राकेश अचल।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड विजय ने प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी को हारने से बचा लिया। भाजपा यदि दिल्ली और बिहार के बाद कहीं यूपी भी हार जाती तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कहीं के नहीं रहते अब मोदी का अश्मेघ यज्ञ। लगभग पूरा हो गया है। यूपी की जीत ने मोदी सरकार की तमाम नाकामियों पर भी पर्दा दाल दिया है।
श्री नरेंद्र मोदी की राजनीति से आरम्भ से असहमत लोग भी शायद अब ये स्वीकार कर लेंगे की सियासत में जिस आक्रामकता की जरूरत हर समय होती है वो इस समय सिर्फ और सिर्फ मोदी के पास है। इसी आक्रामकता के दम पर कांग्रेस ने लंबे समय तक गैर कांग्रेसी दलों को सत्ता से दूर रखा था। आज मोदी कांग्रेस को उसी के शस्त्रों से निपात कर रहे हैं।
ढाई साल पहले भाजपा को जिस शिखर तक नरेंद्र मोदी लाये थे, भाजपा दिल्ली और बिहार की हार के बाद से उस शिखर से फिसलने लगी थी। नोटबंदी के फैसले ने इस फिसलन को और बढ़ा दिया था। यूपी विधानसभा के चुनाव इस फिसलन के लिए एक ऐसा मुकाम थे जहाँ से या तो भाजपा को एकदम जमीन सूंघनी पड़ती या फिर नया शिखर चढ़ने को मिलता। मोदी की अपनी रणनीति और आत्मविशास ने भाजपा को और फिसलने से बचा लिया। यूपी जीतकर मोदी पंजाब और गोवा की पराजय के दर्द को छिपाने में भी कामयाब रहे बल्कि उन्होंने अति आत्मविश्वास दिखाते हुए हाथ से निकल चुके गोवा को भी हथिया लिया।
देश के सबसे बड़े प्रदेश को जीतना कोई आसान काम नहीं था, यूपी में राजनीति बेहद उलझी हुई थी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने यूपी की राजनीति को ऐसा उलझा रखा था। इस उलझन को कोई दूसरा दल बीते 14 साल से उसे सुलझा नहीं पा रहा था भाजपा ने इस उलझन को न सिर्फ सुलझाया बल्कि इसमें अपने लिए सुरक्षित स्थान भी बनाया। मजे की बात ये है कि भाजपा ने ये सब उन्हीं रास्तों पर चलकर हासिल किया जो कभी कांग्रेस ने अपने लिए बनाये थे और इन्हीं पर चल कर बसपा तथा समाजवादी सत्ता सुख भोगने में कामयाब रहे थे।
आज स्थिति ये है कि आने वाले एक दशक तक देश के किसी भी गैर भाजपा दल के पास भाजपा को चुनौती देने वाला नेतृत्व नहीं है, कम से कम कांग्रेस के पास तो है ही नहीं। कांग्रेस को अब नरेंद्र मोदी का जादू समाप्त करने के लिए लंबी साधना करना पड़ेगी भाजपा ने सत्ता के शिखर तक पहुँचने के लिए बहुत कुछ गवाना पड़ा है। भाजपा का चाल,चरित्र और चेहरा अब पूरी तरह बदल चुका है।
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि भाजपा कांग्रेस जैसी ही हो गयी है। भाजपा को जाने-अनजाने कांग्रेस के ही दिखाए रास्ते पर चलना पड़ रहा है और ये सिलसिला अभी जारी रहने वाला है। देश को भाजपा के कायाकल्प के अनेक सोपान देखने के लिए तैयार रहना चाहिए।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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