भाजपा के महत्वाकांक्षी विभीषण ही तो शिवराज की लंका नहीं जलवा रहे।

खरी-खरी            Jun 08, 2017


अरूण दीक्षित।
बहुत उपदेश और ज्ञान बंट रहा है इस समय मध्यप्रदेश में!हर कोई किसानों को उपदेश दे रहा है। कुछ बीजेपी के नेता तो कांग्रेस की आड़ लेकर गालियां तक बक रहे हैं! मैं हिंसा का समर्थन बिल्कुल नहीं करता। मैं भी अपने किसान भाइयों से कहूंगा कि वे हिंसा का रास्ता न पकड़ें।

लेकिन कुछ सवाल इन उपदेशकों से पूछना चाहता हूं ! मान लिया कि केंद्र में बीजेपी सरकार बने सिर्फ 3 साल ही हुए हैं।लेकिन मध्यप्रदेश में तो 14 साल से बीजेपी की सरकार है। इसमें भी करीब 12 साल से तो शिवराज सिंह ही गद्दीनशीन हैं।प्रदेश में किसान नाराज हैं यह बात शिवराज को पता क्यों नहीं लगी ?क्या प्रदेश की खुफिया व्यवस्था का इस्तेमाल सिर्फ विरोधी नेताओं पर नजर रखने के लिये ही हो रहा है ?जमीनी हकीकत क्या है इसका अहसास किसी को क्यों नही हो रहा ?

शिवराज सिंह खुद किसान होने का दावा करते हैं।1985 तक उनके परिवार के पास संयुक्त खाते में कुल 7 एकड़ जमीन हुआ करती थी।अब उनके परिवार की इकाई के सदस्यों के नाम पर ही एकड़ों में जमीन है।

मेरा सवाल है कि खुद शिवराज अपनी किसानी के किस्से सुनाते नही अघाते हैं लेकिन वे किसानों को वे तरीके क्यों नही बताते जिनसे वे मुख्यमंत्री रहते हुये खेती से हर साल मोटी रकम कमा लेते हैं!उन्हें किसानों को बताना चाहिये कि उनके खेतों में उगे फल और फूल सीधे करेंसी में कैसे बदल जाते हैं?मुझे लगता है यदि शिवराज यह गुर किसानों को बता दें तो किसानों का संकट ही खत्म हो जाएगा!

एक सवाल और उठ रहा है कि जिस तरह बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने सन्निपात और लकबे से ग्रस्त कांग्रेस पर किसानों के इस गुस्से के लिये हमला किया है उसकी असली बजह क्या है !?क्योंकि कब्र में भी आपस मे लड़ने बाले कांग्रेसियों में अचानक इतनी ऊर्जा कहाँ से आ गयी कि वे किसानों को उकसाने में कामयाब हो गये?

कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी के महत्वाकांक्षी विभीषण ही शिवराज की लंका जलवा रहे हैं? क्योंकि जिन इलाकों में किसान आंदोलन भड़का वे बीजेपी के प्रभाव बाले हैं! जिन नेताओं ने किसान आंदोलन शुरू कराया था वे भी बीजेपी या संघ से जुड़े रहे हैं !सबके अपने अपने दुख और महत्वाकांक्षाएं हैं! होनी भी चाहिये!

सम्भव है कि सरकार के सूचना तंत्र ने इन लोगों को गया - गुजरा मान कर ध्यान ही न दिया हो! कांग्रेस को वह पहले ही मरा हुआ मान चुके हैं। ऐसे में उत्प्रेरक का काम कहीं उन मित्रों ने ही तो नही निभा दिया जो हाशिये पर पड़े हैं?

फिलहाल अमित शाह और नरेंद्र मोदी को इस आंदोलन की समीक्षा करनी चाहिये ! शिवराज सिंह इस काम में सक्षम नही हैं।क्योंकि वे उसी नॉकरशाही के इशारे पर नाचते हैं जिसने सब्जबाग दिखा कर इस हाल में पहुंचाया है!

वैसे एक सच्चाई यह भी कि भगवान के भरोसे ,बिना पुरुषार्थ के बहुत समय तक राज नही किया जा सकता है!

लेखक नवभारत टाईम्स के मध्यप्रदेश ब्यूरा हैं यह आलेख उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।

 



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