दीपक गोस्वागी।
चलो मान लेते हैं कि कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के घर इनकम टैक्स का छापा राजनीति से प्रेरित है।
तो ऐसा कहने वाले महाज्ञानी बताएंगे कि नोटों से भरे कई बैग कहां से बरामद हुए?
ढेर के ढेर नोटों की गड्डियों का मालिक कौन है?
क्या आयकर विभाग ने वहां वो बैग पहुंचाए?
अगर ऐसा है तो कांग्रेस की शोभा ओझा ने प्रेस के सामने यह क्यों नहीं बोला? कमलनाथ भी प्रेस से रूबरू हुए, वे क्यों ऐसा नहीं बोले?
आप भक्ति में ऐसे डूबे हैं कि कांग्रेस और कमलनाथ के प्रवक्ता बन गये हैं। कभी पत्रकार भी तो बनिए। कभी आम जनता भी तो बनिए।
और आईटी विभाग द्वारा इतने बड़े-बड़े कई सारे बैग मुख्यमंत्री के ओएसडी के घर में शिफ्ट कर पाना इतना आसान है? क्या आपने इसे 'टाम एंड जैरी' कार्टून शो समझा है?
हां, छापा राजनीति से प्रेरित है। मैं भी मानता हूं। लेकिन अवैध धन बरामद हुआ है।
कुछ अनैतिक हुआ है तभी ये पैसा इकट्ठा हुआ है।
और यह पैसा चुनाव में खपने वाला था। इसलिए अनैतिक करने वाला सजा का हक़दार है।
आप अपनी कांग्रेस भक्ति की पुंगी बनाकर अपने कानों में डाले रखिए। उसका रुमाल बनाकर आंखों पर लपेटे रहिए। ताकि न कांग्रेस द्वारा किया कुछ बुरा देख सकें और न सुन सकें।
आप एजेंडावादी हैं। होगा आपका एजेंडा मोदी को सत्ता से हटाने का। लेकिन उस एजेंडे के लिए इतने बड़े घपले-घोटाले से आंखें नहीं मूंदी जा सकतीं। भ्रष्टाचारियों को खुली छूट देने जैसी बड़ी कीमत नहीं चुकाई जा सकती।
चोरी की है तो सजा मिलनी ही चाहिए।
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