सब कुछ बताकर सब ढांकने-मूंदने की सरकार की भोली अदा

खरी-खरी            Mar 31, 2017


 ममता यादव।

इस भोली अदा पर वारी जाने का मन करता है। मध्यप्रदेश की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह द्वारा ईवीएम मशीन का डेमो देते समय कोई भी बटन दबाने पर हमेशा बीजेपी को ही वोट जाता दिखा। पत्रकारों ने सवाल उठाये तो वहां मौजूद उन्होंने पत्रकारों को धमकी दी कि अगर यह खबर दिखाई तो जेल भिजवा दिया जाएगा। कुलमिलाकर ये कि ये भी संदेश दे दिया गया कि वोटिंग मशीन में गड़बड़ी हो नहीं सकती होती है और मीडिया को हड़का दिया गया तो खबर तो बिना छपे,चले रह ही नहीं सकती थी।कुलमिलाकर दो संदेश दे दिये गये एक सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती दो सरकार मीडिया पर दबाव बनाकर खबर रूकवा सकती है जेल भेज सकती है। मतलब सब कुछ दिखा भी दिया गया और ढांकने—मूंदने की कवायद भी हो गई। सरकार की यह भोली अदा ऐसे समय में सामने आई है जब पूरे देश ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता और अविश्वसनियता पर बहस छिड़ी हुई है।

मुझे पता नहीं अगर किसी की जानकारी में हो तो जरूर ज्ञानवर्द्धन करें कि अगर खबर की प्रामाणिकता है कई लोगों के सामने की है और उसे प्रकाशित किया जाता है तो क्या जेल भेजा जा सकता है? अभी तक कोई खबर आई नहीं।

मित्र आशीष सागर की ये टिप्पणी भी काबिल-ए-गौर है: पर्ची वाली ई वी एम् भी भरोसे लायक नहीं। आज मप्र की मुख्य चुनाव आयुक्त सेलिना सिंह ने पत्रकारों के सामने पर्ची वाली मशीन का प्रदर्शन किया। बटन दबाया गया चार नम्बर का, लेकिन पर्ची निकली दो नम्बर के कमल की। सबके सामने यह हुआ। फिर सेलिना सिंह ने पत्रकारों को धमकी दे दी कि यदि किसी पत्रकार ने यह खबर दिखाई तो उसे जेल जाना होगा। मशीन के लाइव कुकर्म का वीडियो सहारा समय एमपी पर चल रहा है। मप्र में दो सीटों पर उप चुनाव है। दिल्ली नगर निगम वाले सतर्क हो जाओ।

वैसे महाराष्ट्र के नगरीय निकाय चुनावों के समय एक खबर चली थी कि वहां ज्यादातर ईवीएम मध्यप्रदेश से भेजी गईं थीं।

वरिष्ठ पत्रकार रजनीश जैन की भी टिप्पणी की लाईनें याद आ रही हैं गौर करें: हिमालय की कंदराओं से लेकर जेद्दाह के रेगिस्तान तक और बंगाल की खाड़ी से अरब सागर तक कहीं भी कभी भी वोट डलवा लो 'ओनली कमलानि विगसन्ति' ...अर्थात कमल ही खिलेगा। जिस देश का कमल जैसा और जिस रंग का हो हम वहाँ वैसा खिला देंगे।

अगर वाकई जांच हो जाये तो उपचुनावों और विस चुनावों में मिली एकतरफा जीत के आंकड़े बदल । जायेंगे, इसमें संदेह नहीं। क्या यह बताने का भी प्रयास है कि चुनाव ऐसे भी जीते जा सकते हैं।



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