मध्यप्रदेश का हाल-ए-सियासत कुछ ऐसा है,जिस पे नजर डाली उसका खुदा हाफिज

खरी-खरी, राज्य            Feb 07, 2017


राघवेंद्र सिंह।
भोपाल। हम आज किस्सा शुरू कर रहे हैं अपने जमाने की मशहूर फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के। मदर इंडिया फेम सुनील दत्त इसके हीरो थे। ये फिल्म एक सच्ची कहानी नेवी के अधिकारी रहे मेजर नानावटी से जुड़ी हुई है। जिसमें नानावटी विदेशी महिला से शादी करते हैं और परिस्थिति ऐसी बनती है कि समुद्र में जब वे जहाज पर जाते थे तो उस दरम्यान उनकी पत्नी का दिल उनके दोस्त प्रेम आहूजा पर आ जाता है। जिसे वे बाद में गोली मार देते हैं। सियासी किस्सों में ये फिल्मी कहानी कुछ अजीब सी लग सकती है मगर कई दफा समझने और समझाने में ये बहुत कारगर साबित होती है। क्योंकि लीडर भी अब अदाकारी में फिल्मी कलाकारों को इस कदर मात देते दिखते हैं कि लगता है नायक महानायकों से मुकाबला हो तो वे भी पानी भरते नजर आएं। इस फिल्म में सुनील दत्त कहते हैं...

‘तुम जिस पे नजर डालो उस दिल का खुदा हाफिज,
कातिल की खुदा जाने बिस्मिल (घायल) का खुदा हाफिज।’

मध्यप्रदेश की सियासत भी कुछ इस तरह चल रही है। हम शुरू कर रहे हैं 2003 से जब भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर ऐसी नजर डाली कि उसका खुदा हाफिज ही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस शेर को सियासत में इस कदर परवान चढ़ाया कि रातों रात कांग्रेसी विधायक और लोकसभा के उम्मीदवार भाजपा में शरीक हो गए। बाद में उन नए नवेलों को भाजपा ने विधायक सांसद और मंत्री की गद्दी भी सौंपी। अलग बात है कि इस नीति में भाजपा के खांटी नेता भी खुदा हाफिज हो गए। यहां तक तो सब ठीक, मगर एक बात और है कि जिस तरह जंग मुहब्बत और सियासत में सब जायज होता है उसी तरह चुनाव में वादे करना और सरकार में आने के बाद उसे भूल जाना भी जायज होता है।

यही वजह है कि धर्म आधारित राजनीति करने वाली भाजपा के राज में नदी पहाड़ तक हिफाजत से नहीं हैं। मुगल देश में इसलिए बदनाम हुए कि वे जंग जीतने के बाद अपने लिए लड़ने वालों को लूट खसोट की इजाजत देते थे। जिसमें धन दौलत खूबसूरत लड़कियां सब शामिल हुआ करती थीं। जबकि महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज ऐसा नहीं करते थे। भारत को लूटने आए फिरंगियों ने भी कोहिनूर तक ले लिया मगर नदी पहाड़ों पर उन्होंने भी रहम किया।

सूबे की बात कर रहे हैं तो इन दिनों सबसे गर्म मुद्दा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा मैया को बचाने के लिए शुरू की गई नमामि देवी नर्मदे यात्रा है। नदी पहाड़ों के अवैध खनन पर कानून अपना काम करेगा की तर्ज पर बड़ा दिल दिखाते हुए बुदनी क्षेत्र में मुख्यमंत्री के परिजनों के ट्रक भी पकड़े गए और पन्ना में कांग्रेसियों के भी ट्रक पकड़े गए। दोनों ही मामलों में जो तेजी दिखी थी सरकार और कांग्रेस में अब वह ठंडे बस्ते की तरफ है। लीपापोती शुरू हो गई है। इस तरह कह सकते हैं कि इन दोनों कार्यवाही में आरोपियों का भी खुदा हाफिज है। दस साल पहले मुख्यमंत्री ने खेती को लाभ का धंधा बनाने का जो नारा दिया था उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पकड़ लिया है। यही कारण है कि आम बजट में अरुण जेटली ने भी पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया है। अलग बात है कि जिस तरह से मंहगाई है किसान की आय अपने आप ही दोगुनी हो जाएगी। इसमें सरकार की क्या भूमिका रहेगी ?

इसी तरह शिवराज सिंह ने जब खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात कही तो किसानों ने मेहनत की और राज्य को कृषि कर्मण पुरस्कार तक अपनी उपज की बदौलत दिलाते आ रहे हैं। मगर इस सबके बीच किसानों का खुदा हाफिज है। क्योंकि राज्य में यह पहला मौका है जब रिकार्ड पैदावार के बाद किसान आत्महत्या को मजबूर है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने बीड़ा उठाया है अवैध खनन रोकने और नदियों को बचाने का। लेकिन नर्मदाजी में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। होशंगाबाद में 750 करोड़ की लागत से कोकोकोला फैक्ट्री लगाने का शिलान्यास हो चुका है। बाबा रामदेव जिस कोकाकोला और पेप्सी फैन्टा जैसे पेयपदार्थ को टायलेट साफ करने का बताते थे अब उनके समर्थन वाली भाजपा सरकार में इसे नर्मदा किनारे बाबई में लगाया जा रहा है। वह भी चोरी चोरी। इसी तरह पहले तो नर्मदाजी के किनारे की रेत लूटी गई और अब उसकी छाती से भी मशीनों से रेत निकाली जा रही है। यह तब हो रहा है जब मुख्यमंत्री नमामि देवी नर्मदे यात्रा पर निकले हुए हैं। इसी नर्मदा से गुजरात की मृत नदी साबरमती में प्राण आए और वहां का रेगिस्तान हरा भरा हो गया।

मध्यप्रदेश में जो हालात हैं उस हिसाब से जीवन दायिनी नर्मदा भी अब भगवान भरोसे है यानि खुदा हाफिज। इतना ही नहीं किस्से तो बहुत हैं। उनमें बेतवा को जोड़ सकते हैं जो विदेश मंत्री के संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखती है वह भी एक शराब फैक्ट्री के पानी से इस कदर जहरीली हो जाती है कि उसमें रहने वाली मछलियां तक मर जाती हैं। विपक्ष में रही भाजपा ने कभी इसका बड़ा विरोध किया था तब विदिशा के सांसद खुद शिवराज सिंह हुआ करते थे। कह सकते हैं कि धर्म आधारित राजनीति की पैरोकार भाजपा में नदी पहाड़ों का खुदा हाफिज है। सड़कों की आढ़ में पहाड़ लूटे जा रहे हैं। मगर उन्हें बचाने की सिर्फ बातें हो रही हैं। इस पूरे मसले पर एक शेर बड़ा मौजूं है...

‘वो जहर देता तो सबकी नजरों में आ जाता
उसने यूं किया वक्त पर दवाएं नहीं दीं...
सियासत में इन दिनों कुछ ऐसा ही हो रहा है...

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और IND24 समूह के प्रबंध संपादक हैं। यह आलेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।



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