हां हम 'निष्पक्ष' नहीं हैं क्योंकि लोक और लोकतंत्र के पक्ष में हैं!

खरी-खरी, मीडिया            Mar 27, 2017


डॉ.राकेश पाठक।
शिवपुरी में कल 24 मार्च को एक मीडिया संवाद में अपने भाषण में खाकसार ने ऐलानिया कह दिया है कि हाँ हम निष्पक्ष नहीं हैं और न थे क्योंकि हम लोक और लोकतंत्र के पक्ष में हैं...
"निष्पक्षता" के गहन पक्षधर मेरे अपने सभी प्रियजन,परिजन,मित्र,अमित्र,बंधु बांधव, सुधिजन,विद्वतजन,अनुज ,अग्रज,सखी,सखा आप सबकी भावनाओं को शिरोधार्य कर एक श्रृंखला आगामी सोमवार से प्रारम्भ करूँगा।
इस श्रृंखला में आपको स्मरण कराने का विनम्र प्रयास होगा कि हम और हमारे जैसे तमाम कलमकार सन् 1947 से ही निष्पक्ष नहीं थे क्योंकि पत्रकारिता जनता की पक्षधर और सत्ता का प्रतिपक्ष होती है...!
ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने मई 2014 के बाद अखबार देखे,पढ़े हैं...शायद टीवी भी मई 2014 के बाद ही ऑन किया है सो स्वाभाविक है कि उन्हें मालूम ही न होगा कि इससे पहले क्या क्या लिखा गया...!!
कोई बात नहीं... अब हम सविनय बताते चलेंगे कि नेहरू से लेकर मनमोहन तक कैसे कलम चलती थी...

( वैसे हमें आप सबसे निष्पक्षता का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए लेकिन आप सब मेरे अपने हैं इसलिए कुछ बातें साफ़ साफ़ कह दी जाए तो ठीक ही रहेगा...है ना..!)
तो भाइयो बहनों.... मिलते हैं सोमवार को सुबह सात बजे...

( सोमवार 27 मार्च से पढ़िए विस्तार से )



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