अभिषेक शर्मा।
कपड़ा_चरित्र_नहीं_सरकार
कल डीपी मैंने बदला, दरअसल यह तस्वीर इटावा के भरेह मंदिर (शिव) की थी। भरेहाश्वर महादेव की मान्यता समूचे चम्बल परिक्षेत्र में है मगर मंदिर जाने से पहले कभी क्या पहनना है या उचित परिधान के बारे में नही सोचा। टी शर्ट अब गुरु जी लोग और अन्य सरकारी विभाग में नही पहन सकते अन्यथा कार्रवाई के दायरे में होंगे। मैं जबसे होश संभाला हूँ तबसे टी शर्ट पहनता हूँ क्योंकि इसमें प्रेस करने का कोई झंझट नही। सभी मौसम के अनुकूल है लिहाजा चटपट पहन कर तैयार हो जाइये। समय बचता है, पैसा बचता है और ऊर्जा की भी बचत इस ड्रेस में है। मगर उत्तर प्रदेश शासन को गरिमा के अनुकूल यह ड्रेस नही लगती। आखिर गरिमापूर्ण ड्रेस की बात हो तो हर पद की गरिमा देखी जाय, मगर कर्मचारी की ही ड्रेस पर क्यों पाबंदी।
एक दो लोग मुझे भी टोके कि शर्ट पहना करो यार टी शर्ट में लड़के लगते हो जर्नलिस्ट हो तो गरिमापूर्ण ड्रेस पहनो। ये लड़के लगते हो का क्या मतलब हुआ मुझे नही समझ आया, अक्सर बूढ़े पुरनिये कहते मिल जायेंगे कि युवा पथभ्रष्ट है। युवा पर ऊँगली वही उठाते हैं जो मोदी जी द्वारा लगाये गए आरोप के मुताबिक पिछले 60 सालों में देश लुटने के मौन साक्षी या हिस्सेदार रहे हैं। देश का प्रधानमंत्री अधेड़ों और बुजुर्गों को देश लूट का मुजरिम बता रहा है और यह अधेड़ और बुजुर्ग युवाओं को पथभ्रष्ट बता रहे हैं।
मैंने टी शर्ट पहनकर कभी भी किसी लड़की संग अभद्रता नही की, कभी अमर्यादित आचरण नही किया मगर शालीन ड्रेस (कोट पैंट टाई) वाले और बाबा ड्रेस (आसाराम) जैसे लोग यह साबित करते आये हैं कि चरित्र ड्रेस नही तय करती। लिहाजा "मैं उन सभी फरमानों का विरोध करता हूँ जो विकास से अतिरिक्त बकवासों को जन्म देती हैं।"
नोट-लेखक के निजी और सरोकारी विचार हैं इसलिए पाकिस्तान का वीजा शौक से थमाइये कोई गल नही। ;)
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