विनय ओसवाल।
वोटर बहुत समझदार है। जहां गड्ढा देखता है पानी का रुख उधर ही कर देता है, लो डूबो। वर्ष 2014 में केंद्र में मोदी आये क्यों कि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार आमजन की सहनशीलता की सीमा फाड़ कर सड़कों पर आ गया था। सत्ता के नशे में चूर हुक्मरान आमजन की सुन नहीं रहे थे। अपने कर्मों से गयी कॉंग्रेस सरकार। मोदी की नहीं चली। उसके बाद दिल्ली में चुनाव हुए। मोदी की नाक के ठीक नीचे मोदी की नहीं चली। भाई उनकी उनके घर में नहीं चली। फिर बिहार में चुनाव हुए, मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी पर नहीं चली। महाराष्ट्र में चुनाव हुए मोदी शिवसेना को नेस्तोनाबूद नहीं कर सके। वो गाहे बगाहे काँटा चुभोती रहती है। मोदी सहते रहते हैं। दोनों में इस नोकझोंक को दोस्ताना/भ्रातत्व कहा जाता है ।
अभी 2017 में पांच राज्यों में चुनाव हुए:
मणिपुर में कांग्रेस नेस्तनाबूद नहीं हुई। मोदी की नहीं चली। गोवा भी कॉंग्रेस गले में हड्डी की तरह अटक गयी। मोदी की नहीं चली। पंजाब में अकाली-बीजेपी गठबंधन के हाथों से आमजन ने सत्ता इसलिए छीन ली कि नशीले पदार्थों की पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि के रास्ते धड़ल्ले से तस्करी होती रही थी और पंजाब का युवा नशे का आदि हो गया। चर्चाओं में है कि पाकिस्तान आदि देशों में नशीले पदार्थों का कारोबार आतंकवादियों के संरंक्षण में चलता है। जो शीर्ष पुलिस अधिकारी कड़ाई करता उसे बेइज्जत कर भगा दिया जाता रहा। अकालियों और पंजाब बीजेपी की पीठ पर मोदी की केंद्र सरकार का वरद हस्त जो था।
अखबारों और अन्य मीडिया पर विस्तार से बहुत कुछ परोसा जा चुका है। पंजाब में अकाली बीजेपी गठबंधन सरकार अपने दुष्कर्मों के चलते गयी। बचाने में मोदी की नही चली। उत्तराखंड में कॉंग्रेस के अधिसंख्य नेता गयाराम होगये। बीजेपी ने बड़ी आवभगत कर आयाराम बना लिया। कॉंग्रेस अपने घर के गद्दारों का शिकार हुयी। मोदी की नही चली।
उ0प्र0 में सपा में सत्ता को लेकर इस तरह छीना झपटी हुयी मानो सत्ता मुलायम शिवपाल के पुरखों की जागीर हो जो वो बेटों को न देना चाहते हों। यहाँ भी आमजन को ये कतई अच्छा नहीं लगा। मायावति ने अपने को जाटवों और मुसलमानों तक सीमित करलिया। ब्राह्मण , बनिये , अन्य अनुसूचित जातियों के नेता एक एक कर गयाराम होते रहे। उत्तराखंड की तरह मोदी के लिए दरवाजे यहाँ पूरे खोल कर रखे गए। आने वाले सब आयाराम हो गये। यहां भी इन कारणों की चली। मोदी की नहीं चली। बीजेपी के लोग फूले न समाएं। जिन जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है वहां यदि भृष्टाचार आमजन की सहनशीलता को फाड़ सड़कों पर नाचेगा तो उन उन राज्यों में आमजन समय हाथ आते ही बीजेपी को धूल चटा देग। ठीकरा तो अब मोदी के सर ही फूटेगा। क्योंकि मोदी को उठा के आसमान पर बिठा दिया गया है।
एक सीमा तक जैसे आटे में चार गुना नमक आमजन बर्दाश्त करता रहा है। वो बेस्वाद ही सही खा लेता है। पर खा ही न पाए तो भूखा क्या न करता वाली हालत में वही करेगा जो वो करता आ रहा है। ठीकरा अब हर बार मोदी के सर ही फूटेगा। क्योंकि हर बार जीत का सेहरा उनके सर बाँधा जाने लगा है।
अरे बीजेपी को तो लक्ष्मण की तरह आमजन की चरण पादुकाओं को सत्ता की कुर्सी पर रख कर राज्य चलाना चाहिए। तभी आमजन को लगेगा कि बीजेपी के हाथों में सत्ता माने राम राज्य। हाँ! इतना जरूर है कि मोदी नाम का आग्नेयास्त्र आमजन के हाथ जरूर लग गया है। चुनावों में भरपेट इस्तेमाल कर रहा है। जब तक चल रहा है चला रहा है। फेल हो जाएगा फेंक देगा। आमजन मोदी का स्तेमाल कर रहा हैं, उसके समर्थक समझ रहे हैं मोदी की लहर है।
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