डॉ.वेदप्रताप वैदिक।
दवाइयां बनाने वाली कंपनियां हमारे डाक्टरों को भ्रष्ट करने के असंख्य हथकंडे अपनाती हैं ताकि उनकी दवाइयां काफी मंहगे दामों पर बिकें और खूब बिकें। हमारे ज्यादातर डाक्टर अपनी योग्यता और ईमानदारी के कारण साधु-संतों से भी ज्यादा पूज्य माने जाते हैं लेकिन धन-लोलुप दवा-कंपनियां उनमें से भी कुछ को भ्रष्ट करने से बाज नहीं आतीं। मरीजों को बेखौफ होकर लूटा जाए, इसके लिए ये देशी और विदेशी कंपनियां डाक्टरों को मंहगे-मंहगे तोहफे देती हैं, विदेशों की सैर करवाती हैं, नकद कमीशन देती है, कार और मकान भेंट करती हैं।
इसका नतीजा क्या होता है? ऐसी कंपनियों की दवाइयां अगर जरुरी नहीं हों तो भी डाक्टर मरीजों को टिका देते हैं। मरीज क्या करे? वह तो मोहताज होता है। अंग्रेजी में घसीट कर लिखे गए पुर्जे को वह ठीक से समझ ही नहीं पाता। डाक्टर लिखे और सिर्फ दवा-विक्रेता समझे तो यह जादू-टोना चलता है। दो रुपए लागत की दवा दो सौ रुपए में बेची जाए तो भी उस पर कोई उंगली कैसे उठाए? मरीज के रिश्तेदार अपने मरीज की जान बचाएं या डाक्टर और दवा-विक्रेता से झगड़ा करें?
सरकार ने यों तो दवाओं पर दाम बांधो अभियान चला रखा है। उसके कारण कुछ जीवन-रक्षक दवाएं सस्ती तो हुई हैं लेकिन अभी-अभी सरकार के आयकर विभाग की अपीलीय अदालत ने एक दवा-कंपनी के 23 करोड़ के खर्च को आयकर की छूट दे दी है। सिर्फ एक दवा-कंपनी ने ये 23 करोड़ रु. उन्हीं मदों पर खर्च किए हैं, जो हमने ऊपर बताई हैं। यदि एक कंपनी डाक्टरों को इतनी बड़ी रिश्वत दे सकती है, तो सैकड़ों दवा-कंपनियां क्या अरबों रुपया रिश्वत में खर्च नहीं करती होंगी?
ये रुपया किनसे वसूला जाता है? मरीजों से, दवा की कीमतें अंधाधुंध बढ़ाकर। आयकर अदालत ने यह जरुर कहा है कि मेडिकल कौंसिल आफ इंडिया द्वारा निर्धारित आचार-संहिता का पूरा सम्मान होना चाहिए लेकिन उसमें दवा-कंपनियां शामिल नहीं हैं। मैं पूछता हूं, क्यों नहीं हैं? दवा-कंपनियां ही नहीं, चिकित्सा-उपकरण बनाने वाली कंपनियां भी इसमें शामिल होनी चाहिए। रिश्वतखोर डाक्टरों के लायसेंस जब्त होने चाहिए।
इसके अलावा गैर-सरकारी अस्पतालों में चल रही भयंकर लूट-पाट को कौन रोकेगा? स्वास्थ्य-मंत्री जयप्रकाश नड्डा से देश आशा करता है कि वे उस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए शीघ्र ही कठोर कार्रवाई करेंगे। यदि वे दवाइयों के दाम बांध देंगे तो भी डाक्टरों और दवा-निर्माताओं की मिलीभगत भ्रष्टाचार के अनेक अदृश्य-रास्ते निकाल लेगी। देश में शिक्षा और चिकित्सा जब तक सर्वसुलभ और लगभग समान नहीं होगी, भारत हमेशा कमजोर ही बना रहेगा।
नया इंडिया से।
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