राघवेंद्र सिंह।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी, देश आप पर आंख मूंदकर विश्वास करता है। इसलिये असफलता की तरफ जा रही नोटबंदी के बावजूद लोग सड़क पर नहीं आ रहे हैैं। खासतौर से मध्यम वर्ग जिसके वोट से भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार में आई। हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में पहले बजट भाषण में कहा था, मध्यम वर्ग सरकार के भरोसे न रहे। भाजपा को सरकार में लाने वाले वर्ग के प्रति पहली बार आपकी सरकार की एहसानफरामोशी सोच सामने आई थी। यद्यपि निम्न वर्ग के मन में भी लड्डू फूटने जैसा कुछ नहीं हुआ था। लेकिन मैैं आज भी कहूंगा नोटबंदी के मास्टर स्ट्रोक से ईमानदार वर्ग (शेष बेईमान नहीं है) खुश था, क्योंकि ज्यादातर वह खाली जेब रहकर एटीएम पर निर्भर था। सो उसे लगा कि काली कमाई वालों का रुपया के रूप में जमा होगा। इससे मिडिल क्लास और गरीबों का अभी नहीं तो भविष्य में भला जरूर होगा। इसलिये उसने चंद रुपये के लिये भी बैैंक-एटीएम की कतार में घंटों लगना खुशी-खुशी कुबूल किया जबकि सरकार और विपक्षी उसे बता रहे थे कि इससे कुछ नहीं होगा। सब ब्लैक मनी व्हाइट और हो जायेगी। ऐसा हो भी गया, क्योंकि 15 लाख करोड़ रु. से 14 लाख करोड़ के 100-500 के नोट जमा होने की खबरें हैैं। इस असफलता के बाद आपका देश को कैशलेस करने का नया फंडा आया जिसका आपके 8 नवंबर के मास्टर स्ट्रोक में जिक्र भी नहीं था। नोटबंदी से परेशान देशवासियों पर ये कैशलेस बम की तरह गिरा।
जिस देश में लोगों को भोजन करने से पहले हाथ धोने और खुले में शौच नहीं करना सिखाया जा रहा हो उनसे नेटबैैंकिंग की उम्मीद करना जुल्म करने जैसा है। बैैंक से पैसे निकालने के लिये दूसरों से फॉर्म-चेक भरवाने वाले सीधे-साधे भारतीय से ऐसी उम्मीद आप जैसे परिपक्व, घुटे हुये राजनेता से नहीं थी। आजादी के पहले और उसके बाद आप पहले ऐसे लीडर हैैं जिसे हिंदू नेता होने के बावजूद मुसलमानों ने भी देश के भले की खातिर वोट दिया। बताने की जरूरत नहीं है इसलिये अकेली भाजपा ने पूर्ण बहुमत वाला 283 सांसदों का करिश्माई अंक छुआ। मगर नोटबंदी की नाकामयाबी को छुपाने के नित नये नुस्खे आजमाए जा रहे हैैं। गोया ये मुल्क न हो असफलताओं को छिपाने की प्रयोगशाला बन गया हो क्योंकि नोटबंदी से भ्रष्टाचार, आतंकवाद को काबू करने की बात कही थी। दोनों जारी हैैं। नकली नोट के भी आने की खबरें है।
अब सरकार कैशलेस की जिद पर आ गई है। इसके लिये शहरों से गांव तक 24 घंटे बिजली और इंटरनेट चाहिये फिर करीब 130 करोड़ की आबादी वाले देश में लोगों को नेट फ्रेंडली होना बहुत ही जरूरी है। वरना होगा ये कि करोड़ों की तादाद में मध्यम और निम्न वर्ग के साथ साइबर डकैतियां होंगी। आज भी कई लोग एटीएम से पैसा निकालने के लिये वहां मौजूद लोगों को अपना पासवर्ड बता देते हैैं। बेशक भारत दुनिया के लिये बड़ा बाजार है। आपकी नई नीति देश नहीं दुनिया भर के साइबर अपराधियों के लिये स्वर्ग बनने जा रहा है। साइबर क्राइम रोकने, पकड़ने के लिये पहले तो लोगों की संख्या में पुलिस में विशेषज्ञों की जरूरत है। वर्तमान में यह काम