डॉ राकेश पाठक।
सबसे पहले तो यह नोट कीजिये कि चंद लोगों के जासूसी में धरे जाने से कोई धर्म, संगठन, संस्था या दल और उससे सम्बद्ध सभी लोग "देशद्रोही" नहीं हो जाते...। सही है कि आई एस आई के लिए जासूसी के आरोप में हाल ही में पकडे गए सबके सब आरोपी हिन्दू हैं और यह भी सच है कि उनमें से कुछ सीधे सीधे बीजेपी से जुड़े हैं.... तो क्या आप पूरी बीजेपी या आर एस एस को देशद्रोही या पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाला बता देंगे...? इसके लिए उन्हीं की तरह का अभियान चलाएंगे...? नहीं बहुत गलत बात है...।
संघ, बीजेपी और उसके तमाम क्रियाकलापों से स्पष्ट असहमति के बावज़ूद खाकसार ऐसे किसी भी अभियान को उचित नहीं मानता।क्या दस, बीस, पच्चीस, पचास लोगों के देशद्रोही गतिविधियों में पाये जाने से दस करोड़ लोगों की पार्टी के सारे लोग देशद्रोही हो गए....?
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की बहुतेरी बातों से घनघोर विरोध के बावज़ूद यह मानने का कोई कारण नहीं कि पूरा संघ पाकिस्तान के लिए जासूसी की तोहमत भुगते...! लगभग सभी आरोपियों के हिन्दू होने से समस्त हिन्दू धर्मावलंबी भी संदेह की नज़र से देखे जाने के लिए अभिशप्त नहीं हो जायेंगे...और न होने चाहिए।
हां ये सच है कि एक बड़ी जमात अब तक अभियान पूर्वक धर्म विशेष पर आतंकवाद की तोहमत लगाती रही है...यह भी सच है कि उसी जमात ने चंद संदिग्ध लोगों की देश विरोधी नारेबाजी के चलते जे एन यू जैसे संस्थान की छवि पर बेशुमार कीचड़ उछाला था। (उस घटना के असल मुल्ज़िम आज तक पकडे नहीं जा सके हैं)
यह भी सच ही है कि आज़ादी के बाद आज तक सेनाओं के भीतर और अन्य तरीके से देश के खिलाफ जासूसी करने वाले जितने भी लोग पकड़े गए हैं उनमें सत्तर फीसदी से ज्यादा हिन्दू ही हैं।
तो क्या आप भी उनकी तरह तर्कहीन अभियान चलाएंगे...? आप भी आतंकवाद में धर्म ढूँढने लगेंगे...? आप भी संगठन, संस्था या दल को एक ही लकड़ी से हांकने लगेंगे...? ऐसा करते हुए आप भी भूल जायेंगे कि उस संगठन, संस्था या दल में आपका ही कोई सगा संबंधी, मित्र, पड़ौसी कोई भी हो सकता है...तो क्या उसे भी देशद्रोही मानने लगेंगे....? नहीं...नहीं ...नहीं...प्लीज़ ऐसा मत कीजिये...
हो सकता है इस घटना के बाद जो "बूमरैंग" उनकी छाती पर लगा है उसने उन्हें सोचने पर विवश किया हो कि हर असहमत को देशद्रोही बता कर वे ठीक नहीं कर रहे थे...! वे तो सत्ता के मद में सब धान पसेरी ही तौल रहे थे..हर आतंकी घटना में धर्म को ढूंढ कर नफरत ही बढ़ा रहे थे...हर असहमत को बिना सोचे समझे पाकिस्तान भेज रहे थे...
अब अगर आप भी यही कर रहे हैं तो फिर आपमें और उनमें फर्क ही क्या रह जायेगा...?
हो सकता है वे फिर भी बाज़ नहीं आएं... ऐसे ही किसी भी अगले मौके पर फिर अपनी नफरत का परनाला बहाने में जुट जाएँ फिर भी स्वतंत्र चेता लोगों को उनकी तरह "सब धान पसेरी तौलने" से बचना चाहिए...!
एक बात और स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी कोई सकारात्मक भूमिका नहीं थी फिर भी वर्तमान में करोड़ों लोगों को "देशद्रोही" कहने के सामान्यीकरण को उचित नहीं ठहराया जा सकता।
इसलिए कृपया बंद कीजिये ये बेसिरपैर का अभियान...!
बाकी आपकी मर्ज़ी...!
(यह तो आप सब जानते ही हैं कि अगर इस हालिया खुलासे में पकड़े गए लोग मुसलमान होते तो यही जमात इसमें धर्म ही ढूंढती और धरती आसमान एक कर देती)
फेसबुक वॉल से।
Comments