नही करेंगे। अरे भाइयो ओर उनकी बहनों एक श्लोक याद है "कोउ नृप हो हमे का हानि" ?

उसे अब ऐसे बदल लो कि "कोउ नृप हो हमे ही हानि"। जिसकीं सरकार बनेगी बन जाएगी पर बिन व्यवसाइयों के सरकारें कोई बड़े निर्णय लेने मे असमर्थ है। ये सरकारें छोटे मोटे tid bit एडजस्टमेंट करती रहती है बाकी असल मालिक तो धंधे वाले ही है (कॉमेंट्स वाली लिस्ट चेक कर लेना।)

यहां पिछले 5 सालों मे 5 ठीक ठाक बड़े फाइनेंसियल/बैंक फैल हो गये, जैसे लक्ष्मी विलास बैंक, PMC बैंक, DHFL, ILFS, Yes बैंक इत्यादि, उसके पैसे पता है किसने भरे, आपकी जेब से गया सब कुछ। उल्टे सरकार आपके ही पैसे निकालने पर पाबंदी लगा देती है।

नोटबन्दी याद है, आपके करोड़ रखे हों बैंक मे, आपको मिलेंगे मात्र हफ्ते में 4 हजार। वैसे ही युद्ध काल में भी हो जाता है। इसलिए युद्ध ना ही हो तो आमजन के लिए बेहतर होता है। पड़ोसियों से शांति से जीना सीखो, नेताओ की घृणा भरी बातों से भड़क कर रूसियों-उक्रेनियों की तरह लड़ लेना तो आसान है मगर नुकसान नेताओं का ज़रा सा नहीं होता, जनता का होता है, और व्यापारियों का फायदा ही फायदा।

अभी ताजा—ताजा रूसी जनता ने सीखा है कि जो पैसा आप बैंक मे जमा करते है वो आपका नही रहता बैंक का ही हो जाता है। सरकार (युद्ध जैसी स्थिति मे) जब चाहे, आपको लौटाने से मना कर सकती है।

अभी तो पुतिन का ओर दो कदम आगे, नया बयान आया है की वो युद्ध मे जनता का बैंकों मे जमा पैसा बेहिचक खर्च कर सकता है। इसे ऐसे समझे कि किसी रूसी ने अपने बैंक खाते मे 50 लाख जमा किया हुआ था, उसके निकालने पर प्रतिबंध तो लगाया ही साथ मे आपको ईमेल ओर कर दिया कि इसमें से हमने 40 लाख लड़ाई मे खर्चे के लिए ले लिया, आपको बाकी दस लाख बाद मे दे देंगे।

अपनी फिक्र करो यारो। वो वक़्त चला गया जब राजनीति में स्टेट्समैन होते थे, विजनरी थे, जो समाज की फिक्र करते थे। उस समय राजनीति में भाग लेना अत्यावश्यक था। वर्तमान वाले नेता नेता नहीं, व्यवसायियों के मैनेजर्स हैं। राजा कोई बने नुकसान आपका ही है। अगर हो सके तो
ज़मीनें मत बेचो।
खर्च मिनिमम करो।
व्यापार मे पैर फ़साओ।
बच्चो को टेक मे इन्वॉल्व करो।
वर्तमान मे जो बचत है उसे बचाये रखो।
हताशा/लालच मे MLM मे मत फंसिए।
हमारा अतीत महान था वाले ट्रैप मे मत फंसिए।
जो इन्वेस्ट नही करते, स्टार्ट करिये, भले 2 हजार रुपये महीना का SIP लगाइये।
कम रिस्क वाली टूल्स जैसे इंडेक्स फण्ड, कैश फ्लो वाली प्रॉपर्टी आदि मे जितना ज्यादा सम्भव हो इनवेस्ट करो।
कम रिटर्न्स वाली इंवेस्टमेंट्स (जैसे मकान) में पैसा लगाने से बचो, बल्कि उनसे पैसा ज्यादा रिटर्न्स वाली कमर्शियल प्रॉपर्टी मे शिफ्ट करो।
अपना भविष्य खुद बदलना होगा।

 



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