कम्प्यूटर के जानकार हवलदार, उपनिरीक्षक संभाल रहे हैैं जबकि डेबिट, क्रेडिट कार्ड के पासवर्ड हेक कर एकाउंट खाली करने वाले गिरोह में ऐसे जानकार हैैं जिन्हें पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन जैसा है। पहले तो थानों में इनकी रिपोर्ट हो, जांच के लिये पुलिस के विशेषज्ञ हों। पकड़े जाने पर फरियादी को उसके खाते से उड़ाए गये धन की वापसी की गारंटी हो। साथ ही कठोर सजा का प्रावधान भी हो। मगर ये सब अभी नहीं है।
मोदीजी ऊपर बताये गये उपायों के बिना नोटबंदी के बाद कैशलेस नीति को लागू करना ऐसा होगा जैसे आपको सरकार में बैठाने वालों ने कोई अपराध किया और उन्हें अब सजा दी जा रही है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैैं जैसे किसी बच्चे या आदमी को तैरना नहीं आता हो और उसके परिजन, टीचर, कोच सभी मिलकर बिना लाइफ जैकेट के उसे यह कह कर समंदर में धक्का दे दें कि चिंता मत करो हम तो हैैं बचाने के लिये।
साइबर अपराधियों के आने लगे फोन
नोटबंदी के बाद साइबर क्राइम वाले सक्रिय हो गये हैैं। वे अपने को बैैंकों के हेड आफिस का बता कर कहते हैैं कि आपके डेबिट-क्रेडिट कार्ड आधार कार्ड से जुड़ा नहीं होने से ब्लॉक कर दिये गये हैैं। चालू करने के लिये हमें आधार कार्ड या एटीएम कार्ड का पिन नंबर बतायें। इस झांसे में आने पर नंबर बताया तो बैैंक एकाउंट खाली होने का खतरा है। इस तरह के फोन बिहार से आ रहे हैैं। सरकार को थानों में इस तरह अपराधियों की रिपोर्ट के साथ उनकी धरपकड़ करने की जरूरत है। मगर कौन समझाए कि जिस देश में जेबकतरों को पकड़ने में पुलिस को पसीना आ जाता हो वहां साइबर क्राइम पकड़ना-रोकना ऐसा होगा जैसे उड़नतस्तरी या एलियंस के बारे में जानकारी जुटाना। वैसे मोदीजी खुद बहुत समझदार हैैं मशहूर वकील अरुण जेटली वित्त मंत्री हैैं, संघ परिवार जैसी राष्ट्रवादी संस्था उनके साथ है फिर भी ये हाल... चौबीस घंटे बिजली, इंटरनेट और प्रशिक्षित पुलिस के बिना कैशलेस लोगों को लुटवाने जैसा होगा। देश आपके साथ चलने को तैयार है मगर अधूरी तैयारी के बिना कैसे...? फिलहाल तो लगा है देश दांव पर...
रिजर्व बैैंक सच्चाई बताए
नोटबंदी के बाद देश में जगह-जगह लाखों करोड़ों की संख्या में 2000-500 के नये नोट पकड़े जा रहे हैैं। यह गंभीर मामला है। रिजर्व बैैंक आफ इंडिया से नये नोट देश भर की बैैंकों में वितरित किये जा रहे हैैं। बैैंकों की मांग के हिसाब से आपूर्ति ऊंट के मुंह में जीरे जैसे हो रही है तो फिर करोड़ों नये नोट काली कमाई वालों के पास कैसे पहुंच रहे हैैं। कौन जिम्मेदार है इसके लिये..? आरबीआई और एसबीआई के प्रमुखों को इस पर विस्तार से पूरा सिस्टम देश को समझाते हुये जानकारी देनी चाहिये। एसबीआई के पूर्व प्रमुख समेत कई जानकार कहते हैैं नये नोटों की एक मुश्त गड़बड़ी बैैंकों से होना संभव नहीं है तो फिर ये कौन कर रहा है..? इस पर रिजर्व बैैंक की चुप्पी इस रहस्य और गहराती है और बैैंकों के कर्मचारी अधिकारी संदेह की नजर से देखे जा रहे हैैं।
(लेखक IND-24 न्यूज चैनल समूह के प्रबंध संपादक हैैं)
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